Alaukik Shaktiyan

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पूजा का दंड पीढ़ियाँ भुगतेंगी

पूजो साईं /पीर पीढियां भुगतेंगी

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          आजकल पुराने संस्कार बहुत तेजी से विलुप्त हो रहे हैं और नासमझी का ऐसा दौर चल रहा है की केवल तात्कालिक लाभ लोगों को दिख रहा |कोई न तो भविष्य देख रहा न ही अपनी आने वाली पीढ़ियों के बारे में सोच रहा |अपने माँ -बाप -दादा -दादी को तो लोग भूल ही रहे उनके आदर्शों और संस्कारों को भी छोड़ दे रहे ,साथ ही केवल खुद के स्वार्थ में अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से भी खिलवाड़ कर रहे |कहने को कहेंगे की हम अपने बच्चों और परिवार को बहुत चाहते हैं और सब कुछ उन्ही के लिए तो कर रहे ,पर सच तो यह है की केवल खुद के स्वार्थ और तात्कालिक लाभ के लिए हर कोई सब कुछ कर रहा |उदाहरण के तौर पर तात्कालिक रूप से उनके द्वारा पूजे जा रहे मनुष्यों और प्रेतों को देखा जा सकता है |

          कुछ लोग किसी फ़क़ीर को भगवान् बना रहे और उनकी आराधना में इतना लींन हो गए की अपने देवी -देवता को भूल जा रहे अथवा उन्हें दोयम स्थान पर रख रहे |कोई किसी “मजार” पर जाता दीखता है तो कोई किसी “पीर” को पूजता दीखता है |कोई “ब्रह्म” पूज रहा तो कोई “वीर” पूज रहा ,कोई “सती” पूज रहा तो कोई ग्राम देवता के तौर पर स्थापित किसी पूर्वज अथवा ग्रामीण “आत्मा” को |कोई गाजी पूज रहा तो कोई हाजी |यह सब तात्कालिक लाभ का स्वार्थ है इसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं |इनमे कोई न तो देवता है न नैसर्गिक ऊर्जा |यह सब तो नकारात्मक उर्जाये अथवा आत्माएं ही हैं जिन्हें भगवान् बनाया जा रहा |इनकी अपनी एक निश्चित सीमा है ,उसके ऊपर यह नहीं जा सकते |कोई गारंटी नहीं की इनमे से कितनों की मुक्ति हुई अथवा यह भटक ही तो नहीं रहे |जो खुद मुक्त नहीं हो सका वह आपको क्या मुक्त कराएगा |

         इन आत्मिक शक्तियों की पूजा का एक तात्कालिक लाभ तो होता है की आपको तुरंत कुछ लाभ जरुर हो जाता है क्योकि यह प्रेत या आत्मा की शक्तियां आपका कुछ काम कर देती हैं और फिर आप इन्हें भगवान् की तरह समझ कर इन्हें पूजने लगते हैं |इसके बाद के सारे लाभ इनके और आपकी केवल हानि ही हानि |आपकी पूजा से उन्हें शक्ति मिलती जाती है और इनकी शक्ति बढती जाती है |अगर यह रुष्ट हुए अथवा विनाश पर उतरे तो फिर संभालना मुश्किल |आपकी छोटी गलतियाँ भी फिर यह बर्दास्त नहीं करते क्योकि इनकी सोच तो आखिर मनुष्य की ही होती है |इस जन्म में आपको तो कम समझ में आएगा किन्तु अगली पीढ़ियों ने जहाँ पूजा बंद की या इन्हें भूले उनका विनाश शुरू हो जाता है |

           आज जबकि अधिकतर लोगों को अपने कुलदेवता -देवी तक का पता नहीं अथवा उनकी ठीक से पूजा नहीं हो पा रही जिससे जीवन में पहले से कुछ समस्याएं हैं ,इनकी पूजा से तात्कालिक लाभ मिलता तो है पर आपके कुलदेवता और -देवी हमेशा के लिए आपका साथ छोड़ देते हैं |,चाहे आप बाद में उनकी कितनी भी पूजा करें किन्तु आपकी अथवा आपके पूर्वजों की यह गलतियाँ उन्हें पसीज नहीं पाती ,वह क्षमा नहीं करते और आप पर से सुरक्षा घेरा हमेशा के लिए हट जाता है |इसके साथ एक और समस्या गंभीर रूप से सामने आती है |आपके पूर्वज आत्माएं अथवा पित्र सदा के लिए आपसे या आपके संतानों से रुष्ट हो जाते हैं |क्योकि जिन लोगों से उनका कभी संघर्ष हुआ जीने के लिए ,जिन्होंने आपके पितरों /पूर्वजों के धर्म /संस्कृति के विनाश का प्रयास किया आज उन्हें आप पूज रहे |उदाहरण के लिए मुगलों और आततायी मुस्लिमों से उनका कभी संघर्ष रहा और आप आज उन्हें मजार पर पूज रहे |आपके पूर्वजों ने कभी वीर ,ब्रह्म आदि आत्मिक शक्तियाँ नहीं पूजे और देवता और कुलदेवता का ही आश्रय लिया ,आज आप उन्हें पूज रहे |ऐसे में पित्र दोष भी उत्पन्न होता है और आने वाली पीढ़ियों पर इनके गंभीर प्रभाव पड़ते हैं |

        बहुत से लोगों को आज अपने कुलदेवता -देवी का पता नहीं है |कुछ धर्म जो हिन्दू धर्म से उत्पन्न हुए उनमे कुलदेवता की अवधारणा नहीं है अर्थात वह कुलदेवता /देवी को भूल चुके या जानते ही नहीं की कौन रहा कभी |आज उनके यहाँ बहुत गंभीर समस्याएं आती हैं |ऐसे सैकड़ों लोगों ने हमसे संपर्क किया है और उनके यहाँ आज पीढियां भुगत रही हैं |कुछ लोग किसी समस्या विशेष के लिए किसी मजार ,वीर या ब्रह्म आदि की मनौती मान देते हैं की अमुक काम हो जाएगा तो हम आपकी पूजा करेंगे |भाग्यवश अथवा उस शक्ति के ही बल पर वह काम हो गया तो आप पूजा शुरू कर देते हैं ,सोचते हैं की बहुत शक्तिशाली अमुक हैं और आप इस विश्वास में उनको अपने देवी देवता से भी अधिक महत्त्व देने लगते हैं |आप लगातार वहां जाते हैं और पूजा करते हैं ऐसे में वह धीरे धीरे आपकी पूजा लेने लगता है और आपके कुलदेवता का स्थान ले लेता है जिससे भविष्य में आपके खानदान की पूजा ईष्ट तक नहीं पहुचती क्योकि आपकी पूजा ईष्ट तक पहुचाने का एकमात्र साधन कुलदेवता ही होते हैं और वही आपके खानदान की सुरक्षा भी करते हैं |जिन परिवारों में कुलदेवता नहीं होते वहां की पूजा यह शक्तियां लेकर अपनी शक्ति बढाती हैं और ईष्ट तक पूजा नहीं पहुचने देती |कई लोग हमसे बताते हैं की उनके कुलदेवता का तो पता नहीं पर उनके यहाँ पीर ,या गाजी ,या ब्रह्म बाबा पूजे जा रहे |अर्थात एक आत्मा पूजी जा रही और ईष्ट तक पूजा नहीं पहुच रही |ऐसे समस्या का समाधान बेहद कठिन हो जाता है \

        प्रतीक शक्तियाँ या उपरोक्त बतायी गयी शक्तियों की पूजा करने का तात्कालिक लाभ भले हो पर इसका सबसे गंभीर परिणाम यह होता है की यह शक्तियां बढने पर आपकी पूजा खुद लेने लगते हैं और आपकी पूजा कुलदेवता और तत्पश्चात आपके ईष्ट देवता तक नहीं पहुँचने देते |अब आपके लिए गंभीर समस्या हो जाती है |आपके जीवन में आई समस्या के लिए कोई ज्योतिषी ,पंडित या तांत्रिक आपको कोई उपाय बताता है और आप किसी देवता की पूजा करते हैं तो उस तक पूजा नहीं पहुचती |आपको कोई लाभ नहीं होता और आप परेशान ही रहते हैं |कोई उपाय काम नहीं करते |ऐसा आप द्वारा या आपके पूर्वजों द्वारा की गयी उपरोक्त तात्कालिक स्वार्थपरक पूजा के कारण होता है |तत्काल तो पूज दिया किसी को ,तात्कालिक समस्या तो हल हो गयी या कुछ साल उस आत्मा के कारण सुखी रहे ,उसके बाद जब उसने ईष्ट की पूजा लेनी शुरू की तो वह मनमानी पर उतर आया |आपके पास अब कोई विकल्प नही बचता |

          आज आप भले कोई फ़क़ीर पूजे ,ब्रह्म बाबा पूजें ,वीर पूजें ,सती पूजें ,मजार पूजें ,गाजी पूजें ,पीर पूजें और आपको तात्कालिक लाभ हो किन्तु आपकी पीढ़ियों के लिए आप इतना बड़ा काँटा बो रहे हैं जिनसे मुक्ति पाना उनके लिए कठिन हो जाएगा और आने वाली पीढियां आपको गालियाँ ही देंगी |आप उनके लिए अपने आज के स्वार्थ में ऐसा करके जा रहे हैं जो उन्हें कई पीढ़ियों तक रुलाएगा |आपके कुलदेवता -कुल देवी रुष्ट होंगे या पूजा नहीं पायेंगे और आपके खानदान का साथ छोड़ देंगे |आपके पित्र असंतुष्ट हो जायेंगे और आपको बद्दुआ देंगे की आप उनके संस्कारों को भूल गए अथवा उन्हें पीड़ा पहुचाने वाले को पूज रहे |आपके ईष्ट तक पूजा नहीं पहुचेगी |आपकी पूजा किसी भी तरह की जाए बीच में यह शक्तियाँ ले लेंगी और अपनी शक्ति बढाएंगी |यह शक्तियाँ अपनी मनमानी करेंगी और खुद के फायदे के बारे में अधिक सोचेंगी जिससे इनकी असंतुष्ट आत्मा संतुष्ट हो |भविष्य की पीढ़ियों को बताई जाने वाली और उनके द्वारा की जाने वाली पूजा-पाठ सफल कम होगी |

            अगली पीढियां कुलदेवता /देवी को खोज नहीं पाएंगी |उनका धर्म भ्रष्ट हो जाएगा ,क्योकि जिसे वह पूज रहे वह अलग धर्म का था अथवा उसके ईष्ट देवता न होकर कोई नकारात्मक शक्ति थी |अगली पीढ़ियों के धार्मिक आयोजन और धर्म -कर्म असफल होंगे क्योकि ईष्ट तक पूजा नहीं पहुचेगी |घर-परिवार से एक स्थायी नकारात्मक शक्ति जुड़ जाएगा जो पीढ़ियों से पूजा चाहेगा न मिलने पर उन्हें नष्ट करेगा |पूजी जा रही शक्ति खुद मुक्त नहीं हुई और भटक रही है ,[जैसे वीर ,ब्रह्म ,जिन्न, शहीद अथवा किसी तरह के युद्ध ,दुर्घटना अथवा आत्महत्या से मरे व्यक्ति] तो वह आपको भी मुक्त नहीं होने देगी और आपकी मृत्यु के बाद आप उसके लोक में उसके प्रभाव में रहने को विवश होंगे |जैसा की ज्ञातव्य है व्यक्ति मृत्यु के पश्चात अधिकतम उस लोक तक जा सकता है जिसे वह पूजता है |चूंकि ऐसी शक्तिया आपकी ईष्ट पूजा ले लेती हैं अतः ईष्ट तक पूजा तो पहुचती नही ,फलतः आप उसी शक्ति तक रह जाते हैं |

          आपकी या आपके पूर्वजों की एक तात्कालिक स्वार्थ की गलती आपको या अगली पीढ़ियों को रुलाएगी |सामान्य जीवन की गलती तो इसी जन्म तक रहेगी ,पर पूजा और ईष्ट चुनाव की यह गलती कई जन्म और कई पीढियां बिगाड़ देगी |यहाँ आप अपने धर्म के गुरुओं ,सिद्ध संतों ,को समान श्रेणी में नहीं रख सकते क्योंकि यह भले ही मनुष्य ही रहे हों यह ईश्वरीय उर्जा से युक्त भी हो चुके थे और इनका आपके पितरों से भी कोई टकराव नहीं था |यह कुलदेवता की पूजा भी नहीं लेते क्योंकि कभी यह स्वयं कुलदेवता की पूजा किये होते हैं |यह उसी सीढ़ी के हिस्से थे जिसके आप हैं अतः साधू -संत -गुरु -सिद्ध की पूजा और उनकी समाधि की पूजा से कोई हानि भी नहीं होती ,लाभ ही होता है और यह किसी तरह का विक्षोभ भी उत्पन्न नहीं करते |न ही इनमे सदैव पूजा पाने लेने की चाहत होती है क्योंकि यह मुक्ति मार्ग पर रहे होते हैं |

            इसी तरह अपने परिवार ,कुल ,वंश के पूर्वज ,ब्रह्म ,सती ,भवानी ,वीर आदि को भी पूजा दी जाती है हिन्दू परंपरा में ,कहीं कहीं यह घर में स्थापित होते हैं और कहीं कहीं बाहर इनके मंदिर होते हैं ,इनकी पूजा उस वंश ,कुल के लिए जरुरी भी होता है और लाभदायक भी जिस वंश कुल के यह होते हैं |इनकी पूजा से पित्र और कुलदेवता यथावत संतुष्ट रहते हैं ,कहीं कोई असंतुलन नहीं उत्पन्न होता किन्तु इनकी पूजा इनके वंश कुल तक ठीक होती है अन्य कुल वंश के लोगों द्वारा पूजे जाने पर कभी कभी समस्याएं हो सकती हैं क्योंकि यह दुसरे कुल में कुलदेवता की पूजा ले सकते हैं और पित्र रुष्ट हो सकते हैं |

       जब कुलदेवता कुलदेवी की पूजा में अपने ही घर की कन्या जो दुसरे परिवार में विवाहित हो गयी हो वह शामिल नहीं हो सकती तो सोचने की बात है की किसी अन्य कुल और वंश के पूर्वज ,ब्रह्म ,सती ,बीर आदि की पूजा भी किसी अन्य वंश द्वारा उपयुक्त कैसे होगी |सारे पक्ष हमने रख दिए अब आप सोचिये कहीं आप ऐसी जगह तो नहीं सर झुका दे रहे जिससे आपके पित्र ,पूर्वज और कुलदेवता खुद को अपमानित महसूस कर रहे की उनका वंशज वहां झुक गया स्वार्थ में जहाँ उसे नहीं झुकना चाहिए था ..[[ प्रस्तुत लेख व्यक्तिगत विचार हैं ,इसके अर्थ समझने का प्रयास करें ,हमारा कोई उद्देश्य किसी भी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं अपितु एक गंभीर पारलौकिक विषय पर चिंतन और प्राप्त होने वाले संभावित परिणामों का है ,,इसके बाद भी हर कोई अपनी सोच के अनुसार निर्णय करके अपने आराध्य निर्धारित करने को स्वतंत्र है ]]…………………………………………………………..हर-हर महादेव


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