Alaukik Shaktiyan

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प्रार्थना से कैसे चमत्कार होता है ?

आपकी प्रार्थना से चमत्कार होते हैं 

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          प्रार्थना एक ऐसा शब्द है जो दुनिया के हर धर्म में ,हर सम्प्रदाय में ,हर जाती में ,हर वर्ग में यहाँ तक की हर व्यक्ति में पायी जाती है ,भले वह व्यक्ति नास्तिक हो ,वह वर्ग ,धर्म ईश्वर को न मानता हो ,अथवा साकार न मानता हो |फिर भी हर कोई ,हर समुदाय प्रार्थना करता ही है ,स्वरुप चाहे कुछ भी हो |चाहे वह कामना हो ,उलाहना हो ,अथवा अनुकूलता की ईच्छा हो हर व्यक्ति अलौकिक ब्रह्माण्ड व्यापी शक्ति से ईच्छा -प्रार्थना करता ही है की अमुक हमारे लिए ऐसा हो जाए |भले व्यक्ति हाथ जोड़ कर न खड़ा हो ,सर न झुका हो किन्तु आतंरिक रूप से प्रार्थना कभी न कभी करता ही है |कभी सोचा है ऐसा क्यों है |इसका कारण है की हर व्यक्ति चेतन स्तर पर भले इसका अर्थ न जानता हो ,इसका महत्व न समझता हो ,इसके प्रभाव न अनुभूत करता हो ,किन्तु उसके अवचेतन पर इसका प्रभाव जन्म जन्मान्तरों से अंकित है |व्यक्ति की आत्मा ,उसका अवचेतन जन्म जन्मान्तरों ,सदियों ,सहस्त्रों वर्षों के अनुभव -अनुभूतियाँ संगरहित रखता है |व्यक्ति के जानते हुए भी उसका अवचेतन उससे वह क्रियाएं स्वतः करवाता है जो व्यक्ति समझता भी नहीं है |यही अवचेतन कभी कभी अनेकानेक रहस्य खोलता रहता है |जो पूर्व जन्म अथवा पिछले समयों को पढ़ पाते हैं वह आपके लिए चमत्कार हो सकते हैं ,किन्तु जानने वाल जानता है की उन्होंने अपने अवचेतन को इतना विकसित कर लिया है की वह पिछले समयों को देख पा रहे हैं |हम बात प्रार्थना की कर रहे हैं ,अन्य विषयों को हम क्रमशः उठाएंगे |

          प्रार्थना से चमत्कार होते हैं ,यह हर धर्म जानता है ,हर व्यक्ति का अवचेतन जानता है ,इसीलिए एक बात हर धर्म में सामान रूप से पायी जाती है ,प्रार्थना ,प्रार्थना और प्रार्थना |क्योकि यही मूल चीज है आपके अवचेतन से ,आपसे ब्रह्माण्ड की महानतम शक्ति से ,मूल ऊर्जा से आपको जोड़ने की |उस शक्ति को आप ईश्वर कहते हैं ,अल्लाह कहते हैं ,गुरु कहते हैं ,ईशु कहते है या कुछ भी कहते हैं किन्तु सबकी पद्धति एक ही है उससे जुड़ने की ,वह है प्रार्थना |इसीलिए हर धर्म ,वर्ग में प्रार्थना समान रूप से पायी जाती है |यही शक्ति आपको ,आपके अंतरात्मा को ,आपके अवचेतन को ब्रह्माण्ड की शक्ति से जोडती है और अवचेतन की सबलता से आपको अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं जिसे आप कहते हैं की ईश्वर की कृपा हुई |वास्तव में सारा खेल आपका खुद का है |इश्वर तो हमेशा था ,हमेशा रहेगा |किन्तु वह तब क्यों नहीं सुन रहा था जब आप प्रार्थना नहीं कर रहे थे |ईश्वर कोई रूप आकृति नहीं ,ऊर्जा मात्र है ,जो सर्वव्यापी है |वह तब तक नहीं सुन रहा था ,जब तक आपकी अवचेतन की शक्ति उससे नहीं जुडी थी |सारा चमत्कार तो आपका खुद का है ,आपके अन्दर की महान शक्ति का है जो उस परम ऊर्जा या शक्ति को आपके लिए अनुकूल करती है ,आपसे जोडती है |इसी को विकसित करके चमत्कार होते हैं |यह प्रार्थना द्वारा जुडती है |किन्तु प्रार्थना केवल हाथ जोड़ने से नहीं होती |इसकी तकनिकी होती है |कारगर प्रार्थना हो तो चमत्कार होते हैं |ईश्वरीय ऊर्जा खुद मदद करती है ,यहाँ धर्मों जातियों का कोई महत्त्व नहीं |

          क्या आप जानते हैं ,कारगर प्रार्थना कैसे की जाती है ,कितने लम्बे समय से आपने नियमित प्रार्थना करना छोड़ दिया है |अक्सर खतरे या मुसीबत ,बीमारी या मौत के करीब आने पर आपातकालीन स्थिति में प्रार्थनाएं मुंह से निकलती हैं |क्यों -कभी सोचा है ऐसा क्यों है |क्यों उस समय मंत्र नहीं निकलते आपके मुह से आपके अवचेतन से ,क्यों आपकी भाषा में ही प्रार्थना निकलती है ,,क्यों उस समय जप नहीं करते ,क्यों उस समय आयते नहीं पढ़ते ,क्यों बाइबिल नहीं पढ़ते |में बिलकुल आपात स्थिति की बात कर रहा हूँ जब कोई विकल्प नहीं होता |उस समय क्यों आप हताश प्रार्थना ही करते हैं |और अक्सर आपकी प्रार्थना सफल भी होती है |यही वह सूत्र है ,वह कारगर तकनीक है जो आपको परम शक्ति या ऊर्जा से या ईश्वर से या अल्लाह से जोडकर आपके ईक्षा की दिशा में कार्य कर जाती है |इसका विज्ञान यह है की आपका अवचेतन उस सूत्र को हमेशा याद रखे है की कैसे परम ऊर्जा से खुद को जोड़ा जाता है |तभी आपात स्थिति में खुद बी खुद अंतरात्मा से आवाज निकलने लगती है ,जिसे प्रार्थना कहते हैं |जबकि चेतन मन में होते ,सामान्य बुद्धि में रहते आप उस तरह उसे याद नहीं कर पाते ,उससे प्रार्थना नहीं कर पाते |यह सारा खेल आपके अवचेतन का है |सोचिये एक क्षण का अवचेतन इतना काम करता है तो |अगर यह जाग्रत हो जाए ,आप इसकी तकनीक जान जाएँ ,इसे क्रियाशील करके अपने काम में लाने लगें तो क्या नहीं हो सकता है |

        मुसीबत में प्रार्थना हमेशा मदद करती है |लेकिन प्रार्थना को अपने जीवन का अखंड और सृजनात्मक हिस्सा बनाने के लिए हम मुसीबत का इंतज़ार क्यों करें |प्रार्थना के नाटकीय चमत्कार अखबार की सुर्ख़ियों में छपते रहते हैं |जो इस बात का सबूत हैं की प्रार्थना कारगर होती है |लेकिन प्रार्थना के अन्य रूप भी हैं जैसे बच्चों की छोटी -छोटी प्रार्थनाएं ,हर दिन भोजन के वक्त इश्वर का स्मरण ,इश्वर के साथ सम्प्रेषण की इच्छा से की गई धार्मिक आराधना |मैंने बहुत समय तक प्रार्थना की विभिन्न विधियों का अध्ययन किया है |मैंने खुद इसकी शक्ति महसूस की है |इसके आलावा मैंने कई ऐसे लोगों के साथ बातचीत और काम किया है ,जिन्हें प्रार्थना से बहुत लाभ हुआ है |चूंकि में ज्योतिष और तदुपरांत तन्त्र साधनाओं के क्षेत्र में कार्यरत हूँ ,मेरी रूचि सदैव से ऐसी तकनीकियाँ खोजने में रही है जिससे कम से कम समय में ,कम से कम श्रम में ,कम से कम ज्ञान में खुद को इश्वर से जोड़ा जा सके |तत्काल राहत पायी जा सके |सिद्धि-साधना-अनुष्ठान-पूजा-पाठ आदि सबके बस के नहीं हैं ,जानकारी -ज्ञान-समय-श्रम मांगते हैं ,जिनके पास ज्ञान नहीं ,समय नहीं ,श्रम नहीं कर सकते ,पैसा नहीं हैं ,पद्धति नहीं जानते वह कैसे तुरंत राहत पायें ,कैसे खुद को इश्वर से जोड़ें ,खुद को सफल बनाएं ,यही मेरे रूचि का विषय रहा है |यह मुझे मिला उन सूत्रों में जो सभी धर्मों में सामान था ,जो ज्ञानी से अज्ञानी में सामान था ,जो साधारण से महान तक में सामान था |जो किसी को भी महान बना सकता है ,जो हर महान के पीछे समान था |यह था प्रार्थन ,,यह था हर व्यक्ति का अवचेतन ,यह था हर व्यक्ति में पाई जाने वाली अपार ऊर्जा |इसलिए मैंने इन सूत्रों की और ध्यान दिया और जो मिला क्रमशः अपने website – alaukikshaktiyan.com ,facebook page – अलौकिक शक्तियां और Tantra Marg के द्वारा अपने पाठकों तक पहुचाने का प्रयत्न कर रहा हूँ |

        प्रार्थना में अपार शक्ति है ,यह सभी जानते हैं ,किन्तु इसकी तकनिकी है ,इसके भी सूत्र हैं |कारगर प्रार्थना हो तो वह लक्ष्य को पूर्ण करती है |किन्तु सभी इस कारगर प्रार्थना को नहीं जानते ,जबकि खुद सभी कभी न कभी इसे किये भी होते हैं |किन्तु सामान्य दिनों में फिर भी इसे भूले होते हैं |आम तौर पर समस्या यह आती है की किसी दुसरे को प्रार्थना करना कैसे सिखाया जाए |मुसीबत में फंसे लोगों के लिए तार्किक ढंग से सोचना और काम करना मुश्किल होता है ,उनकी समस्याएं उन पर हावी हो जाती हैं और सुनने -समझने की क्षमता को कम कर देती हैं |उन्हें कोई आसान फार्मूला चाहिए ,जिसका वे पालन कर सकें |कोई कारगर तरीका जो सरल लेकिन विशेष हो |

वैज्ञानिक प्रार्थना मष्तिष्क के चेतन और अवचेतन स्तरों के बीच की ऐसी सामंजस्य पूर्ण क्रिया है ,जिसे किसी विशिष्ट उद्देश्य को पाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से निर्देशित किया जाता है |आपके भीतर जो अनंत शक्ति छिपी है वह आपको सबकुछ पाने में समर्थ बना सकती है |इस चमत्कारी शक्ति का इस्तेमाल करके आप अधिक सुखी ,पूर्ण और समृद्ध जीवन जी सकते हैं |रोजमर्रा की समस्याएं सुलझा सकते हैं अपने पक्ष में और पारिवारिक रिश्तों में सद्भाव ला सकते हैं |वैज्ञानिक प्रार्थना ,कारगर प्रार्थना के कुछ फार्मूले हैं ,कुछ सूत्र हैं ,कुछ तकनिकी है |

        प्रार्थना हर समुदाय ,धर्म ,जाती में की जाती है ,एक आधार के रूप में |आपात स्थिति में केवल प्रार्थना ही निकलती है मन से ,कोई मंत्र पद्धति याद नही रहता उन विषम परिस्थितियों में जब बुद्धि काम करना बंद कर देती है |सामान्य स्थिति में अधिकतर व्यक्तियों को प्रार्थना के परिणाम नहीं मिलते जबकि आपात स्थिति में मिल जाते हैं | आप जिस चीज के लिए प्रार्थना करते हैं ,अकसर आपको उसके उलटे परिणाम क्यों मिलते हैं |लोग बार बार हमसे पूछते हैं की बार बार प्रार्थना करने के बावजूद मुझे मांगी हुई चीज क्यों नहीं मिली |इसके कारण है |इसका कारण उस सूत्र को न जानना है जिससे आपकी प्रार्थना फलीभूत नहीं होती |

       बहुत से लोग सोचते हैं की व्यक्ति की प्रार्थना का जबाब उस चीज के कारण मिलता है ,जिसमे वह विश्वास करता है |ऐसा नहीं है |उसे तो जबाब अपने विश्वास के कारण मिलता है |प्रार्थना का फल तो तब ही मिलता है ,जब व्यक्ति का अवचेतन मन उस व्यक्ति की मानसिक तस्वीर या विचार पर प्रतिक्रिया करके उसे हकीकत में बदल देता है |विश्वास का यह नियम दुनिया के सभी धर्मों का गोपनीय सिद्धांत है |यह उसके मनोवैज्ञानिक सत्य का छिपा हुआ कारण है |धार्मिक भिन्नताओं के बावजूद बौद्ध ,ईसाई ,मुश्लिम और यहूदी लोगों को अपनी प्रार्थनाओं के जबाब मिलते हैं |ऐसा कैसे हो सकता है |इसका कारण यह है की प्रार्थनाओं के जबाब किसी ख़ास आस्था ,धर्म ,जुड़ाव ,कर्मकांड ,संस्कार ,आराधना ,भजन ,मंत्र ,बलि ,या चढ़ावे के कारण नहीं मिलते हैं |जबाब तो उस आस्था या मानसिक स्वीकृति के कारण मिलते हैं जिसके साथ प्रार्थना की जाती है |

जीवन का नियम आस्था का नियम है |आस्था या विश्वास को संक्षेप में आप मष्तिष्क का विचार कह सकते हैं |व्यक्ति जैसा सोचता ,महसूस करता और विश्वास करता है ,वैसी ही उसके मन ,शरीर और परिस्थितियों की स्थिति होती है |आप क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं, यह जान लेने के बाद आप अवचेतन मन की मदद से ऐसी तकनीक तैयार कर सकते हैं ,जो आपको जीवन की सभी अच्छी चीजें दिलाये |सफल प्रार्थना का मूल अर्थ मनोकामना पूरी होना है |यह संभव होता है अवचेतन मन की शक्ति से |आपकी प्रार्थना जब आपके अवचेतन में एक निश्चित तस्वीर और प्रकृति बनाती है ,तब चमत्कार होने शुरू होते हैं |यही मूल सिद्धांत सभी साधानाओं की ,सिद्धियों की भी होती है |इनका धर्म ,जाती से कोई लेना देना नहीं होता |धर्म ,जाती कल्पना और विश्वास उत्पन्न करते हैं ,,चमत्कार तो आपका अवचेतन करता है |यहाँ किसी ख़ास ईश्वर का कोई महत्त्व नहीं ,यह कोई भी हो सकता है |हाँ इसकी अपनी एक तकनिकी ,सूत्र और सिद्धांत हैं ,जिनके अनुसार यह कार्य करता है |इसे ही जान लेने पर सफलता मिलने लगती है |

         आपके अवचेतन मन की चमत्कारी शक्तियां उस समय भी मौजूद थी ,जब आप या मै पैदा भी नहीं हुए थे |जब कोई चर्च नहीं था ,मंदिर नहीं था ,जब दुनिया ही नहीं थी |जीवन की महान शाश्वत सच्चाइयां और सिद्धांत उस समय भी मौजूद थे ,जब कोई धर्म शुरू नहीं हुआ था |आप इस अद्भुत ,जादुई ,कायापलट कर देने वाली शक्ति तथा उसकी उपयोगिता को जानकर मानसिक और शारीरिक घावों को भर सकते हैं |डरे मन को हौसला दे सकते हैं |गरीबी ,असफलता ,दुःख ,कमी तथा कुंठा की सीमाओं से पूरी तरह आजाद हो सकते हैं |आपको तो मानसिक और भावनात्मक रूप से उस अच्छी चीज के साथ जुड़ना है बस ,जिसे आप हकीकत बनाना चाहते हैं |आपके अवचेतन मन की रचनात्मक शक्तियाँ इसी के अनुसार प्रतिक्रया करेंगी |

        जब आपके अवचेतन में कोई भाव उत्पन्न हो सथाई होता है तो एक आकृति और प्लान उत्पन्न होता है ,जिसके कारण प्रकृति की सामान ऊर्जा स्वतः संघनित होने लगती है और आपकी सफलता बढने लगती है |अवचेतन में जन्मों के संगृहीत सूचनाएं स्वतः मार्ग बनाने लगती हैं |इसीलिए एक कहावत कही गयी है की जब व्यक्ति चाह ही ले तो प्रकृति भी उसकी मदद करने लगती है |इस कहावत का यही तात्पर्य है |पर हाँ आपकी सोच आपके अवचेतन तक पहचनी चाहिए ,और उसे प्रभावित करनी चाहिए |९९.९९ मामलों में ऐसा नहीं होता |चेतन मन तक ही सोच और क्रियाएं रह जाती हैं और सफलता असफ़लत का संतुलन मात्र शारीरिक और मानसिक स्थूल योग्यता पर निर्भर रह जाता है |इस तकनीक को की कैसे हम अपने अवचेतन को क्रियाशील करके सफलता पायें ,हम विश्लेषित करेंगे अपने अगले अंकों में |प्रार्थना कैसे फलीभूत हो |क्या तकनिकी अपनाई जाए इसे हम अगले अंकों में लिखेंगे |चूंकि विषय बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण है ,इसलिए पूर्ण व्याख्या के साथ चलना आवश्यक है |सम्पूर्ण समझ के लिए अंकों को क्रमशः देखते रहें हमारा website – alaukikshaktiyan.com |……………………………………………………………हर-हर महादेव 


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