भैरवी कवच
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यह कवच अति विशिष्ट है जो कुआंरी कन्याओं ,स्त्रियों ,पुरुषों ,बालको ,वृद्धों और पूजा ,आराधना ,उपासना ,साधना करने वालों के लिए विशेष उपयोगी है यद्यपि इसे कोई भी धारण कर सकता है |यह कवच महाविद्या श्री त्रिपुरसुन्दरी से सम्बन्धित है जिनका स्वरुप नवा दुर्गा में ब्रह्मचारिणी देवी सा लगभग है |यह एक महाविद्या हैं और महाशक्ति हैं जो श्री विद्या कुल से सम्बन्धित होने साथ ही कुण्डलिनी शक्ति से भी सम्बन्धित होती हैं |तांत्रिक समुदाय में इनकी अत्यधिक महत्ता है |इनके यन्त्र को प्राण प्रतिष्ठित ,अभिमंत्रित करके जब इनसे सम्बन्धित विशिष्ट तांत्रिक पदार्थों के साथ धातु के खोल में भरा जाता है तब भैरवी अथवा त्रिपुर भैरवी कवच तैयार होता है |इनकी साधना से सम्बन्धित कवच स्तोत्र रूप में होता है जो पढ़ा जाता है जबकि हम यहाँ जिस कवच की बात कर रहे वह धारण किया जाने वाला कवच अथवा ताबीज है |
दक्षिणामूर्ति महाशिव कालभैरव की शक्ति भैरवी हैं जो नित्य प्रलय से जुडी हैं |इन्द्रियों पर विजय एवं सर्वत्र उत्कर्ष की प्राप्ति हेतु त्रिपुर भैरवी की साधना की जाती है |यह देवी अपने दो हाथों में विद्या और जप मालिका धारण करती हैं जबकि दो हाथ वर और अभय मुद्रा में होते हैं |अर्थात यह देवी विद्या ,बुद्धि ,मानसिक शक्ति ,स्वनियंत्रण भी देती हैं और सिद्धि ,पूजा उपासना में सफलता ,आध्यात्मिक उन्नति भी देती हैं |त्रिनेत्र देवी होने से इनकी उपासना से तृतीय नेत्र ,छठी इन्द्रिय ,आज्ञा चक्र ,कुण्डलिनी शक्ति कभी जागरण होता है |यह देवी सौम्य दिखने पर भी उग्र हैं |
त्रिपुर भैरवी या भैरवी कवच धारण से सबसे पहले तो खुद पर नियंत्रण बढ़ जाता है |विद्या -बुद्धि का विकास होता है |ओज -तेज की वृद्धि होती है |ब्रह्मचर्य की शक्ति बढती है |सर्वत्र सफलता और उन्नति बढ़ जाती है |परीक्षा -प्रतियोगिता -साक्षात्कार की सफलता बढ़ जाती है और शिक्षा क्षेत्र में विशेष उन्नति होती है |निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है और वाणी का प्रभाव बढ़ जाता है |किसी भी पूजा -उपासना -साधना की सफलता बढ़ जाती है |मानसिक बल ,आत्मविश्वास ,साहस ,कर्मठता ,कुशलता ,क्षमता की वृद्धि होती है |आतंरिक शक्तियों का विकास होता है और बाहरी बाधाओं से सुरक्षा होती है |प्रशाशनिक और लोगों को नियंत्रित करने की क्षमता बढ़ जाती है |ज्ञान -विज्ञान -तकनीक के क्षेत्र में सफलता बढती है |दुःख -दारिद्र्य -रोग -शोक का नाश होता है |
भैरवी कवच धारण करने से आतंरिक और वाह्य नकारात्मकता से सुरक्षा करती है ,भूत -प्रेत -वायव्य बाधा से रक्षा होती है |टोने -टोटके -तंत्र क्रिया -अभिचार ,नजर दोष से बचाव होता है |पित्र दोष ,कुलदेवता कुलदेवी दोष ,ग्रह दोष ,मांगलिक ,कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है क्योंकि यह महाविद्या हैं और कवच इनकी शक्ति और मंत्र से अभिमंत्रित होता है |घर -बाहर ,किसी द्वारा प्रक्षेपित नकारात्मकता से बचाव होता है |आभामंडल अर्थात औरा की नकारात्मकता ठीक होती है |शारीरिक असंतुलन ,मानसिक असंतुलन ,अवसाद ,तनाव ,कायरता ,हीन भावना ,दब्बूपन का शमन होता है |दुस्प्रवृत्ति ,बुरे विचार ,बुरे स्वप्न आदि का ह्रास होता है |उत्तम लक्ष्य और सतत उन्नति की ओर व्यक्ति को अग्रसर होने में सहायता मिलती है |पारिवारिक ,आर्थिक ,व्यावसायिक ,आध्यात्मिक क्षेत्रों में अतिरिक्त लाभ होता है |
भैरवी कवच धारण शरीर को नव स्फूर्ति और जीवनी उर्जा प्रदान कर सकारात्मक ऊर्जा संचार बढाता है जिससे ऊर्जा संतुलन बेहतर होता है |यह दाम्पत्य जीवन की कटुता तो दूर करता ही है यदि किसी में कोई शारीरिक कमी है तो उसमे भी सुधार लाता है |यह अवचेतन पर भी बहुत अच्छा कार्य करता है और व्यक्ति की नैतिकता ,उसकी सुप्त शक्तियों को जाग्रत करने और उत्साह प्रदान करने में सक्षम है |यह आतंरिक परिवर्तन लाता है जिससे सोच ,कर्म बदलते हैं फलतः उन्नति के नए मार्ग मिलते हैं |यदि आपके पूजा पाठ असफल हो रहे तथा उनका अपेक्षित परिणाम नहीं दिख रहा तो यह यन्त्र वहां भी आपकी सफलता के रास्ते बनाता है चूंकि देवी त्रिपुर भैरवी सभी पूजा पाठ को सफल बनाने की शक्ति रखती हैं |यह यन्त्र अगर भैरवी के सिद्ध साधक द्वारा स्वयं बनाया जाता है और भैरवी मंत्र से अभिमंत्रित किया जाता है तो इससे अद्भुत परिणाम मिलते हैं |आश्चर्यजनक रूप से स्थितियां नियंत्रण में आती हैं और लाभ प्राप्त होते हैं जीवन के हर क्षेत्र में |साधक द्वारा स्वयं भोजपत्र पर निर्माण करने से साधक की अर्जित की हुई शक्तियाँ भी इसमें सम्मिलित होती हैं और उसका अभिमन्त्रण इसमें अतिरिक्त शक्ति का प्रवाह प्रदान करता है |इस प्रकार भैरवी कवच हर व्यक्ति के लिए अत्यधिक लाभदायक होता है |……………………..हर हर महादेव
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