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अंतरात्मा की आवाज -ईश्वर का संकेत है

ईश्वर
का
संकेत है अंतरात्मा की आवाज

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दैनिक जीवन में अक्सर देखते हैं कि दरवाजे की घंटी बजते ही मन में ख्याल आता है कि इस समय दरवाजे पर अमुक
व्यक्ति ही होगा और दरवादा खोलने पर जिसका ख्याल आया था वही व्यक्ति होता है। इस प्रकार कभीकभी अपने
किसी मित्र से मिलने के लिए उसके घर पर जा रहे होते
हैं कि अचानक दिमाग में विचार कौंधता है कि इस समय दोस्त के यहां
जाना व्यर्थ होगा। वह नहीं मिलेगा। परंतु नहीं मानते और चल पड़ते हैं तथा वाकई में दोस्त नहीं मिलता हैं।
ऐसा भी होता है कि किसी रिश्तेदार या अभिन्न मित्र का ख्याल बारबार आता है और यह सोचने पर मजबूर कर देता
है कि ऐसा क्यों हो रहा हैं? तभी उस दोस्त या रिश्तेदार के साथ कोई हादसा होने
की खबर मिलती है। क्या
यह सब संयोग है ? नहीं, यह संयोग नहीं
है। आम भाषा में इसे अंतरात्मा की आवाज
कहा जाता
है। अनुभवियों का मानना है कि यह आवाज सभी के लिए कार्य करती है। सवाल सिर्फ इसको
समझने और पहचानने का है तथा इसपर अटूट
विश्वास करने
पर ही और अभ्यास से इसे समझा तथा पहचाना जा सकता
है।
वास्तव
में यह सबकुछ अवचेतन मन की कार्यप्रणाली पर आधारित सुझाव होते हैं जिस पर जाग्रत
अथवा चेतन मन क्रिया करता है |अवचेतन मन कोई क्रिया नहीं करता बस एक विचार उत्पन्न
कर देता है ,मानना न मानना चेतन मन का काम है |इसी अवचेतन मन को हम ईश्वर या
अंतरात्मा की आवाज कहते हैं |यह युगों युगों ,सदियों और कई जन्मो तक की सूचनाएं रख
सकता है और यह पूर्व की स्सोच्नाओं और अनुभवों के विश्लेषण के बाद एक विचार देता
है की यह होना चाहिए |आप माने या न माने पर यह विचार एकदम सटीक उतरता है |इसीलिए
इसे ईश्वर की आवाज कहा जाता है |साधक और सिद्ध इसकी आवाज पर बहुत ध्यान देते हैं
|एक झटके में इसने जो संकेत दे दिए वह बिलकुल सही होते हैं |साधना से वह इसे ही
जाग्रत करते हैं |इसकी शक्ति को बढाते हैं |ध्यान साधना में भी सी की शक्ति को
जगाया जाता है |वास्तव में ध्यान में जब विचारशून्यता आती है तो अवचेतन की क्रिया
पूर्ण प्रभावी हो जाती है और उस पर से चेतन का प्रभाव हट जाता है और वह वास्तविकता
के दर्शन कराती है |इसी की क्रिया अनवरत चलती है समाधि की अवस्था में और यही सभी
अनुभवों का संकलन करती है |यही जन्मों के अनुभव याद रखती है और यही पारलौकिक अनुभव
भी देखती सुनती और उस पर प्रतिक्रया करती है |इसका ही सीधा संभंध सूक्ष्म शरीर से
होता है |बार बार दोहराई गई गलत सूचना यहाँ स्थायी हो जाती है और जब आप कोई सुझाव
चाहते हैं तो आपकी बार बार बताई गई गलत बात यह आपको बता देता है |यह इसकी दोहरी
कार्यप्रणाली बी है |इसीलिए कहा जाता है की अवचेतन की बात को बार बार ठुकराना नहीं
चाहिए और इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए |
यह आंतरिक शक्ति या अवचेतन मन की शक्ति अच्छाई और बुराई का भी ज्ञान कराती है। उदाहरण के लिए रास्ते में एक सौ का नोट पड़ा मिलता है, तो उसे तुरंत रख लेते
हैं, परंतु आंतरिक शक्ति बताती है कि यह ठीक नहीं है। परंतु उसपर ध्यान नहीं देते
हैं। बात वहीं विश्वास की है। यदि इसपर
विश्वास करेंगे, तो अंतरात्मा की आवाज
भी उतनी
ही विकसित होगी और उसका अनुसरण कर बहुत लाभ ले सकते हैं। ध्यान रहे, अंतरात्मा की आवाज
ईश्वरप्रदत्त संकेत है जिसमें आत्मा माध्यम है।  इसको पूर्णतया जागृत करने
के लिए विश्वास के अतिरिक्त, मस्तिष्क में जब भी किसी
भी प्रकार का विचार आये, तो गंभीरता से यह जानने का प्रयत्न करें कि यह विचर अचानक जागृत करने
में आसानी होगी। जैसे
अमुक कार्य करने जा रहे हैं, तो ख्याल आता है कि इसे अभी करें। चार दिन बाद कीजिए और देखेंगे की वह कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो जाता
है|

यदि
ईश्वर में
विश्वास रखते हैं ,यानी आस्तिक है, तो यह तय है कि अंतरात्मा की आवाज शीघ्र जागृत हो जाएगी| ज्योंज्यों विश्वास बढ़ेगा, त्यों त्यों अंतरात्मा की आवाज जागृत होगी | आज विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिक इसे छठी
इंद्रिय, और सुपर चेतना के नाम से भी पुकारते हैं।……………………………………………………..हर
हर महादेव 


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