जीवन के लिए आधार वाक्य जरुर बनाएं
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किसी भी व्यक्ति की सफलता या असफलता में उसके अन्दर अवचेतन में बैठी हुई बातें ,भावनाएं सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं |आपके सामने कोई बड़ा काम आ गया या कम समय में कुछ कार्य आपको करना हो गया और सुनते ही आपके मन में विचार उठा या आपने कहा की यह नहीं हो पायेगा |बस यही आप आधा हार गए ,आपसे काम नहीं होगा यह बात तो बाद में सामने आएगी किन्तु वह काम नहीं होगा इसकी शुरुआत काम शुरू होने के पहले ही हो गया ,जबकि यदि आपके मन में आता की हो जाएगा ,या असम्भव नहीं सब हो जाएगा ,तो यहीं से आपकी सफलता कई प्रतिशत बढ़ जाती |अब इसके अंतर को हम समझाते हैं जब आप -हो जाएगा या असम्भव नहीं सब हो जाएगा, बोलते हैं तो तुरंत आपके अवचेतन की प्रतिक्रया शुरू हो जाती है और काम कैसे होगा ,क्या आवश्यकता होगी ,कैसे क्या हो सकता है इस बारे में सोचना शुरू कर देता है ,आपको पता भी नहीं चलता किन्तु आपका दिमाग और पुरानी जानकारियाँ अपने आप उसके बारे में खाका बनाने लगते हैं |आप जब कह देते हैं की नहीं हो पायेगा या असंभव है तो आपका अवचेतन मान लेता है की यह काम आपसे नहीं होगा और वह चुपचाप शांत बैठ जाता है ,न कुछ सोचता है न कोई जानकारी खोजने का प्रयास करता है |
दरअसल यह आपके द्वारा चुने गए आधार वाक्य है |आपका आधार वाक्य यहाँ है की असम्भव है या नहीं हो पायेगा तो काम नहीं होता और सब कुछ हो सकता है या हो जाएगा यदि आपका आधार वाक्य है तो काम होने की सम्भावना बनने लगती है |व्यक्ति आप ही हैं किन्तु मात्र दो तरह के शब्द आपको या तो सफल बना देते हैं या असफल बना देते हैं |आप हमें तर्क दे सकते हैं की मात्र शब्द से कुछ नहीं होता ,काम होने के लिए बहुत कुछ चाहिए होता है ,किन्तु हम कहना कहेंगे शब्द से ही सबकुछ होता है ,काम होने के लिए जो भी चाहिए इसकी भी व्यवस्था यह शब्द ही करते हैं और आपको यही तैयार करते हैं |आप अवचेतन की कार्य प्रणाली नहीं जानते इसलिए तर्क दे रहे हैं |भारतीय शास्त्रों और ज्ञान की तो बात ही छोड़ दीजिये यह तो बहुत आगे है हम आपको पाश्चात्य देशों के उदाहरण से समझाते हैं इसे ,क्योंकि आज के लोग पाश्चात्य दशों और वैज्ञानिकों का मुंह ही अधिक देखते हैं तथा समझते हैं की वहीं का ज्ञान आधुनिक और श्रेष्ठ है तो हम आपको वहीं का उदाहरण देकर समझाते हैं |
प्राचीन यूनान के जमाने से दार्शनिक और तर्क शास्त्रियों ने सिलोजिज्म नामक तर्क का अध्ययन किया है |सिलोजिज्म में मष्तिष्क व्यावहारिक रूप में तर्क करता है |इसका मतलब यह है की आपका चेतन मन जिस प्रमुख आधार वाक्य को सही मानता है ,उसी से यह निष्कर्ष तय होता है ,जिस पर आपका अवचेतन मन पहुचेगा |इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है की वह सवाल या समस्या कौन सि है |अगर आधार वाक्य सही है तो निष्कर्ष अवश्य सही होगा |उदाहरण के लिए -एक वाक्य आप कहते हैं कि
हर गुण प्रशंसनीय है
दयालुता एक गुण है ,इसलिए दयालुता प्रशंशनीय है |
या यह
सभी निर्मित चीजें बदलती और ख़त्म होती हैं |
मिश्र के पिरामिड निर्मित चीजें हैं ,इसलिए पिरामिड बदलेंगे और ख़त्म होंगे |
पहले वाक्य हर गुण प्रसंशनीय है ,को प्रमुख आधार वाक्य कहा जाता है और सही आधार वाक्य से सही निष्कर्ष निकलते हैं |आधार वाक्य की कार्य प्रणाली अवचेतन की असीमित शक्ति पर कार्य करती है |यह वही रास्ते निकालता है जो आप उसमे भरते हैं चेतन मन द्वारा |अपनी इच्छाओं को साकार करने और कुंठा से उबरने के लिए दिन में कई बार दृढ़ता से कहें —- मेरी असीमित बुद्धिमत्ता और ज्ञान ने मुझे यह मनोकामना दि है और यही मुझे इसे साकार करने की आदर्श योजना की राह दिखाती है ,उस ओर ले जाती है और आवश्यक बातें बताती है |में जानता हूँ की मेरे अवचेतन की अधिक गहरी समझ अब प्रतिक्रिया कर रही है और में जो महसूस करता हूँ तथा जिस पर मन में दावा करता हूँ ,वह बाहर व्यक्त होती है |संतुलन और सद्बुद्धि हर ओर है |इस तरह सोचने से आपकी सफलता बढने लगती है और कुंठा निकलने लगती है |
दूसरी तरफ अगर यदि आप कहते हैं — अब कोई रास्ता नहीं बचा है ,अब सारा खेल ख़त्म हो गया ,इस उलझन से बाहर निकलने का कोई तरीका नहीं ,में बाधित और अवरुद्ध हूँ ,,,तो आपको आपके अवचेतन मन से कोई जबाब या प्रतिक्रिया नहीं मिलेगी |अगर आप चाहते हैं की आपका अवचेतन आपके लिए काम करे तो ,इसका सहयोग पाने के लिए इससे आग्रह करना होगा |यह आपके लिए हमेशा काम कर रहा है |आपके अवचेतन के पास अपनी बुद्धि है लेकिन यह आपके विचारों और छवियों के पैटर्न को स्वीकार कर लेता है |जब आप इसमें समस्या का जबाब तलाशते हैं तो आपका अवचेतन प्रतिक्रया करेगा और यह आपसे उम्मीद करेगा की आप अपने चेतन मन में किसी सच्चे निर्णय या फैसले पर पहुच जाएँ |आपको यह मानना होगा की आपके अवचेतन मन के पास जबाब है |अगर आप कहते हैं ,,,मुझे नहीं मालूम की कोई रास्ता है या नहीं ,में पूरी दुविधा और उलझन में हूँ ,मुझे जबाब क्यों नहीं मिलता ?,,,तो आप अपनी प्रार्थना को नकार रहे हैं |समय काटते सैनिक की तरह आप ऊर्जा का प्रयोग तो करते हैं ,लेकिन आगे नहीं बढ़ते हैं |
अपने मष्तिष्क के पहियों को विराम दें |आराम से बैठ जाएँ ,शिथिल हो जाएँ ,,शान्ति से कहें —- मेरा अवचेतन मन जबाब जानता है |यह इस समय भी प्रतिक्रया कर रहा है |में धन्यवाद देता हूँ ,क्योकि में जानता हूँ की मेरे अवचेतन की असीमित बुद्धिमत्ता सारी बातें जानती है और मुझे इस वक्त आदर्श जबाब दे रही है |मेरा सच्चा विश्वास मेरे अवचेतन मन की बुद्धिमत्ता और ज्ञान को मुक्त कर रहा है |मुझे ख़ुशी है की ऐसा हो रहा है |याद रखिये अच्छा सोचेंगे अच्छा होगा ,बुरा और नकारात्मक सोचेंगे बुरा होगा |आपका अवचेतन मन आपके साथ बहस नहीं करता |यह चेतन मन के आदेश को चुपचाप मान लेता है |इस विषय को ठीक से समझने के लिए हमारे द्वारा समय समय पर अलग अलग प्रकाशित लेखों का अवलोकन करें |हमने अलग अलग नाम से इसी विषय पर कई लेख प्रकाशित किये हैं |विश्वास करें आपकी दुनिया बदल जायेगी |
जब आप एक आधार वाक्य अपने लिए चुन लेते हैं और बार बार उसे दोहराते हैं ,तो यह अवचेतन में स्थायी हो जाता है और अवचेतन उसे सही मान लेता है |दुनिया कुछ भी कहती रहे पर अवचेतन उसे ही सही मानता है |भारतीय महर्षियों ने अवचेतन की इसी शक्ति को बहुत पहले जान लिया था |वह समझ गए थे की सब कुछ व्यक्ति ही करता है ,उर्जायें तो मात्र माध्यम होती हैं |इसीलिए उन्होंने खुद मनुष्य को ईश्वर बनाने की बात कही |व्यक्ति में असीमित शक्ति होती है |अगर आप आधार वाक्य बनाते हैं की — दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं,, तो आपका अवचेतन इसे सच मान लेगा |परिस्थितियां कुछ भी बन जाएँ पर अवचेतन हमेशा कहेगा दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं |इससे होगा यह की हमेशा अन्दर से आशा और उत्साह की आवाज आएगी की दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं |
आपका अवचेतन किसी भी परिस्थिति में आपको हार मानने नहीं देगा और आपका मष्तिष्क हमेशा हल खोजने की ओर दौडता रहेगा और उसे संयत रखेगा ,हताश नहीं होने देगा |इसमें संचित जीवन भर की सूचनाओं का विश्ह्लेषण करेगा ,अगर हल मिल गया तो ठीक नहीं मिला तो यह कई दिनों तक हल खोजता रहेगा ,यहाँ तक की पूर्व जन्मों तक भी इसका जाना असंभव नहीं |यह अनेक लोकों की यात्रा करेगा ,पूर्व समय और सूचनाओं का विश्लेष्ण करेगा और सलाह सुझाता रहेगा |अंततः कोई न कोई रास्ता निकाल ही देगा |आत्मबल तो हमेशा बनाये ही रहेगा ,संघर्ष की शक्ति देता रहेगा |इसलिए हर सफल व्यक्ति अपने लिए आधार वाक्य जरुर चुना होता है |यही उसकी सफलता का राज होता है |
“” भीड़ का हिस्सा मत बनो “” या dont be a part of crowd एक आदर्श आधार वाक्य है जो कुछ नया हमेशा करने की प्रेरणा देता है और आपको अलग करने को प्रेरित करता रहता है |दूसरा आदर्श आधार वाक्य है – असंभव कुछ भी नहीं है – यह दोनों मेरे आधार वाक्य है ,जिससे हमेशा मुझे कुछ नया खोजने की प्रेरणा मिलती है |लकीर पीटना और आंखमूंदकर कोई बात मान लेना मेरे बस का नहीं |यही मेरी tantra और पारलौकिक खोजों का आधार और प्रेरणा है |इन्ही आधार वाक्यों के कारण कभी भी मैं हार नहीं मान पाता ,संकट कितने भी विकट आयें |सामान्य लोगों और सामान्य कार्यों में मुझे रूचि नहीं होती ,हमेशा अलग ,कुछ नया ,कुछ रोमांचक करने की प्रेरणा मिलती है |चूंकि कार्य क्षेत्र तंत्र का है अतः नए नए प्रयोग और खोज भी इसी क्षेत्र में होते हैं |
हम आपको बताना चाहेंगे की आपके अवचेतन मन में सैकड़ों जन्मों की यादें हैं ,ज्ञान हैं किन्तु वह सोये हुए हैं |कोई आपका पूर्वजन्म जब देखने की कोशिश करता है तो वह आपके ही यादों के सहारे वहां जाता है |कभी कभी आपको स्वप्न में ऐसी जगह बार बार दिखाई देती है जहाँ आप जाते हैं और आपको जानी पहचानी लगती है |कभी कभी आपको अचानक मंत्र ,तंत्र या ज्योतिष या भविष्य या भूत काल की घटना का ज्ञान अनायास होता है ,कभी कभी आपको कोई अनायास रास्ता दिखाता है |यह सब पूर्व जन्मों और अवचेतन की संगृहीत यादों और ज्ञान का परिणाम होता है |आप इसे अलौकिक अथवा चमत्कार भले मानें किन्तु सारा खेल आपके अवचेतन का है जो चमत्कार करता है |अतः अगर आपको सफल होना है ,उपर उठना है ,ऊँचाइयाँ छूना है तो अपने लिए आधार वाक्य जरुर बनाइये और उसे दोहराते रहिये |कुछ दिन में यह आपके अवचेतन में बैठ जाएगा और फिर दुनिया भले आपको विपरीत ले जाने की कोशिश करे आपका अवचेतन आपको आधार वाक्य के अनुसार सफलता देता ही रहेगा |…………………………….हर-हर महादेव
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