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कामाख्या देवी कौन हैं ?

किस देवी का स्वरुप हैं कामाख्या माता ?

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      कामाख्या शक्तिपीठ ,विश्व के सभी शक्तिपीठों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली माना जाता है |कामाख्या देवी की इतनी महिमा है कि इन्हें महाविद्याओं के समकक्ष रखा जाता है जबकि यह शक्तिपीठ की शक्ति हैं |बहुत से लोग नहीं जानते की कामाख्या देवी कौन हैं ,किस देवी का स्वरुप हैं ,केवल यह जानते हैं की सती के अंग यहाँ गिरे तो यह सती का अंश हैं |कुछ लोग इन्हें माँ तारा का स्वरुप बताते हैं तो कुछ लोग इन्हें श्री विद्या त्रिपुरसुन्दरी का स्वरुप मानते हैं |इनके गुण तारा जैसे तो साधना पद्धति त्रिपुरसुन्दरी से मिलती जुलती है |सबसे अधिक साम्य इनकी सात्विक परंपरा में देवी दुर्गा से मिलती है |इस शक्तिपीठ के आस पास भगवती बगला और महाविद्या धूमावती के भी मंदिर पाए जाते हैं |तो यह माता कामाख्या आखिर हैं कौन ?वास्तव में किस देवी का स्वरुप हैं समग्र रूप में ? इस सम्बन्ध में माता कामाख्या से सम्बन्धित शात्र के कामाख्या पटल में इनके मूल स्वरुप का वर्णन है |

         कामाख्या पटल में भगवती श्री देवी भगवान् महादेव से प्रश्न करती हैं की ,देवी कामाख्या कौन हैं ?इनकी इतनी महिमा क्यों है ? तो भगवान् शंकर कहते हैं –  जो माता कालिका सर्व विद्यास्वरूपिणी हैं वे ही कामाख्या नाम से प्रसिद्द हैं |वे ही कामाख्या रूप से विख्यात हैं ,यज्ञ और दर्शन शास्त्र के लिए वे ही ब्रह्म हैं |जैसे चन्द्रमा को देखकर बौने लोग उसके सम्बन्ध में उत्सुक होकर भटकते फिरते हैं ,वैसे ही उस महादेवी से ही सारा चराचर जगत उत्पन्न होता और पुनः उसी में लय होता है |वे असीमित शक्ति की आधार हैं और अपार दयामयी माँ हैं |वे मुक्तिदायिनी ,जगद्धात्री और सदा परमानंदमयी हैं |आगम या तंत्र शास्त्र का निर्णय है की काली सदा कृष्णवर्णा हैं ,सभी तंत्रों में ऐसा ही कहा है | संकल्प कर जो बुद्धिमान काम्य कर्म के लिए काली और कामाख्या तंत्र का पाठ करता या करवाता है अथवा सुनता या सुनवाता है वह श्री काली की कृपा से उन उन कामनाओं को प्राप्त करता है |स्पर्श मणि के सामान यह तंत्र उत्तम फलदायक है |

            जिस प्रकार कल्प वृक्ष सभी फलों को प्रदान करता है वैसा ही इस तंत्र को मनीषियों को जानना चाहिए |जैसे सभी प्रकार के रत्न समुद्र में रहते हैं वैसे ही सभी सिद्धियाँ ,भुक्ति और मुक्ति इससे मिलती है |सब देवों का आश्रय जैसे मेरु पर्वत है वैसे ही यह कामाख्या तंत्र सभी सिद्धियों का आश्रय है |जिसके घर में भय को दूर करने वाला या तंत्र विद्यमान है उसके यहाँ रोग ,शोक और पापों का लेश मात्र भी भय नहीं रहता |न वहां चोरों का भय रहता है न ग्रहों या राजदंड का भय |उस घर के रहने वालों को न उत्पातों का भय रहता है न महामारी का |उनकी कभी पराजय नहीं होती ,न किसी अन्य प्रकार का भय रहता है |भूत प्रेत पिशाच और दानवों या राक्षसों का ,न व्याघ्र आदि हिंसक पशुओं का भय कहीं उन्हें होता है |कुष्मांडो का भय नहीं होता न यक्ष आदि का ,सभी विनायकों और गन्धर्वों का भी भय नहीं होता |स्वर्ग मृत्युलोक और पाताल में जो जो भयानक और विघ्नकारक जिव हैं उन सबका भय भी उन्हें नहीं होता |यमदूत भी भय से व्याकुल हो भाग जाते हैं |असीम संपत्ति सात पीढ़ियों तक विद्यमान रहती है |साथ ही देवी कामाख्या की कृपा से सरस्वती भी उस घर में उतने ही समय तक बनी रहती हैं |ऐसा भगवान् महादेव ने कामाख्या पटल में कहा है |

         इस प्रकार से भगवती काली ही योनिरूप में कामाख्या स्वरुप में पूजित हैं |शिव की अर्धांगिनी सती ही काली हैं ,वही पार्वती हैं उमा हैं शक्ति हैं और वही विभिन्न रूपों में दुर्गा ,काली ,महाविद्या तथा कामाख्या हैं |काम अक्ष के रूप में भगवती काली ही योनी रूपा होकर कामाख्या नाम से पूजित हैं |इनका मूल मन्त्र भी काली मंत्र के स मान होता है |हम अपने पाठकों और श्रोताओं को यह भी बताना चाहेंगे की जो समग्रता भगवती काली में मिलती है वह किसी अन्य महाविद्या या शक्ति में नहीं मिलती |जो पूर्णता ,प्रभाव और तीव्रता भगवती कामाख्या के द्वारा प्राप्त होती है वह किसी अन्य शक्तिपीठ से नहीं दिखती ,संभवतः इसीलिए संसार के अधिकतर तंत्र और योग साधकों के लिए कामाख्या पीठ सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है |……………………हर हर महादेव


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