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कैसे करें टेलीपैथी [विचार सम्प्रेषण ] की क्षमता का विकास

::::::: कैसे करें टेलीपैथी [विचार सम्प्रेषण ] की क्षमता का विकास :::::::
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             टेलीपैथी वास्तव में एक संज्ञान है जो देश -काल -वातावरण के दबाव में उभर जाता है और मनुष्य को भविष्य की घटनाओं का बोध हो जाता है |इस रहस्यपूर्ण विद्या के विकास के लिए निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है |किसी स्थान पर सुखासन में बैठकर या आराम से लेटकर अपने विचारों और भावों को आत्म केन्द्रित करना चाहिए |जब ऐसा अनुभव हो की मेरे मष्तिष्क में कोई विचार नहीं है या ह्रदय भावों से शून्य हो गया है ,तब किसी एक निश्चित विचार को मष्तिष्क में पैदा करना चाहिए |ऐसी भावना होनी चाहिए की जो विचार पैदा हुआ है वह वायु तरंगों में तैरता हुआ एक निश्चित व्यक्ति तक पहुच रहा है |विचार सम्प्रेषण की इस मानसिक विधि में कुछ अभ्यास के अनंतर आप देखेंगे की जिस व्यक्ति को आप जो विचार संप्रेषित कर रहे हैं ,वह उन्हें ग्रहण कर रहा है और अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त कर रहा है | “आत्म सम्मोहन ” टेलीपैथी को विकसित करने का सशक्त माध्यम हो सकता है |आत्म सम्म्फान की अवस्था में यदि आप स्वयं को निर्देशित कर सकते हैं तो दूसरों को भी निर्देशित कर सकते हैं |इसके द्वारा आप किसी बुरे मनुष्य के आचरण में सुधर कर सकते हैं वह भी दूर बैठे |विश्व में ज्ञान युग का प्रवर्तन करने वाले अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त महर्षि महेश योगी का दावा है की एक स्थान पर बैठकर कुछ लोग जब “भावातीत ध्यान “करते हैं ,अपने भीतर सतोगुण का विकास करते हैं तो तो उस स्थान के चतुर्दिक शुद्ध भावनाओं का प्रवाहन होने लगता है |परिणाम यह होता है की उस सामाजिक परिवेश से बुराइयां ख़त्म होती हैं |हिंसा ,उन्माद ,लोभ ,घृणा ,जैसे भाव धीरेधीरे विलुप्त होने लगते हैं और सामान्य जनता के मन में आपसी भाईचारे ,सहिष्णुता ,मैत्री और प्रेम भावों का संचार होने लगता है |महर्षि महेश योगी जिसे भावातीत ध्यान कहते हैं ,वह वस्तुतः आत्मा सम्मोहन अथवा टेलीपैथी के अभ्यास का एक उन्नत क्रम प्रतीत होता है |इस ध्यान पद्धति में मनुष्य का मन समस्त गुणों से परे चला जाता है |तब आत्म चैतन्य स्वतः झलकने लगता है |आत्म चैतन्य की अवस्था में योगी
समाज को जैसे निर्देश देगा ,उसका अनुपालन होगा |टेलीपैथी से बुरों को यदि सुधार जा सकता है तो अच्छो को बिगाड़ा भी जा सकता है |आत्म सम्मोहन की अवस्था में यदि आप लगातार किसी को बद्दुआ देंगे तो सम्बंधित व्यक्ति का अपकार भी हो सकता है |
               आभिचारिक कर्मकांड में होता क्या है ?हम अपनी तीब्र घृणा और हिंसा की भावनाओ को अपने शत्रु पर प्रक्षेपित करते हैं और उसका अपकार करने में सफल हो जाते हैं |जादूटोना-टोटका सबका यही रहस्य है |आप इसे आदिम मानव का अंधविश्वास कह सकते हैं |किन्तु गहराई से विवेचना करें तो अंधविश्वासों के पीछे जो दृढ़ता का भाव होता है ,यह दृढ विस्वास ही और भाव ही अँधविश्वासों को फलीभूत करता है वर्ना मारण तंत्र में नीबू को काट देने मात्र अथवा मिटटी को पिन चुभाने से सम्बंधित शत्रु की हिंसा नहीं होती ,किसी की नजर मात्र पड़ने से कोई बच्चा रोने न लगता या ज्वर से पीड़ित न होता |ऐसा होता है और यह होता है विचारों के सम्प्रेषण से अर्थात विचार सम्प्रेषण की भी एक शक्ति होती है |जो भी कल्पना अथवा विचार हमारे अंतर्मन में प्रवेश करता है ,वह सच निकलता है यह सिद्धांत है ,और इसी सिद्धांत की नीव पर स्वयं सूचना की इमारत खड़ी होती है |मनुष्य के जाग्रत तथा अंतर्मन पर वाह्य सृष्टि में पाई जाने वाली वस्तुओं तथा घटने वाली घटनाओं का क्या -क्या असर हो जाता है |विचारों का यह सम्प्रेषण यदि स्पर्श में बदल जाता है तो एक चमत्कार घटित हो जाता है |स्पर्श शक्ति द्वारा साधक माध्यम के शरीर में चुम्बकीय तरंगों को
प्रवाहित कर देता है |स्पर्श चिकित्सा को अंग्रेजी में टच हीलिंग या पासिंग कहते हैं जिसका सम्मोहन क्षेत्र में बड़ा महत्व है
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हर महादेव
 

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