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भविष्य अपनी शक्तियों से देख सकते हैं

आप भविष्य को दर्पण की तरह देख सकते हैं
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           हम सभी की चाहत रहती है कि जीवन में आने वाली घटनाओं को जान सकें। इसके लिए ज्योतिषी एवं भविष्यवक्ता से संपर्क करते हैं। लेकिन विज्ञान कहता है कि हम सभी भविष्य और भूत की घटनाओं को दर्पण की तरह देख सकते हैं। मानव के अंदर एक ऐसा जीन छुपा रहता है, जिससे उसे भावी
घटनाओं का पता चल सकता है। लेकिन व्यावहारिक रूप से वह पता नहीं कर पाता। अब वैज्ञानिकों ने यह रहस्य खोल लिया है। मानव अपने मस्तिष्क के जरिये भविष्य की घटनाओं का पता आसानी से लगा सकता है। आम तौर पर हमें आज और अभी या अपने आसपास की घटनाओं की ही जानकारी होती है। आने वाले या बीत गए समय की अथवा दूरदराज की घटनाओं का पता नहीं चलता
, लेकिन कोई विलक्षण शक्ति है, जो व्यक्ति को समय और दूरी की सीमाओं का अतिक्रमण करते हुए उपयोगी सूचनाएं देती है।
           विल्हेम वॉन लिवनीज नामक वैज्ञानिक का कहना है हर व्यक्ति में यह संभावना छिपी पड़ी है कि वह कभीकभार चमक उठने वाली इस क्षमता को विकसित कर पूर्वाभास को सामान्य बुद्धि की तरह अपने
व्यक्तित्व का हिस्सा बना लेता है। इस तरह की क्षमता अर्जित कर सकता है
, जब चाहे दर्पण की तरह अतीत या भविष्य को देख सके।  अतीन्द्रिय ज्ञान को वैज्ञानिक आधार देते हुए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में भौतिकी के विद्वान एड्रियन डॉन्स ने कहा है कि भविष्य में होने वाली हलचलें मनुष्य के मस्तिष्क में एक प्रकार की तरंगें पैदा करती हैं। इन तरंगों को साइट्रॉनिक वेवफ्रंट कहा गया है। ये तरंगे मस्तिष्क के स्नायुकोष पकड़ लेते हैं। 
              डरहम विश्वविद्यालय इंग्लैंड के गणितज्ञ एवं भौतिकीविद् डॉ. गेरहार्ट डीटरीख वांसरमैन का कहना है कि भविष्य का आभास या अतीत की घटनाओं का ज्ञान इसलिए होता रहता है, क्योंकि इनके संकेत समयसीमा से परे मेंटल पैटर्न चिंतन क्षेत्र में मौजूद रहते हैं। ब्रह्माण्ड का हर घटक इन घटना तरंगों से जुड़ा होता है। एक्सप्लोरिंग साइकिक फिनॉमिना बियांड मैटर नामक अपनी चर्चित पुस्तक में डी स्कॉट रोगो लिखते हैं, विचार धाराएं तथा भावनाएं प्राणशक्ति का उत्सर्जन (डिस्चार्ज ऑफ वाइटल फोर्स) हैं। यही उत्सर्जन अंत:करण में कभीकभी स्फुरण बनकर प्रकट होते हैं। उत्सर्जन दो व्यक्तियों के बीच हो तो टेलीपैथी कहा जाता है और समयसीमा से परे हो तो पूर्वाभास |…………………………………………………………..हरहर महादेव 

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