:::::उच्चाटन प्रयोग –एक बहुउपयोगी तंत्र प्रयोग ::::::
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शायद आपने कभी महसूस किया हो की कभी जो कार्य ,जो वस्तु ,जो लोग आपको बहुत पसंद रहे हों ,जिनके प्रति आपमें आकर्षण रहा हो आज उस कार्य ,उस वस्तु या उन लोगों से आपका मन हट गया हो |इसे मन का उचटना कहते हैं जो अक्सर सामान्य रूप से भी होता है ,किन्तु यदि यही कार्य किसी तांत्रिक क्रिया अथवा टोने -टोटके द्वारा कर दिया जाय तो इसे उच्चाटन क्रिया कहते हैं जो तंत्र के अंतर्गत आने वाले ६ तरह की क्रियाओं में से एक है |हम आपको बताना च्चाहेंगे की तंत्र द्वारा सामान्यतया भौतिक उद्देश्यों से ६ तरह की क्रियाएं की जाती हैं |शान्ति कर्म -जिसमे तांत्रिक क्रियाओं द्वारा शान्ति ,समृद्धि ,खुशहाली ,आरोग्य आदि लायी जाती है ,दूसरा आकर्षण कर्म -जिसके द्वारा किन्ही व्यक्तियों अथवा लक्ष्य को आकर्षित किया जाता है की वह आपके अनुकूल हो सके ,तीसरा कर्म है -वशीकरण अर्थात किसी व्यक्ति अथवा देवी -देवता ,शक्ति को वशीभूत कर अपना उद्देश्य पूर्ण करना |चौथा कार्य है विद्वेषण अर्थात द्वेष उत्पन्न करना जब दो लोगों अथवा समूह में तांत्रिक क्रिया के फलस्वरूप विरोध उत्पन्न कर दिया जाता है |पांचवां तांत्रिक कर्म है उच्चाटन कर्म अर्थात कहीं से मन को उचाट कर देना जिससे वह पसंद न आये |छठा कर्म है मारण अर्थात तांत्रिक क्रियाओं के बल पर किसी को हानि पहुंचाना |in छः क्रियाओं को ही तंत्र में षट्कर्म कहा जाता है |
उच्चाटन अर्थात उचटना या हटना मन का |किसी वस्तु ,स्थान या व्यक्ति से किसी क्रिया के परिणाम स्वरुप किसी व्यक्ति का मन उचट जाना ,उच्चाटन कहलाता है |किसी से आपका विवाद हो गया ,मनमुटाव हो गया आप उससे दूर हो गए ,किसी के किसी गुण को नापसंद करते है उससे दूर रहते है यह सामान्य मन का उचटना है उससे या उसके गुणों से ,,किन्तु यही जब किसी तांत्रिक क्रिया के फलस्वरूप हो जाए तो उच्चाटन क्रिया हो जाती है ,,यह एक तांत्रिक षट्कर्म है ,,जिसमे किसी व्यक्ति के मन में किसी स्थान ,व्यक्ति ,गुण या वस्तु के प्रति अरुचि उत्पन्न कर दी जाती है ,फलतः व्यक्ति उस निर्देशित व्यक्ति या वस्तु या स्थान से हटने लगता है ,उसका लगाव समाप्त हो जाता है ,अरुचि उत्पन्न हो जाती है ,उसे वहां अशांति लगती है ,उद्विग्नता होती है ,दूर रहना अच्छा लगता है अर्थात प्रतिकर्षण उत्पन्न हो जाता है दोनों के बीच | यह क्रिया या तंत्र की सभी क्रियाएं तरंगों पर आधारित होती हैं |चाहे टोने -टोटके -अभिचार हों या शान्ति पुष्टि कर्म ,अनुष्ठान आदि सभी तरंगों द्वारा कार्य करते हैं |जैसे रेडियो और टेलीविजन ,टेलीफोन आदि तरंगों को पकड कर आपको ध्वनि सुनाते हैं अथवा दृश्य दिखाते हैं वैसे ही यहाँ भी तरंगों को भेजा जाता है और उन्हें स्वीकार किया जाता है |जिस पर भेजा जाता है उसका शरीर ग्रहण करता है और जो क्रिया करता है वह तरंग भेजता है |इनसे लाभ हानि दोनों की जाती है |आज का विज्ञानं ही ऐसी तरंगे उत्पन्न कर सकता है जो एक सेकेण्ड में मनुष्य की मृत्यु कर दें और मनुष्य को वह ध्वनि सुनाई भी न दे तो सोचिये यह तंत्र आदि तो ब्रह्माण्ड के सनातन ऊर्जा विज्ञान पर कार्य करते हैं जो आज से भी हजारों वर्ष आगे है |
उच्चाटन के बहुत अधिक दुरुपयोग भी होते हैं किन्तु उच्चाटन का प्रयोग बेहद उपयोगी है ,,जब किसी के घर का कोई सदस्य किसी अन्य के प्रति वशीभूत हो जाए ,रास्ते से भटक जाए ,गलत संगत में पड जाए ,किसी बुरी आदत का आदि हो जाए ,किसी के बहकावे में आ जाए |पति-पत्नी में से किसी का लगाव किसी अन्य से हो जाए ,घर परिवार बिखरने की स्थिति आ जाए ,पारिवारिक मान-सम्मान दाब पर लग जाए ,प्रतिष्ठा पर आच आ रही हो ,धन-संपत्ति का अपव्यय गलत कार्यों में किसी के द्वारा किया जा रहा हो ,कोई ऐसे सम्बन्ध का इच्छुक हो जिससे पारिवारिक मान-मर्यादा ,सस्कार का उल्लंघन हो रहा हो ,,कोई किसी पर अनावश्यक आसक्त हो ,कोई किसी को अकारण परेशान कर रहा हो ,किसी से किसी की दुरी बनाने की आवश्यकता हो ,किसी का मन किसी के प्रति उचाटना हो ,,किसी पर किसी बाहरी हवा आदि का प्रभाव हो उसे उचाटना हो ,बुरे ग्रहों के प्रभाव का उच्चाटन करना हो ,ग्रह प्रतिकूलता का उच्चाटन करना हो ,दरिद्रता -अशांति-कलह का उच्चाटन करना हो ,हटाना हो ,,किसी ने किसी की संपत्ति पर कब्जा कर रखा हो और न हट रहा हो ,उसका मन उस संपत्ति से उच्चाटित करना हो ,आदि आदि समस्याए हो तो उच्चाटन का प्रयोग बेहद लाभदायक हो सकता है |
उच्चाटन एक उग्र तांत्रिक क्रिया है ,जिसमे प्रकृति की उग्र शक्तियों,देवी-देवता का सहयोग लिया जाता है ,जबकि वशीकरण आदि में सौम्य शक्तियों का ,इसलिए उच्चाटन की क्रिया किसी योग्य जानकार के मार्गदर्शन में ही संभव है ,,|इसकी क्रियाप्रणाली प्रतिकर्षण के सिद्धांत पर आधारित है ,जिसमे किसी गुण ,स्थिति ,स्थान ,व्यक्ति ,धारणा के प्रति देवी-देवता की शक्ति के सहयोग से वितृष्णा ,अरुचि ,दुरी,अनाचाहापन उत्पन्न कर दिया जाता है ,फलतःलक्षित व्यक्ति के स्वभाव में ,पसंद-नापसंद में किसी गुण या व्यक्ति या स्थान के प्रति अरुचि उत्पन्न हो जाती है ,,व्यक्ति उससे दूर होने का प्रयत्न करने लगता है ,,उस स्थान ,गुण,या व्यक्ति के साथ होने पर उसे घबराहट ,उद्विग्नता ,उलझन ,अशांति होने लगती है और वह उससे दूर भागने लगता है ,|कोई भी तांत्रिक क्रिया हो यह तरंगों द्वारा रासायनिक परिवर्तन शरीर में उत्पन्न करती है |इनसे शुरू में छोटे छोटे परिवर्तन होते हैं जो बाद में बड़े हो जाते हैं |भौतिक परिवर्तन भी लगातार प्रभाव रहने पर आ जाता है |जब शरीर किन्ही तरंगों को ग्रहण करता है तो इससे शरीर की ग्रंथियों ,चक्रों आदि पर प्रभाव पड़ता है जिससे शरीर की रासायनिक कार्यप्रणाली प्रभावित होती है |हारमोन ,फेरोमोंन और आतंरिक ग्रंथियों से स्रावित रसायनों पर प्रभाव पड़ता है और उनकी प्रकृति बदलने लगती है जिससे रूचि ,स्वभाव ,कार्यकलाप में अंतर आता है और व्यक्ति की सोच ,पसंद आदि बदलने से वह क्रिया करवाने वाले के अनुकूल कार्य करने लगता है |किसी को उर करने के लिए जब क्रिया की जाती है तो जिससे दूर करना रहता है उसे लक्ष्य कर क्रिया की जाती है जिससे उसमे ऐसे परिवर्तन होते हैं की व्यक्ति उससे भागने लगता है |
उच्चाटन क्रिया रोगों को हटाने अर्थात उच्चाटित करने में ,ग्रह पीड़ा को दूर करने में ,नशे या बुरी संगत को छुडाने में ,किसी का किसी की संपत्ति से अनावश्यक जुड़ाव-लगाव-कब्ज़ा समाप्त कराने में भी बहुत उपयोगी हो सकती है |यद्यपि सभी तांत्रिक क्रियाओं के सदुपयोग और दुरुपयोग दोनों होते है ,पर यदि नैतिकता ,विवेक को बरकरार रखने हुए इनका आवश्यकतानुसार सदुपयोग किया जाए तो ये घर-परिवार ,व्यक्ति के जीवन की शांति, खुशहाली और उन्नति में बहुत सहायक हो सकते है |इनके प्रति दुर्भावना अथवा इन्हें बुरा समझने का मुख्य कारण यह है की अक्सर इनसे क्षति ही पहुंचाई जाती है या गलत उपयोग ही होता है |चूंकि इनके जानकार के पास ऐसी अंतर्दृष्टि नहीं होती की वह देख सकें की सामने वाला व्यक्ति सही बोल रहा या गलत बोल रहा ,वह कुछ पैसों के लिए उसकी बात मान या तो क्रिया बता देता है या कर देता है |यहीं गलत हो जाता है क्योंकि अक्सर जो तंत्र जानते हैं व्ही उरुपयोग भी करते हैं जो नहीं जानता वह अक्सर पीड़ित होता है |कभी कभी जानकार समझ भी जाता है की सामने का व्यक्ति गलत बोल रहा पर पैसे के लालच में फिर भी गलत कर जाता है या करा देता है |आज के समय में तंत्र का व्यापार करने वाले व्यवसायी ऐसा कर रहे और इन्ही कारणों से तंत्र बदनाम रहा है |गलती तंत्र की नहीं ,यह तो ऊर्जा उत्पन्न कर उसे उपयोग करने की तकनीक मात्र है ,गलत व्यक्ति होता है जो उसका उपयोग दुरूपयोग में बदलता है |in कर्मों को बनाया गया था जीवन सुखद और सरल करने तथा बिगड़े को सुधारने के लिए किन्तु कोई दुरुपयोग कर जाए तो तंत्र का क्या दोष |हमारा उद्देश्य तंत्र की एक विधा की जानकारी देना मात्र था की ऐसा होता है |श्रोता और पाठक इनसे लाभ उठा सकते हैं |हमने ऐसे अनेक विषय अपने इस अलौकिक शक्तिया चैनल पर प्रकाशित कर रखे हैं जिनसे आपको लाभ हो सके |धन्य वाद …………………….[-व्यक्तिगत विचार ]…………………….हर-हर महादेव
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