Alaukik Shaktiyan

ज्योतिष ,तंत्र ,कुण्डलिनी ,महाविद्या ,पारलौकिक शक्तियां ,उर्जा विज्ञान

ताबीज /कवच /यन्त्र का रहस्यमय संसार

 ताबीज /यन्त्र /जंतर का रहस्यमय संसार

===========================

           हम बहुत से लोगों को देखते हैं की वह गले में अथवा बाजू में ताबीज /जन्तर पहले होते हैं |कुछ लोग लाकेट पहनते हैं तो कुछ स्मृति चिन्ह |इनके धारण का मनोवैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही महत्त्व होता है |सामान्य लाकेट /स्मृति चिन्ह या देवी देवताओं के चित्र आदि धारण करने से मनोवैज्ञानिक बल मिलता है ,व्यक्ति महसूस करता है की अमुक देवता या शक्ति उसके साथ है जिससे उसका मानसिक बल और आत्मविश्वास बढ़ जाता है और लाभ होता है |बाजार से लिए गए अथवा कहीं से मंगाए गए धातु यंत्रों पर भी यही विज्ञान लागू होता है ,जबकि ताबीजों का विज्ञान बिलकुल अलग होता है |ताबीज आदि के निर्माण में एक वृहद् ऊर्जा वज्ञान काम करता है ,जिसे प्रकृति का विज्ञानं कहा जाता है |यह मूल ब्रह्मांडीय विज्ञान है जिसे हमारे ऋषि मुनि जानते थे और मानव की भलाई के लिए इसे उपयोगी बनाया |यह प्रक्रिया लगभग सभी धर्मों में किसी न किसी रूप में प्रचलित रही है |यह सिद्ध व्यक्ति की साधना से प्राप्त ऊर्जा का किसी अन्य व्यक्ति के लिए उपयोग का माध्यम है |

               ताबीजों का निर्माण तरंगों के विज्ञानं पर आधारित क्रिया होती है जिसमे ,एक विशिष्ट क्रिया ,विशिष्ट पद्धति और विशिष्ट समय में विशिष्ट वस्तुओं के संयोग से विशिष्ट व्यक्ति द्वारा निर्मित ताबीज और यंत्र में एक विशिष्ट शक्ति का समावेश हो जाता है ,जो किसी भी सामान्य व्यक्ति को चमत्कारिक रूप से प्रभावित करती है जिससे उसके कर्म ,स्वभाव ,सोच ,व्यवहार ,ग्रहों के प्रति संवेदनशीलता ,प्रारब्ध ,शारीरिक रासायनिक क्रिया सब कुछ प्रभावित होने लगता है ,जिससे उसके आगामी भविष्य पर प्रभाव पड़ता है |

ताबीज  में प्राणी के शरीर और प्रकृति की उर्जा संरचना ही कार्य करती है ,,इनका मुख्य आधार मानसिक शक्ति का केंद्रीकरण और भावना के साथ विशिष्ट वस्तुओं-पदार्थों-समय का तालमेल होता है| प्रकृति में उपस्थित वनस्पतियों और जन्तुओ में एक उर्जा परिपथ कार्य करता है ,मृत्यु के बाद भी इनमे तरंगे कार्य करती है और निकलती रहती हैं ,,,,इनमे विभिन्न तरंगे स्वीकार की जाती है और निष्कासित की जाती है |

जब किसी वस्तु या पदार्थ पर मानसिक शक्ति और भावना को केंद्रीकृत करके विशिष्ट क्रिया की जाती है तो उस पदार्थ से तरंगों का उत्सर्जन होने लगता है |जिस भावना से उनका प्रयोग जिसके लिए किया जाता है ,वह इच्छित स्थान पर वैसा कार्य करने लगता है ,|उदहारण के लिए ,,,किसी व्यक्ति को व्यापार वृद्धि के लिए कुछ बनाना है ,तो इसके लिए इससे सम्बंधित वस्तुएं अथवा यन्त्र विशिष्ट समय में विशिष्ट तरीके से निकालकार अथवा निर्मित करके जब कोई उच्च स्तर का साधक अपने मानसिक शक्ति के द्वारा उच्च शक्तियों के आह्वान के साथ जब प्राण प्रतिष्ठा और अभिमन्त्रण करता है तो वस्तुगत उर्जा -यंत्रगत उर्जा के साथ साधक की मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का ऐसा अद्भुत संयोग बनता है की निर्मित ताबीज से तीब्र तरंगें निकालने लगती हैं |,इन्हें जब सम्बंधित धारक को धारण कराया जाता है तो यह ताबीज उसके सम्बन्धित चक्र को स्पंदित करने लगता है |,दैवीय प्रकृति की शक्ति आकर्षित हो धारक से जुड़ने लगती है और उसकी सहायता करने लगती है |

        इन शक्तियों के जुड़ने के साथ ही धनात्मक ऊर्जा संचार बढ़ जाता है और ऋणात्मक ऊर्जा का घेरा हटने लगता है जिससे अनावश्यक विघ्न बाधाएं हटने लगती है |,साथ ही मन और मष्तिष्क  भी प्रभावित होने लगता है ,जिससे उसके निर्णय लेने की क्षमता ,शारीरिक कार्यप्रणाली ,दैनिक क्रिया कलाप बदल जाते है |उसके प्रभा मंडल पर एक विशेष प्रभाव पड़ता है ,जिससे उसकी आकर्षण शक्ति बढ़ जाती है ,बात-चीत का ढंग बदल जाता है ,सोचने की दिशा परिवर्तित हो जाती है ,कर्म बदलते हैं ,|,प्रकृति और वातावरण में एक सकारात्मक बदलाव आता है और व्यक्ति को लाभ होने लगता है,, |यह एक उदाहरण है ,ऐसा ही हर प्रकार के व्यक्ति के लिए हो सकता है उसकी जरुरत और कार्य के अनुसार ,|यहाँ यह अवश्य ध्यान देने योग्य होता है की यह सब तभी संभव होता है जब वास्तव में साधक उच्च स्तर का हो ,उसके द्वारा निर्मित ताबीज खुद उसके हाथ द्वारा निर्मित हो |,सही समय और सही वस्तुओं से समस्त निर्माण हो ,|ऐसा न होने पर अपेक्षित लाभ नहीं हो पाता |ताबीज और यन्त्र तो बाजार में भी मिलते है और आजकल तो इनकी फैक्टरियां सी लगी हैं ,जो प्रचार के बल पर बेचीं जा रही हैं |,कितना लाभ किसको होता है यह तो धारक ही जानता है |

       ताबीज बनाने वाले साधक की शक्ति बहुत मायने इसलिए रखती है की जब वह अपने ईष्ट में सचमुच डूबता है तो वह अपने ईष्ट के अनुसार भाव को प्राप्त होता है ,|,भाव गहन है तो मानसिक शक्ति एकाग्र होती है ,जिससे वह शक्तिशाली होती है |यह शक्तिशाली हुई तो उसके उर्जा परिपथ का आंतरिक तंत्र शक्तिशाली होता है और शक्तिशाली तरंगे उत्सर्जित करता है |ऐसा व्यक्ति यदि किसी विशेष समय,ऋतू-मॉस में विशेष तरीके से ,विशेष पदार्थो को लेकर अपनी मानसिक शक्ति और मन्त्र से उसे सिद्ध करता है तो वह ताबीज धारक व्यक्ति को उस भाव की तरंगों से लिप्त कर देता है |यह समस्त क्रिया शारीर के उर्जा चक्र को प्रभावित करती है और तदनुसार व्यक्ति को उनका प्रभाव दिखाई देता है| यह ताबीजें इतनी शक्तिशाली होती हैं की व्यक्ति का प्रारब्ध तक प्रभावित होने लगता है |अचानक आश्चर्यजनक परिवर्तन होने लगते हैं |

           आपने अनेक कहानियाँ सुनी होंगी की अमुक चीज अमुक साधू ने दिया और ऐसा हो गया |अथवा यह सुना होगा की अमुक तांत्रिक ने अमुक छीजें कुछ बुदबुदाकर फेंकी और व्यक्ति को लाभ होने लगा |यह बहुत छोटे उदाहरण हैं |जिस तरह साधना से ईश्वरीय ऊर्जा आती है उसी तरह यह मानसिक एकाग्रता से वस्तु और यन्त्र में स्थापित भी होती है |तभी तो मूर्तियाँ और यन्त्र प्रभावी होते हैं |यही यन्त्र ताबीजों में भरे जाते हैं और प्रभाव देते हैं |यह किसी  यन्त्र विशेष का प्रचार नहीं अपितु वैज्ञानिक विश्लेष्ण का प्रयास है और हमने इसे बहुत सत्य पाया है |यही कारण है की हम अपने सभी अनुष्ठानों में भोजपत्र पर यंत्र अवश्य बनाते हैं और साधना समाप्ति पर उन्हें धारण करते भी हैं और कराते भी हैं |यह धारण मात्र से साधना जैसा प्रभाव देते हैं |चूंकि हम खुद तंत्र साधक हैं और इनका गहन अनुभव हमें रहा है |

             उच्च स्तर के सिद्ध साधक यदि प्रसन्न हो जाएँ तो वह किसी भी वस्तु में ,धागे में यहाँ तक की कंकड़ पत्थर में भी प्राण फूंक कर दे देते हैं और वह लेते ही या धारण करते ही व्यक्ति का भाग्य तक प्रभावित होने लगता है ,स्थितियां बदलना तो मामूली सी बात है |परन्तु ऐसे साधक मात्र प्रसन्न होंने पर ही ऐसा करते हैं ,इन्हें खोजा नहीं जा सकता ,ना ही इन्हें अनुरोध करके इस प्रकार का कुछ प्राप्त किया जा सकता है |इनका मिलना भी काफी कुछ सौभाग्य की ही बात होती है |जब भाग्य बनना होता ई तभी यह मिलते हैं |ऐसे में जब भाग्य विपरीत हो तब अच्छे स्तर के साधक या महाविद्या के साधक से संपर्क कर ,उनका उचित पारिश्रमिक प्रदान कर अपनी आवश्यकता के अनुसार सम्बंधित महाविद्या या शक्ति का कवच /ताबीज प्राप्त करना ही श्र्यास्कर होता है |भाग्य विपरीत होने पर भी इन ताबीज /कवच का प्रभाव अद्वितीय होता है और भाग्य की प्रतिकूलता को नियंत्रित कर चक्र विशेष की क्रियाशीलता बढ़ा व्यक्ति का भाग्य परिवर्तित करने की क्षमता रखती हैं |चक्र क्रियाशीलता ,आभामंडल ,रासायनिक क्रियाएं ,सोच ,क्रियाकलाप ,कर्म बदलने से भविष्य बदलने लगता है और भाग्य में भी बदलाव आने लगता है |…………………………………………………….हर-हर महादेव


Discover more from Alaukik Shaktiyan

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Latest Posts