अगिया बेताल साधना
==============[ प्रथम पद्धति ]
यह पद्धति बेताल के एक प्रकार अगिया बेताल की है ,जो शाबर मंत्र अर्थात नाथ सम्प्रदाय द्वारा बनाई गयी है |अगिया बेताल की साधना नाथ और सिद्ध परंपरा में अधिक विकसित हुई थी और इसके अनेक मंत्र तथा पद्धति इस परंपरा में विकसित किये गए |वाम मार्गीय साधना सबके वश की नहीं होती और जो केवल गुरुगम्य है उसे हम प्रकाशित नहीं कर सकते |जितना प्रकाशित किया जा सकता है वह हम लिखने का प्रयत्न कर रहे |
नीचे दिए गए मंत्र द्वारा साधक अकेले में किसी निर्जन स्थान अथवा पुराने शिव मंदिर या श्मशान में साधना कर सकता है |मंत्र बहुत उग्र नहीं किन्तु अगिया बेताल उग्र शक्ति तो है ही अतः जैसा की हमने पूर्व के लेखों में लिखा है वैसी सावधानियां और साधक की प्रकृति तो होनी ही चाहिए |
मंत्र – ॐ अगिया बेताल महाबेताल बैठ बेताल अग्नि अग्नि
तेरे मुख में सवामन अग्नि महाविकराल फट स्वाहा ||
साधना विधि
————— अपने गुरु से अनुमति लेकर ,उनके द्वारा प्रदत्त रक्षा कवच पहनकर ही साधना करनी चाहिए |बेताल साधना में मंत्र संख्या का कोई महत्त्व नहीं कि इतनी संख्या में मंत्र जप पर बेताल सिद्ध हो जाएगा या आएगा इसलिए समय सीमा निश्चित करना अच्छा है की इतने समय तक जप करूँगा |माला रुद्राक्ष की होनी चाहिये |पूजन सामग्री साथ में हो जिससे पहले शिव जी की पूजा करें |एक माला और कुछ खाद्य पदार्थ हमेशा पास में होनी चाहिए जितने दिनों तक साधना चले |बेताल के उअपस्थित होने पर माला पहनाने को और नैवेद्य खिलाने या अर्पित करने को चाहिए होती है |
एकांत स्थान या शिव मंदिर का चुनाव कर गुरु अनुमति के बाद रक्षाकवच के साथ पहले कुछ दिन शिव मंदिर में मंत्र का जप करना चाहिए |पास में घास के सूखे फूस भी रखने चाहिए |कुछ दिन बाद मंत्र के साथ उड़द के दाने घास पर डालना शुरू करना चाहए |साधना क्रम में एक दिन एक समय ऐसा आता है जब मंत्र पढ़ते हुए घास पर उड़द के दाने डालते हुए सामने रखा घास फूस बिना अग्नि दिखाए अपने आप जलने लगता है |इस प्रकार स्वतः अग्नि प्रज्वलित होने का अर्थ है की बेताल प्रकट हो रहा है |इस प्रकार अपने आप अग्नि के जलते ही दाहिने हाथ से मेवे का प्रसाद रख दिया जाना चाहिए |यदि बेताल साकार रूप में प्रकट हो तो उसे देखकर भयभीत न हों |उसे श्रद्धापूर्वक नमस्कार कर माला पहना दें तथा साष्टांग दंडवत करें |निश्चित रूप से बेताल वर मांगने का आग्रह करेगा |तब श्रद्धा पूर्वक हाथ जोडकर निवेदन करें की मेरी जीभ पर निवास करने की कृपा करें |………[अगला अंक -अगिया बेताल साधना द्वितीय पद्धति ]………………………………………..हर -हर महादेव
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