महालक्ष्मी यन्त्र
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महालक्ष्मी का यन्त्र महालक्ष्मी की प्रतिमा के तुल्य होता है |दीवाली की रात्री में इस यन्त्र की रचना अष्टगंध से भोजपत्र पर अनार की कलम से की जाती है |फिर उसका विधिवत प्राण प्रतिष्ठा और पूजन कर महालक्ष्मी के मंत्र का जप किया जाता है |पूजन में लाल चन्दन ,लाल पुष्प ,अक्षत ,धुप ,दीप ,नैवेद्य |यन्त्र के समस्त पूजनोपचार में शुरू से अंत तक अविछिन्न रूप से महालक्ष्मी का मंत्र जपते रहें |ऐसा ही यन्त्र रचना के समय करें |मंत्र जप कम से कम दो घंटे करके आरती और स्तोत्र पाठ करें |इसके बाद यन्त्र को चांदी के कवच में भरकर गले में धारण करें |इस यन्त्र का पूजन महा मंगलकारी होता है |इस हेतु इसको दीपावली के दिन ताम्बे के अथवा चांदी के अथवा स्वर्ण के पत्र पर अपने हाथों से ही अंकित करना होता है और फिर अग्न्युत्तरण विधि से प्राण प्रतिष्ठा करनी होती है |इसके बाद यह यन्त्र साक्षात प्रतिष्ठित लक्ष्मी प्रतिमा तुल्य हो अति फलप्रद होता है |खुद अंकित न कर सकें तो किसी उच्च साधक से भोजपत्र पर दीपावली को बना प्राण प्रतिष्ठित -अभिमंत्रित यन्त्र प्राप्त कर उसे फ्रेम करा पूजन गृह में स्थापित करना चाहिए |यह किसी प्रतिमा से अधिक अच्छे परिणाम देता है |इसका हमें व्यक्तिगत अनुभव रहा है |
मंत्र -ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः |
यन्त्र धारण भगवती महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है |धन -सम्पदा -वैभव वृद्धि होती है |उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं |घर -परिवार में शान्ति आती है |व्यापार -व्यवसाय में उन्नति होती है |पारिवारिक सुख -सौहार्द्र -सब्तुष्टि में वृद्धि होती है |आय के स्रोतों में वृद्धि और अनावश्यक व्यय की रोकथाम होती है |आर्थिक स्थिति में उत्तरोत्तर सुधार होता है |व्यावसायिक ,व्यापारिक उन्नति के अवसर बनते हैं |………………………………………हर-हर महादेव
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