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कुण्डलिनी मुद्रा [kundalini mudra]

कुंड़लनी मुद्रा

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बाएं हाथ की तर्जनी अंगुली को बाहर कर मुट्ठी बन्द कर लें और दाएं हाथ में बाएं हाथ की तर्जनी अंगुली को लेकर मुट्ठी बन्द कर लें और अंगूठे के टिप को बाएं हाथ की तर्जनी अंगुले के टिप पर रखें। इन मुट्ठीयों को नाभि के निचले हिस्से में रखें।

कुंड़लिनी मुद्रा 15-15 मिनट दिन में तीन बार कर सकते हैं।

लाभ:

जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है कि कुंड़लिनी मुद्रा करने से कुंड़लिनी जागरण होता है।

कुंड़लिनी मुद्रा का लगातार अभ्यास करने से मनुष्य की आध्यात्मिक और दैवी शक्तियों का मिलाप होता है।

कुंड़लिनी मुद्रा करने से स्वाधिष्ठान चक्र जागृत होता है जिससे सभी सृजनात्मक शक्तियों का जागरण होता है।


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