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विजयदायक हनुमान साधना

 

विजयदायक हनुमान साधना

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         जीवन का अर्थ है समस्या ,परेशानी ,संघर्ष और साधक का अर्थ है उन समस्त समस्याओ से जूझ जाना |,प्रत्येक भय को समाप्त कर उस पर विजय प्राप्त करना ,यह सब लक्षण प्रकट होते है केवल हनुमान के साधक में क्योंकि हनुमान ही ऐसे देव है जिनमे अदम्य बल , साहस , बुद्धि ,कर्मठता ,तेजस्विता , तुरंत निर्णय लेने की क्षमता और संकटों पर विजय प्राप्त कर लेने का साहस है |.ऐसा समन्वय यदि किसी में है तो हनुमान में ही है। हनुमान साधना संपन्न करना वास्तव में साधक के लिए समस्त आपदाओ के समक्ष वज्र के समान खड़े हो जाने की प्रक्रिया है ,जिससे समस्याएं टकराकर वापस लौट जाएँ। इसलिए यह साधना कोई साधारण साधना प्रयोग मात्र नही है ,
          महाभारत में स्वयं श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा की , हे अर्जुन ! यदि तुम्हे महाभारत में विजय प्राप्त करनी है और राज्य ,धन ,वैभव ,यश और प्रतिष्ठा प्राप्त करनी है तो तुम्हे हनुमान साधना संपन्न करनी ही पड़ेगी | अपने अन्दर उस बल को ,उस त्वरित निर्णय लेने की क्षमता को ,उनकी बुद्धि ,उनके साहस को आतम्सात करना पडेगा तभी तुम अपने लक्ष्य में सफल हो सकोगे और जब अर्जुन ने यह साधना संपन्न की तो फिर वह अपने सम्पूर्ण जीवन में कभी समस्याओ से नही डगमगाए ,फिर वह कभी भी पराजित नही हुए ,और इसका रहस्य था की स्वयं जगद्गुरु श्री कृष्ण ने ,उनको अपना शिष्य बनाकर उसे दीक्षा प्रदान की और उसे पूर्ण विधि विधान से साधना संपन्न करवाई । इस साधना के फलस्वरूप फिर अर्जुन ने सम्पूर्ण महाभारत युद्ध लड़ा और अनेक बड़ेबड़े दिग्गजों से ,द्रोणाचार्य ,कर्ण आदि से युद्ध किया और सब पर उसने विजय प्राप्त की।
        हनुमान साधना का रहस्य ही यही है की इसे सम्पन्न के साधक में भी वह समस्त गुण जाते है जो हनुमान के पास थे। यदि साधक पूर्ण एकाग्रता ,पूर्ण निष्ठा ,पूर्ण विश्वास के साथ मंत्र जप करता है तो हनुमान प्रत्यक्ष होकर साधक की अभीष्ट पूर्ति करते ही है और फिर वर्तमान युग के लिए तो यह अत्यंत महत्वपूर्ण साधना है ,जब जीवन में संघर्ष ,समस्याएं ,उलझन और तनाव ही है। यह साधना वास्तव में जीवन को पूर्ण रूप से जीने की साधना है |कायरता ,डर ,भययुक्त जीवन जीवन नही कहलाता और दुर्बल मनुष्य तो आज के समाज में कही स्थापित हो ही नही सकता।
इस साधना को करने के लिए कुछ विशेष सावधानियाँ
.साधक लाल वस्त्र ,लाल पुष्प और लाल आसन का ही प्रयोग करें 
.यह साधना दक्षिण दिशा की और मुख करके ही करें 
.रात्री को कभी भी सम्पन्न करें 
.साधना काल में ब्रम्हचर्य व्रत का पालन करें ,
         हनुमान जितनी सरल प्रकृति के है ,क्रोध आने पर उतने ही उग्र भी हो जाते है |,इसलिए यदि साधक साधना काल में अत्यंत क्रोध में रहने लगता है तो उसे परेशान नही होना चाहिए अपितु गुरु मंत्र का जप कर लेना चाहिए। हनुमान का एक विशिष्ठ गुण था उन्हें अपने गुरु ,अपने इष्ट पर पूर्ण विश्वास था इसलिए वह प्रत्येक कार्य करने को उद्धत रहते थे चाहे वह लंका तक पहुचना हो ,या समुद्र पार करना हो या फिर लक्ष्मण के लिए जड़ीबूटियों का पूर्ण पहाड़ लाना हो
यदि साधक अपने गुरु के प्रति पूर्ण विश्वास और साधना के प्रति पूर्ण विश्वास से यह साधना सम्पन्न करता है तो यह संभव ही नही की वह सफलता प्राप्त करें।
साधना विधि
इस साधना में आवश्यक सामग्री हनुमान यन्त्र तथा हकीक मालाहै  इस साधना को आप किसी भी शनिवार ,रविवार या सोमवार को संपन्न कर सकते है | साधक स्नानादि कर ,पूजा स्थान को स्वच्छ कर ले ,साधना हेतु लाल वस्त्र ही धारण करें और बैठने के लिए लाल आसन का ही प्रयोग करें |  अपने सामने लाल कपड़ा बिछा के ,एक पात्र में कुमकुम से हनुमान मंत्र ॐ हनुमत्ये नम:” लिख कर हनुमान यन्त्र को स्थापित कर दें । 
यन्त्र का पूजन सिन्दूर ,अक्षत ,पुष्प से करें ,यन्त्र के सामने तेल का दीपक लगा दे ,अगरबती लगा दे |हकीक माला को भी पुष्प रख कर स्थापित कर दें।
हनुमान का ध्यान करें – 
बालार्कयुक्ततेज संत्रिभुवन प्रक्षोभ्कम सुन्दरम
सुग्रीव्रादी मस्तवान रगणे संस्य्त्यदाम्बुजं !!
नादनैव समस्तराक्षसगणान्संत्र्यास्यन्तम न्संत्र्यास्यनतम प्रभुम ,
श्रीमुद्रामपदामबुजस्मृतिरतं ध्याय्सामी वातात्मजम !!
मंत्र :- ” !! नमो आंजनेयाय रुद्रात्मकाय नम: !! “
निम्न मंत्र की पांच माला जप होने के बाद साधक साधना स्थान में ही सो जायेँ | दिन बाद यन्त्र और माला नदी में प्रवाहित कर दे |अगर साधना २१ दिन लगातार की जाए तो अधिक लाभ प्राप्त होता है | साधक जो भी कामना ले कर यह साधना संपन्न करेगा उसमे उसे सफलता प्राप्त होगी ही  साधक में हनुमान और गुरु पर अट्टू श्रद्धा और विश्वास आवश्यक शर्त है |…………………………………………………..हरहर महादेव 


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