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ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ = [[ भाग -१२ ]

योग में ध्यान का महत्व
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अग्नि की तरह है ध्यान। बुराइयां उसमें जलकर भस्म हो जाती हैं। ध्यान है
धर्म और योग की आत्मा। ध्यानियों की कोई मृत्यु नहीं होती। लेकिन ध्यान से जो अलग
है बुढ़ापे में उसे वह सारे भय सताते हैं
, जो मृत्यु के भय से उपजते हैं। अंत काल में उसे अपना जीवन नष्ट ही जान
पड़ता है। इसलिए ध्यान करना जरूरी है। ध्‍यान से ही हम अपने मूल स्वरूप या कहें कि
स्वयं को प्राप्त कर सकते हैं अर्थात हम कहीं खो गए हैं। स्वयं को ढूंढने के लिए
ध्यान ही एक मात्र विकल्प है।
 दुनिया
को ध्यान की जरूरत है चाहे वह किसी भी देश या धर्म का व्यक्ति हो। ध्यान से ही
व्यक्ति की मानसिक संवरचना में बदलाव हो सकता है। ध्यान से ही हिंसा और मूढ़ता का
खात्मा हो सकता है। ध्यान के अभ्यास से जागरूकता बढ़ती है जागरूकता से हमें हमारी
और लोगों की बुद्धिहिनता का पता चलने लगता है। ध्यानी व्यक्ति चुप इसलिए रहता है
कि वह लोगों के भीतर झांककर देख लेता है कि इसके भीतर क्या चल रहा है और यह ऐसा
व्यवहार क्यों कर रहा है। ध्यानी व्यक्ति यंत्रवत जीना छोड़ देता है।
 मौन कर देता है ध्यान ध्यान बहुत
शांति प्रदान करता है। ध्यानस्थ होंगे
, तो ज्यादा बात करने और जोर
से बोलने का मन ही नहीं करेगा। जिनके भीतर व्यर्थ के विचार हैं वे ज्यादा बात करते
हैं। वे प्रवचनकार भी बन जाते हैं। यदि गौर से देख
 जाए तो वे जिंदगीभर वही वहीं बातें करते रहते हैं
जो अतीत में करते रहे हैं। भटके हुए मन के लोग जिंदगी भर व्यर्थ की बकवास करते
रहते हैं जैसे आपने टीवी चैनलों पर बहस होते
 देखी होगी। समस्याओं का समाधान बहस में नहीं ध्यान में है।
विचारों पर नियंत्रण हमारे मन में एक साथ कई विचार चलते रहते हैं। मन में दौड़ते विचारों से
मस्तिष्क में कोलाहल सा उत्पन्न होने लगता है जिससे मानसिक अशांति पैदा होने लगती
है। ध्यान अनावश्यक विचारों को मन से निकालकर शुद्ध और आवश्यक विचारों को मस्तिष्क
में जगह देता है।
 आत्मिक शक्ति का विकास ध्यान तन, मन और आत्मा के
बीच लयात्मक सम्बन्ध बनाता है और उसे बल प्रदान करता है। ध्यान का नियमित अभ्यास
करने से आत्मिक शक्ति बढ़ती और मानसिक शांति की अनुभूति होती है। ध्यान का अभ्यास
करते समय शुरू में
5 मिनट भी काफी
होता है। अभ्यास से
20-30 मिनट तक
ध्यान लगा सकते हैं।
…………………………………………………….. हर हर महादेव 



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