स्वयं को पहचानो ,देखो कहाँ कमी है क्या जरूरत है
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यदि आपकी जल्द रोने की आदत है ,निराशा ,टेंसन में हो जल्दी जाते हैं ,घबरा जाते हैं ,हीन भावना से ग्रस्त हो | वह भी नहीं ले पा रहे जो आपके भाग्य में है ,किसी के सामने जाने में घबराहट होती है ,सोचते हैं सामने वाला जाने कैसा व्यवहार करेगा ,असफलता ,पराजय का भय सताता है ,अकेले में बहुत कान्फिडेंस दीखता है ,पर परिस्थिति का सामना होते हिम्मत जबाब दे जाती है ,गंभीर परिस्थिति पर तत्काल निर्णय लेने में अक्षम हो जाते हैं ,प्लानिंग बड़ी -बड़ी करते हैं पर उन्हें साकार नहीं कर पाते ,बार -बार काम धंधे बदलने का मन होता है या लगातार स्थिर होकर किसी कार्य को बहुत दिनों तक नहीं कर पाते |बहुत जल्दी निराश ,हताश हो जाते हैं या बार बार मन में आता है की यह मुझसे नहीं हो पायेगा |कभी भी कहीं भी कोई भी दबा देता है ,नीचा दिखा देता है |
आपमें आत्मबल ,साहस ,आत्मविश्वास ,निडरता की कमी है तथा भावुकता ,कल्पनाशीलता ,कोमलता ,संवेदशीलता,आलस्य ,भावना प्रवाह अधिक है ,जबकि आप किसी प्रकार से लेखन ,कविता ,चित्रकारिता ,संगीत ,नृत्य ,अभिनय ,कला आदि क्षेत्रो से नहीं जुड़े है ,तो आपको सरस्वती ,मातंगी ,लक्ष्मी ,गायत्री ,राधा आदि कोमलता और भावुकता प्रदान करने वाली शक्तियों की आराधना की बजाय दुर्गा ,काली ,बगला , भैरव ,हनुमान जैसी शक्तियों की पूजा-साधना-आराधना करनी चाहिए ,जिससे आपमें चंचलता ,कर्मठता ,तीब्रता ,साहस ,आत्मविश्वास ,मनोबल ,ऊर्जा बढ़ सके ,अधिकतम सफलता हेतु आप प्रयास कर सके ,कार्य क्षमता में वृद्धि से आप सफल हो सके साथ ही इनके उच्चस्तर के साधक से बनवाकर अभिमंत्रित किया हुआ यन्त्र ताबीज में धारण करना आपका लाभ काफी बढ़ा सकता है |यदि पूजा पाठ न कर सकें तो कवच -ताबीज अवश्य धारण करें जो कम से कम २१ हजार मन्त्रों से अभिमंत्रित हो |.खुद को जानिये ,जरूरत के अनुसार निर्णय कीजिये ,सारा खेल ऊर्जा का है ,अधिकता और कमी दोनों हानिप्रद होते हैं जबकि सफलता संतुलन से ही मिलती है |अपनी शक्ति और ऊर्जा को संतुलित कीजिये |…………………………………हर-हर महादेव
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