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महाकाल बटुक भैरव साधना

महाकाल बटुक भैरव साधना

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[[ कालाग्नि रूद्र प्रणीत ]]
———————————-  भैरव साधना भगवान शिव कि ही साधना है क्योंकि भैरव तो शिव का ही स्वरुप है| उनका ही एक नर्तनशील स्वरुप. भैरव भी शिव की ही तरह अत्यन्त भोले हैं,| एक तरफ अत्यधिक प्रचंड स्वरूप जो पल भर में प्रलय ला दे और एक तरफ इतने दयालु की आपने भक्त को सब कुछ दे डाले|
भैरव की उन अनेक साधनाओं में एक साधना है महर्षि कालाग्नि रूद्र प्रणीत महाकाल बटुक भैरवसाधना.| इस साधना की विशेषता है की ये भगवान् महाकाल भैरव के तीक्ष्ण स्वरुप के बटुक रूप की साधना है जो तीव्रता के साथ साधक को सौम्यता का भी अनुभव कराती है और जीवन के सभी अभाव,प्रकट वा गुप्त शत्रुओं का समूल निवारण करती है.|विपन्नता,गुप्त शत्रु,ऋण,मनोकामना पूर्ती और भगवान् भैरव की कृपा प्राप्ति,इस दिवसीय साधना प्रयोग से संभव है.| बहुधा हम प्रयोग की तीव्रता को तब तक नहीं समझ पाते हैं जब तक की स्वयं उसे संपन्न ना कर लें,|
ये प्रयोग रविवार की मध्य रात्रि को संपन्न करना होता है.| स्नान आदि कृत्य से निवृत्त्य होकर पीले वस्त्र धारण कर दक्षिण मुख होकर बैठ जाएँ.| सदगुरुदेव और भगवान् गणपति का पंचोपचार पूजन और मंत्र का सामर्थ्यानुसार जप कर लें | तत्पश्चात सामने बाजोट पर पीला वस्त्र बिछा लें, उसके ऊपर काजल और कुमकुम मिश्रित कर भैरव यन्त्र बनायें और यन्त्र के मध्य में काले तिलों की ढेरी बनाकर चौमुहा दीपक प्रज्वलित कर उसका पंचोपचार पूजन करें,| पूजन में नैवेद्य उड़द के बड़े और दही का अर्पित करें |.पुष्प गेंदे के या रक्त वर्णीय हो तो बेहतर है.| अब अपनी मनोकामना पूर्ती का संकल्प लें.और उसके बाद विनियोग करें.
अस्य महाकाल वटुक भैरव मंत्रस्य कालाग्नि रूद्र ऋषिः अनुष्टुप छंद आपदुद्धारक देव बटुकेश्वर देवता ह्रीं बीजं भैरवी वल्लभ शक्तिः दण्डपाणि कीलक सर्वाभीष्ट प्राप्तयर्थे समस्तापन्निवाराणार्थे जपे विनियोगः 
इसके बाद न्यास क्रम को संपन्न करें.
ऋष्यादिन्यास
कालाग्नि रूद्र ऋषये नमः शिरसि
अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे
आपदुद्धारक
देव बटुकेश्वर देवताये नमः हृदये
ह्रीं बीजाय नमः गुह्ये
भैरवी वल्लभ शक्तये नमः पादयो
सर्वाभीष्ट
प्राप्तयर्थे समस्तापन्निवाराणार्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे
करन्यास
ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां
नमः
ह्रीं तर्जनीभ्यां
नमः
ह्रूं मध्यमाभ्यां
नमः
ह्रैं अनामिकाभ्यां
नमः
ह्रौं कनिष्टकाभ्यां
नमः
ह्रः करतल करपृष्ठाभ्यां
नमः
अङ्गन्यास– 
ह्रां हृदयाय नमः
ह्रीं शिरसे स्वाहा
ह्रूं शिखायै वषट्
ह्रैं कवचाय हूम
ह्रौं नेत्रत्रयाय
वौषट्
ह्रः अस्त्राय फट्
अब हाथ में कुमकुम मिश्रित अक्षत लेकर निम्न मंत्र का ११ बार उच्चारण करते हुए ध्यान करें और उन अक्षतों को दीप के समक्ष अर्पित कर दें.
नील जीमूत संकाशो जटिलो रक्त लोचनः 
दंष्ट्रा कराल वदन: सर्प यज्ञोपवीतवान |
दंष्ट्रायुधालंकृतश्च कपाल स्रग विभूषितः 
हस्त न्यस्त किरीटीको भस्म भूषित विग्रह: ||
इसके बाद निम्न मूल मंत्र की रुद्राक्ष,मूंगा या काले हकीक माला से ११ माला जप करें 
ह्रीं वटुकाय क्ष्रौं क्ष्रौं आपदुद्धारणाय कुरु कुरु वटुकाय ह्रीं वटुकाय स्वाहा ||
Om
hreeng vatukaay kshroum kshroum aapduddhaarnaay kuru kuru vatukaay hreeng
vatukaay swaha ||
प्रयोग समाप्त होने पर दूसरे दिन आप नैवेद्य,पीला कपडा और दीपक को किसी सुनसान जगह पर रख दें और उसके चारो और लोटे से पानी का गोल घेरा बनाकर और प्रणाम कर वापस लौट जाएँ तथा मुड़कर ना देखें.|
विशेष

——– किसी भी साधना अथवा प्रयोग के पहले योग्य और सम्बंधित क्षेत्र के
व्यक्ति से संपर्क कर पूर्ण मार्गदर्शन लिया जाना आवश्यक है |जो साधना में है वे
इन प्रयोगों को कर लेते हैं किन्तु जो साधक नहीं हैं उन्हें केवल पोस्ट पढ़कर साधना
नहीं करनी चाहिए |
tantra में कभी
प्रयोग उलटे भी हो सकते हैं जो किसी भी गलती अथवा अशुद्धि के कारण हो सकते हैं
,जिससे नुकसान की संभावना भी हो सकती है |हमारा उद्देश्य जानकारी देना होता है
|इसे योग्य से समझकर लाभ उठाया जा सकता है ,किन्तु सीधे प्रयोग नहीं करना चाहिए
|………………………………………………………..हर
हर महादेव 



विशेष – ज्योतिषीय परामर्श ,कुंडली विश्लेषण , किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव ,सामाजिक -आर्थिक -पारिवारिक समस्या आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 


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