संतानों का भविष्य आप बिगाड़ रहे हैं
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आज का स्वार्थ कल का अभिशाप बन जाएगा
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हम अपने जीवन में अक्सर ऐसी गलतियाँ कर जाते हैं जिसके बारे में हमें अनुमान तक नहीं होता कि वास्तव आप जिस देवता को पूजते हैं आपका अंतिम पड़ाव उस देवता तक ही अधिकतम हो सकता है ,अर्थात आप अधिक से अधिक उसके लोक तक ही जा सकते हैं ,अगर वह प्रसन्न हो गया अथवा सिद्ध हो गया तो |आप अगर भूत -प्रेत ,पिशाचिनी ,यक्षिणी ,अप्सरा ,पीर ,मजार ,शहीद ,बीर ,सती ,ब्रह्म पूजते हैं तो आपका अंतिम पड़ाव यही होंगे आपको देवी-देवताओं का लोक नहीं मिलने वाला इन्हें पूजने से |इतना तो सभी जानते हैं की किस देवता को पूजने से क्या मिलता है ,उसी तरह जिसे आप पूजते हो वह आपको मिलता है और आपको उसका लोक मिलता है |अगर कोई मनुष्य मरा है और ब्रह्म ,पीर ,बीर ,सती ,शहीद ,प्रेत ,भूत बना है तो उसकी तो क्षमता ही उसके लोक तक है ,जब वह खुद आत्मा रूप में घूम रहा तो आपको क्या देवताओं तक ले जाएगा |
इसी तरह पिशाचिनी ,यक्षिणी ,अप्सरा भी अपने लोक और क्षमता से ऊपर तो आपको नहीं ही पहुचा सकते |क्या आप गारंटी से कह सकते हैं की अमुक शहीद ,ब्रह्म ,बीर का मोक्ष हो गया या वह देव लोक तक चले गए |जब खुद नहीं गए तो आपको क्या ले जायेंगे |अगर चले गए तो उनके पूजने पर यहाँ आपका काम कैसे होता है |यहाँ आपका काम होता है इसका मतलब वह इसी भौतिक दुनिया में भटक रहे और आपके पूजा को लेकर अपनी शक्ति बढ़ा रहे और अपना शक्ति बरकरार रख रहे |वैसे आपकी मनोकामना पूर्ण होने की थ्योरी और विज्ञान कुछ अलग होता है जिसके बारे में ९९ प्रतिशत लोग नहीं जानते |आप किसी भी काल्पनिक देवता की पूजा करने लगें और आपकी श्रद्धा अट्टू हो तो आपमें मानसिक बल ,क्षमता ,आस्था -विश्वास की ताकत उत्पन्न होगी जो आपके अवचेतन के साथ ही आपके व्यक्तित्व को भी प्रभावित करेगी और आपकी स्थिति सुधरती जायेगी |
इसे आप प्रेत शक्ति की पूजा से मत जोड़ लीजियेगा की उनकी पूजा पर भी आपको यही लाभ मिलेंगे |प्रेत शक्ति की पूजा पर वह आपकी पूजा लेते हैं ,कभी कभी तो खुद को देवी देवता बताकर भी लेते हैं ,आपके काम बनते हैं उनकी सहायता से किन्तु आपके आस पास ऐसा घेरा भी बन जाता है की आप फिर उनसे निकल नहीं सकते और आपकी मुक्ति बाधित हो जाती है ,मोक्ष की तो बात ही भूल जाइए |आपकी अगली पीढ़ी से भी यह पूजा चाहते हैं और अगली पीढ़ी ने इन्हें पूजा नहीं दी तो उनकी बर्बादी शुरू |इनकी पूजा से आपके पित्र तो नाराज रहते ही हैं आपसे आपके कुलदेवता भी स्थान छोड़ जा चुके होते हैं ,फिर आपके पास वापसी का कोई रास्ता नहीं होता और आप इन्हें ही पूज सकते हैं |
आपकी पूजा किसी भी देवी देवता तक नहीं पहुँचती |आप कहेंगे की क्या यह देवी -देवताओं से भी शक्तिशाली हो गए जो उन तक आपकी पूजा नहीं पहुंचेगी तो हम आपको बताना चाहेंगे की हां आपकी पूजा देवताओं तक नहीं पहुंचेगी भले देवी देवता बहुत शक्तिशाली होते हैं क्योंकि गलती आपने खुद की है |कुलदेवता नाराज हो गए हों या कुलदेवता की पूजा न हो रही हो तो किसी भी देवी देवता को पूजा नहीं मिलती यह एक चक्र और सीढ़ी होती है भारतीय पूजा नियमों में |क्रम बनाए गए हैं ,संरचना बनी है ऊर्जा की जिसमे ऊर्जा विनिमय होता है |पित्र नाराज तो कुलदेवता रुष्ट ,कुलदेवता रुष्ट तो कोई देवता पूजा नहीं पायेगा |अंततः आप न मुक्त होंगे ना पाजिटिव ऊर्जा पायेंगे |ग्रहों तक के उपाय काम नहीं करेंगे |ले देकर आप उसी शक्ति पर निर्भर हो जायेंगे जो प्रेत शक्ति आप पूज रहे थे |
अक्सर आपने देखा भी होगा की इन्हें पूजने वाले कुछ समय बहुत तेजी से वृद्धि करते हैं पर अंततः अंतिम समय बुरा होता है और बाद में परिवार तबाह होने लगता है ,क्योंकि कोई भी ऐसी शक्ति बिना स्वार्थ किसी की सहायता नहीं करती चूंकि आखिर हैं तो वह आत्मा ही तथा उसमे इच्छाएं भी बाकी होती हैं | इनमे एक दोष और होता है यह पूजे जाने पर आपके कुलदेवता की पूजा ले लेते हैं और कुलदेवता साथ छोड़ देते हैं ,आज तो नहीं समझ आएगा पर अगली पीढियां परिणाम गंभीर भुगतेंगी जब कुलदेवता का सुरक्षा चक्र समाप्त हो जाएगा |दूसरी समस्या की कुलदेवता को पूजा न मिलने से ईष्ट तक आपकी पूजा नहीं पहुचेगी |आप तीन घंटे पूजा करो पर लाभ कुछ भी नहीं होगा |ईष्ट तक पूजा पहुच ही नहीं रही |थक कर आप कहोगे की पूजा पाठ ,तंत्र मन्त्र सब बेकार है |
एक और समस्या यह होगी आपके इन शक्तियों को पूजने से की जब तक आप इन्हें पूजोगे ये आपको सुखी रखेंगी क्योकि इनका स्वार्थ है आपकी पूजा से इन्हें शक्ति मिलेगी |आने वाली पीढ़ियों में जब कोई भूलेगा या पूजा नहीं देगा या आप ही कभी पूजा बंद कर दिए तो यह उनका या आपका विनाश कर देंगी |कुलदेवता और ईष्ट पहले ही गायब हैं आपका या पीढ़ियों का भला कोई नहीं कर पायेगा |इन सब कारणों को आपने सोचा नहीं पूजने लगे आत्मा की प्रतीक शक्तियों को ,जब परिणाम बंद हुआ तो पूजा पाठ सब बेकार बना दिया |पहले नहीं सोचा तो भैया अब सोचो ,अभी आपके पास समय हो सकता है |वर्ना अपना तो बेडा गर्क करोगे ही आने वाली पीढियां भी गाली देंगी की कहाँ फंसा कर चले गए उन्हें आप |दुसरे की देखा -देखि शहीद -पीर ,मजार ,ब्रह्म बाबा .बीर बाबा .के भ्रम से बाहर निकलो नहीं तो पछताने पर भी रास्ता नहीं मिलेगा |
ध्यान दीजिये हम संतों और गुरुओं की समाधि की बात नहीं कर रहे ,इन पर हम किसी दुसरे लेख में विस्तार से चर्चा करेंगे |इनका प्रभाव और परिणाम अलग होता है |अभी हम केवल शहीद ,ब्रह्म ,बीर ,सती ,पीर ,चौकी ,मजार आदि उन शक्तियों की चर्चा कर रहे जो प्रेत योनी में गए |आप पीर और संत समाधि को भी आपस में मत जोड़ समान मत मान लीजियेगा क्योंकि दोनों के प्रभाव आपके लिए समान नहीं होते हैं |इस पर हम विस्तार से आपको अगले अंक में समझायेंगे | आप हिन्दू हो तो बड़े सहिष्णु और दयालु भी हो ,सबको बराबर मानकर कहीं भी सर झुका देते हो ,किसी की पूजा करने लगते हो पर कहीं यह आपके गले की फांस तो नहीं बन रहा इस पर भी तो सोचो |आप आज के थोड़े से स्वार्थ और लाभ के लालच में कहीं अपनी मुक्ति तो नहीं बिगाड़ रहे ,कहीं अपनी आने वाली पीढ़ियों को कांटे और बर्बादी तो नहीं देकर जा रहे |.
हम यह बिलकुल भी नहीं कह रहे की आप इनकी पूजा मत कीजिये ,आप इनको पूजा दीजिये ,जरुर दीजिये आपको अति आवश्यक लगता हो तो किन्तु अपने घर में स्थापित करके नहीं ,आप जब भी इन्हें पूजा दें तो इनके लिए बनाए गए स्थान पर जाकर ही |इन्हें लाकर घर में स्थापित नहीं कीजिये ,क्योंकि आपकी सभी समस्याएं तभी शुरू होंगी जब आप इन्हें घर में स्थापित कर देंगे |ऐसी कोई मान्यता मत मान दीजिये की आपका यह काम होगा तो आप इन्हें घर में स्थान देकर पूजा करेंगे |आपने घर में स्थान दिया तो फिर वह होगा जो हमने उपर बताया है |…[इस विडिओ और पोस्ट का उद्देश्य किसी की भावना को ठेस पहुचना नहीं है ,अपितु पूजा -पाठ के आतंरिक रहस्य को समझने का प्रयत्न मात्र है ,जो हम अपने वेबसाईट ,पेज ,चैनल और ब्लॉग के पाठकों -श्रोताओं से साझा कर रहे ,वैचारिक स्वतंत्रता के अधिकार के आलोक में ]………………………………………………………….हर-हर महादेव
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