कौन लोग काला जादू कर सकते हैं ,कौन प्रभावित हो सकता है
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काला जादू मुख्य रूप से कर्ता की मानसिक शक्ति से जुड़ा हुआ है इसलिए काला जादू या Black-Magic से कर्ता जितना ज्यादा जुड़ा होता है उसका असर उतना ही मजबूत होता है। अगर आपको किसी की सच्चाई जाननी है तो उससे बात करे, उसके पास जाए. अगर आप उनसे बात करते है तो उनकी ऊर्जा आपके औरा क्षेत्र को घेरने लगती है. कुछ देर बात करने के बाद अगर आप खुद को अपने नियंत्रण से बाहर महसूस करे, सामने वाले की बातो को नजरअंदाज नहीं कर पाए तो समझ ले की वो आपसे ज्यादा आध्यात्मिक और भौतिक स्तर पर शक्तिशाली है। जब आप ऐसे लोगो के पास जाये तो उनके पास खड़े होने पर आप वातावरण में अनजानी ऊर्जा महसूस होने लगती है। क्यों की इनका औरा क्षेत्र सामान्य क्षेत्र से कही ज्यादा होता है। इसलिए ज्यादा समय इनके साथ बिताने की वजह से आपका आज्ञाचक्र आपकी समझ ख़त्म होने लगती है।आप कमजोर आत्मबल के हैं ,पतले रक्त प्रकृति के हैं ,हीन भावना से ग्रस्त है ,मानसिक दबाव ,तनाव में हैं पूर्णिमा ,अमावस्या के आसपास जन्म है ,सप्तम -अष्टम या लग्न में चन्द्रमा है ,राहू -केतु का आप पर प्रभाव है ,कुलदेवता सुरक्षा नहीं दे रहे ,पित्र असंतुष्ट हैं ,किसी प्रबल ईष्ट की कृपा प्राप्त नहीं हैं ,किन्ही मजार ,चौकी जैसी आत्मिक शक्तियों के स्थान पर जाकर आपने अपनी पारिवारिक दैवीय शक्तियों को रुष्ट कर लिया है तो आपके काले जादू से प्रभावित होने की अधिक संभावना है |
काले जादू के प्रभाव के लक्षण
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काले जादू का प्रभाव हमेशा दिखे या समझ आये यह जरूरी नहीं |काला जादू को ही तंत्र में अभिचार भी कहा जाता है |इसमें प्रयुक्त शक्ति ,प्रयोग करने वाले साधक की शक्ति के अनुसार ही लक्षण उत्पन्न होते हैं |भेजी जा रही या प्रक्षेपित शक्ति अगर आत्मा रूपी हुई तो उसके प्रभाव तीव्र होते हैं ,जबकि स्वयं यह साधक की अर्जित ऊर्जा रुपी हुई तो इसके प्रभाव धीमे होते हैं ,यद्यपि यह बहुआयामी हो सकते हैं |कभी कभी काले जादू हेतु दैवीय शक्तियों को भी मजबूर किया जाता है और वह मजबूरी में साधक की इच्छाओं से बंधकर किसी का क्षति भी करते हैं |काले जादू के प्रयोग होने पर ,सबकुछ ठीक होने पर भी व्यक्ति को अशुभ लक्षण दिखने लगते हैं ,स्वास्थ्य विपरीत हो सकता है जबकि कोई बीमारी नहीं पकड में आती |अक्सर नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं ,मन उचाट होता है |उद्विग्नता ,तनाव ,चिंता ,हानि ,दुर्घटना ,अपयश अनायास होने लगती है |घर में कलह ,विवाद ,मतभिन्नता .खिन्नता ,उदासी उत्पन्न होता है |व्यक्ति केन्द्रित प्रयोग हो तो व्यक्ति अनायास कष्ट पाता है या अचानक मृत्यु भी पा सकता है |अंग विशेष पर क्रिया हो अथवा पुतली प्रयोग हो तो अंग विशेष में कष्ट अथवा निष्क्रियता आने लगती है |घातक प्रयोगों पर घुटन ,सांस रुकना ,हृदयाघात ,रक्तस्राव ,मानसिक विकलांगता ,दुर्घटना आदि हो सकती है |
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