कामख्या कवच /ताबीज
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कामाख्या देवी ,कामाख्या शक्ति पीठ का नाम लगभग सभी भारतवासी जानते हैं और इनके बारे में सुनते रहते हैं जो कि विश्व के सबसे प्रसिद्द शक्तिपीठ में से एक है |यह शक्तिपीठ ५१ शक्तिपीठ में से सबसे प्रमुख भी है और सबसे अधिक शक्तिशाली भी क्योंकि माता कामाख्या कि शक्ति अधिक होने से इनके साधक बहुत शक्तिशाली हो जाते है तथा वह सभी षट्कर्म के साथ ही भौतिक उद्देश्य पूरे करने कि भी शक्ति प्राप्त कर लेते हैं |माता कामाख्या कि पूजा करने वाला व्यक्ति और इनकी साधना करने वाला साधक तो अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करता ही है इनके मूल तंत्रोक्त मंत्र से अभिमंत्रित इनका यन्त्र कवच में धारण करने वाला धारक भी अनेकानेक लाभ प्राप्त करता है |हम आपको आज महामाता कामाख्या देवी के कवच /ताबीज धारण से होने वाले लाभ बता रहे जिसमे महाकाली ,माँ तारा ,बगलामुखी देवी श्री विद्या त्रिपुरसुन्दरी के मिश्रित गुण पाए जाते हैं क्योंकि माता कामाख्या कि शक्ति इस भौतिक जगत में इन सभी शक्तियों कि मिश्रित शक्ति के रूप में प्रभाव देती है |महाविद्यायें तो देर से प्रभाव देती हैं जबकि माता कामख्या शीघ्रता से अपना आशीर्वाद प्रदान करती है |कामाख्या साधना और कामाख्या कवच का निर्माण वैसे तो इनका साधक कभी भी कर सकता है किन्तु गुप्त नवरात्री में कवच निर्माण और साधना अधिक प्रभावशाली होती है |पहले हम आपको बताते हैं कि कामाख्या कवच कब धारण किया जाता है –
जब आपकी उन्नति रुक जाए और घर -परिवार अथवा बाहर की कोई नकारात्मक ऊर्जा /शक्ति आपके लिए अवरोधक हो जाए |आप किसी तांत्रिक अभिचार ,टोने -टोटके ,किये -कराये से पीड़ित हों |आप पर बार बार टोने -टोटके हो रहे हों |आपका आवागमन ऐसे क्षेत्रों से हो जहाँ वायव्य बाधाओं ,भूत -प्रेत -पिशाच -जिन्न आदि द्वारा प्राभावित होने का भय हो |आपके घर -परिवार में किसी ऐसी नकारात्मक शक्ति का वास हो जो आपको शारीरिक ,मानसिक कष्ट दे रहा हो जिससे आप सामान्य जीवन नहीं जी पा रहे हों |जब शत्रु प्रकोप बढ़ जाए और प्राणों पर संकट महसूस हो अथवा शत्रु इतना प्रबल हो जाए की हर तरह से परेशान करने लगे और उस पर विजय की आकांक्षा हो |जब आपको अक्सर विवाद ,मुकदमे अथवा मारपीट का सामना करना पड़ रहा हो तथा विवादों ,मुकदमों में विजय की आकांक्षा हो |जब अधिकारी वर्ग प्रतिकूल चल रहा हो ,कार्य व्यवसाय में अडचनें आ रही हों ,लोग प्रतिकूल हो रहें ,लोगों और अधिकारियों की अनुकूलता की आकांक्षा हो |जब किसी स्थायी सम्पत्ति से सम्बन्धित विवाद चल रहा हो अथवा कोई आपकी सम्पत्ति हड़प रहा हो |भूमि -भवन प्राप्ति की दिशा में अड़चनें आ रही हों |
आपकी औरा अथवा आभामंडल नकारात्मक हो रही हो जिससे लोग आपके प्रति आकर्षित न होते हों |आपको लोगों का समुचित सम्मान न मिलता हो |लोग आपसे प्रभावित न होते हों |ठीक से कार्य न कर पाते हों ,ऊर्जा -उत्साह -शक्ति की कमी महसूस होती हो अथवा आलस्य -प्रमाद -एकाग्रता की समस्या हो |असाध्य और लम्बी बीमारी से पीड़ित हों अथवा आपकी बीमारी चिकित्सक की पकड़ में न आ रही हो |स्वास्थ्य कमजोर हो ,नपुंसकता हो अथवा स्त्रियों में स्त्री जन्य समस्या हो ,डिम्भ बन्ने में समस्या हो ,कमर -जाँघों -हड्डियों की समस्या हो ,मोटापे से परेशान हों |कहीं मन न लगता हो ,चिंता ,तनाव ,डिप्रेसन हो ,पूर्णिमा -अमावस्या को डिप्रेसन अथवा मन का विचलन होता हो ,हमेशा बुरा होने की आशंका बनी रहती हो ,खुद अथवा परिवार के अनिष्ट की सम्भावना लगती हो |अकेले में भय लगता हो अथवा बुरे स्वप्न आते हों ,कभी महसूस हो की कमरे में अथवा साथ में कोई और है किन्तु कोई नजर न आये |कभी लगे कोई छू रहा है अथवा पीड़ित कर रहा है ,कभी कोई आभासी व्यक्ति दिखे अथवा आत्मा परेशान करे |दाम्पत्य अथवा पारिवारिक कलह बहुत बढ़ गया हो ,अनायास विवाद होते हों ,पर्याप्त सम्मान न मिलता हो ,अपने विरोध में खड़े हों तो आपको कामाख्या कवच धारण करना चाहिए |
कामाख्या कवच धारण करने से ,.
१. भगवती कामाख्या की कृपा से व्यक्ति की सार्वभौम उन्नति होती है |,
२. शत्रु पराजित होते है ,मुकदमो में विजय मिलती है ,वाद विवाद में सफलता मिलती है |सर्वत्र विजय का मार्ग प्रशस्त होता है |
३. कर्मचारी वर्ग की अनुकूलता प्राप्त होती है ,व्यक्तित्व का प्रभाव बढ़ता है |सम्मान प्राप्त होता है ,| आभामंडल की नकारात्मकता समाप्त होती हैं |शरीर का तेज बढ़ता है |
४. मानसिक चिंता ,विचलन ,डिप्रेसन से बचाव होता है और राहत मिलती है |,पूर्णिमा -अमावस्या के मानसिक विचलन में कमी आती है |
५. किसी अभिचार /तंत्र क्रिया द्वारा अथवा किसी आत्मा आदि द्वारा शरीर को कष्ट मिलने से बचाव होता है |
६. पारिवारिक सुख ,दाम्पत्य सुख बढ़ जाता है |पौरुष अथवा काम क्षमता में वृद्धि होती है ,दाम्पत्य जीवन की संतुष्टि बढ़ जाती है |.हीन भावना में कमी आती है ,खुद पर विश्वास बढ़ता है |एकाग्रता बढती है तथा उत्साह ,ऊर्जा में वृद्धि होती है |
७. नौकरी ,व्यवसाय ,कार्य में स्थायित्व प्राप्त होता है | व्यक्ति के आभामंडल में परिवर्तन होने से लोग आकर्षित होते है ,प्रभावशालिता बढ़ जाती है | अधिकारी वर्ग अनुकूल होता है ,कार्य व्यवसाय में अडचनें कम होती हैं ,लोगों की प्रतिकूलता कम होती है और अनुकूलता बढती है |
८.वायव्य बाधाओं से सुरक्षा होती है ,पहले से कोई प्रभाव हो तो क्रमशः धीरे धीरे समाप्त हो जाती है |, तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव समाप्त हो जाते है ,भविष्य की किसी संभावित क्रिया से सुरक्षा मिलती है |किये -कराये -टोने -टोटके की शक्ति क्रमशः क्षीण होते हुए समाप्त होती है |
९. भूत-प्रेत-वायव्य बाधा की शक्ति क्षीण होती है ,क्योकि इसमें से निकलने वाली सकारात्मक तरंगे उनके नकारात्मक ऊर्जा का ह्रास करते हैं और उन्हें कष्ट होता है |,
१०. उग्र देवी होने से नकारात्मक शक्तियां इनसे दूर भागती हैं और धारक के पास आने से कतराती हैं |किसी वायव्य बाधा का प्रभाव शरीर पर पहले से हो तो वह कम हो जाता है |
११. रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है |असाध्य और लम्बी बीमारी की सम्भावना कम हो जाती है |मानसिक स्वास्थय में सुधार होता है |बार हो रही स्वास्थ्य समस्या में कमी आती है |
नपुंसकता ,स्त्रियोचित समस्या ,काम उत्साह में कमी ,कार्यक्षमता में कमी दूर होती है |यदि बंधन आदि के कारण संतानहीनता है तो बंधन समाप्त होता है |
१२.. आलस्य ,प्रमाद का ह्रास होता है |व्यक्ति की सोच में परिवतन आता है ,उत्साह में वृद्धि होती है |नया जोश उत्पन्न होता है |
१३. ,पारिवारिक कलह ,विवाद कम हो जाता है तथा लोगों पर आकर्षक शक्तियुक्त प्रभाव पड़ता है | घर -परिवार में स्थित नकारात्मक ऊर्जा की शक्ति क्षीण होती है जिससे उसका प्रभाव कम होने लगता है |पारिवारिक सौमनस्य में वृद्धि होती है |
१४. स्थान दोष ,मकान दोष ,पित्र दोष ,वास्तु दोष का प्रभाव व्यक्ति पर से कम हो जाता है क्योकि अतिरिक्त ऊर्जा का संचार होने लगता है उसमे |
१५. रोग-शोक, समाप्त होते हैं ,सुरक्षा प्राप्त होती हैं ,किसी प्रकार की अशुभता का शमन होता है |सकारात्मक और धनात्मक ऊर्जा की वृद्धि होती है जिससे शान्ति ,सुख बढ़ते हैं और असामान्य घटनाओं में कमी आती है |
१६. साधना -सिद्धि में ,पूजा पाठ में ,विघ्न बाधा में ,नकारात्मक शक्ति कि प्रतिक्रिया में सुरक्षा होती है |तांत्रिक साधनाओं ,शाबर साधनाओं कि सफलता बढ़ जाती है |किसी भी पूजा पाठ पाठ में आ रहे व्यवधान कम होते हैं ,शरीर कि सुरक्षा होती है |
१७. कुलदेवता ,स्थान देवता आदि कि रुष्टता से व्यक्तिगत होने वाली हानि में कमी आती है |अतिरिक्त उर्जा संचार से ग्रह बाधा भी कम प्रभावित करती है |
१८. नजर दोष ,काली जुबान के प्रभाव ,टोने -टोटके ,तांत्रिक अभिचार से सुरक्षा प्राप्त होती है और राह चलते नकारात्मक शक्तियों के आक्रमण से व्यक्ति सुरक्षित रहता है |
अर्थात जीवन के लगभग प्रयेक मुश्किल में सहायक होता है यह कवच /ताबीज |नवरात्रों में चूंकि दैवीय शक्तियां प्रबल होती हैं और साधक के आह्वान पर अधिक देवी उर्जा प्राप्त होती है अतः नवरात्र में बनाये गए कामाख्या कवच या ताबीज बहुत अधिक प्रभावकारी होते हैं |……………………………………………………..हर-हर महादेव
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