यक्षिणी /अप्सरा सीधे सिद्ध नही होती
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आज के समय में अधिकतर साधकों का उद्देश्य भौतिक उपलब्धि प्राप्त करना होता है ,आध्यात्मिक उद्देश्य को सामने रखकर लाखों में कोई एक साधना करता है ,उनमे भी अधिकतर पहले भौतिक रूप से सक्षम होना चाहते हैं ,ऐसे में बहुत से लोग अप्सरा ,यक्षिणी ,बेताल ,यक्ष ,किन्नर आदि इतर योनियों की शक्तियों को सिद्ध करना चाहते हैं क्योंकि भौतिक उद्देश्य इनसे पूरे होते हैं |हम आपसे कहना चाहेंगे की अधिकतर लोग जो इन्हें सीधे सिद्ध करने की कोशिश करते हैं वह असफल होते हैं |इन्हें सिद्ध करने से पूर्व खुद को इस योग्य बनाना होता है ताकि यह आपसे जुड़ सकें ,मात्र मन्त्र जपने से यह सिद्ध नहीं होते |मंत्र जपने पर यह आस पास आ भी सकते हैं किन्तु यह आपसे जुड़ेंगे तभी जब आप उनके अनुकूल होंगे |इसके लिए आपको सक्षम बनना होता है |
अप्सरा ,यक्षिणी ,यक्ष ,बेताल ,भैरव आदि उच्च शक्तियाँ होती हैं यद्यपि यह देवताओं और उनसे उपर की महाविद्याओं से काफी नीचे की शक्तियाँ हैं फिर भी मानव के भौतिक सभी उद्देश्य यह पूरे कर सकते हैं ,इसलिए इनकी साधना अधिकतर साधक ,तांत्रिक अपनी साधना को निर्विघ्न रखने और सुविधाएं जुटाने के लिए किया करते थे ताकि वह उच्च साधना भी करते रहें और उनकी सुरक्षा तथा भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ती भी होती रहे |समयक्रम में सामान्य जनमानस इन्हें जान गया और वह भी इनकी साधना करने लगा किन्तु इनकी साधना में सबको सफलता नहीं मिलती क्योंकि अधिकतर इनकी साधना सीधे नहीं होती |आज अधिकतर लोग यह सोचते हैं की किताबों से या किसी गुरु से मंत्र लेकर निश्चित संख्या में जप कर लेंगे और अप्सरा ,यक्षिणी आदि सिद्ध हो जायेंगी ,कुछ लोग ऐसा करते भी हैं |
कुछ गुरु लोग इनकी दूकान खोले भी बैठे हैं जो कुछ पैसे लेकर कुछ मंत्र और किताबों में लिखी विधि पकड़ा देते हैं |बहुत से लोग साधना करके हानि भी उठाते हैं जबकि सफलता अधिकतर को नहीं मिलती |कुछ लोगों को तो मानसिक ,या शारीरिक या आर्थिक हानि भी उठानी पडती है |कुछ लोगों का गृहस्थ जीवन तबाह हो जाता है |सोचने की बात है की आप किसी सामान्य महिला को तो साधारनतया नियंत्रित कर ही नहीं सकते ,आपके बुलाने से कोई सामान्य महिला आ जायेगी यही निश्चित नहीं होता तो यह तो बहुत उच्च शक्तियाँ हैं जिनके सामने आपकी कोई क्षमता ही नहीं तो क्या यह मात्र आपके मन्त्र रटने से आ जायेंगी और आपकी बात मानने लगेंगी |क्या आपके मात्र मन्त्र रटने से यह खुश हो जायेंगी और आपके वशीभूत हो जायेंगी |आपमें ऐसा क्या है जो यह आपके नियंत्रण में आ जायेंगी |सामान्य मानव तक किसी के नियंत्रण में नहीं रहना चाहता तो यह कैसे आपके नियंत्रण में रहना चाहेंगी |कोई भी शक्ति नियंत्रित करने की कोशिश पर तीव्र प्रतिक्रिया करती है और आपमें क्षमता नहीं तो आपका अहित कर देती है |किताबी कल्पनाओं से हकीकत की दुनिया अलग होती है |हम बार बार कहते आये हैं की किताबें लिखने वाला सुनी सुनाई लिखता है या यहाँ वहां से जोड़ तोड़ करके नै किताब लिख देता है ,वह साधक नहीं होता और जो साधक होता है वह किताबें नहीं लिखता ,साथ ही वह अपने मूल अनुभव किसी को नहीं बताता |
किसी भी शक्ति को साधने के लिए पहले खुद को साधना होता है ,खुद को ऐसा बनाना होता है की कोई शक्ति आपसे जुड़े |यहाँ साधना का मतलब कसरत और व्यायाम नहीं होता की शरीर मजबूत कर लिया ,अपितु खुद की आतंरिक ऊर्जा को बढाना होता है |अप्सरा ,यक्षिणी आदि साधना से पहले भी उच्च शक्तियों की साधना करनी पड़ती है |उच्च शक्तियाँ बहुत अधिक समय लेती हैं तो उनकी विशिष्ट साधना करके पहले खुद को उर्जावान किया जाता है तब अप्सरा ,यक्षिणी साधना करके उन्हें वशीभूत किया जाता है |इनसे भौतिक कार्य सम्पन्न कराते हुए मूल उच्च शक्ति की साधना जारी रखी जाती है ताकि लम्बे समय तक सब कुछ सुचारू भी रहे ,सुरक्षा हो ,दैनिक जरूरतें पूरी होती रहें और उच्च साधना सम्पन्न हो उद्देश्य मूल शक्ति की प्राप्त भी हो जाय |यही मूल उद्देश्य था अप्सरा यक्षिणी साधना का और इनकी साधना सिद्धि में यही सूत्र आज भी लागू होता है |इन सूत्रों पर न चलने वाले अथवा सीधे साधना करने वाले असफल हो जाते हैं |पहले श्यामा ,लघु श्यामा ,काली ,मातंगी ,नित्यायें ,रूद्र ,भैरव ,हनुमान जैसी साधनाएं करने के बाद ही अप्सरा ,यक्षिणी ,बेताल ,यक्ष आदि की सिद्धि भी आसान होती है |अतः समझने की कोशिश कीजिये ,भ्रम मत पालिए ,सक्षम गुरु तलाशिये जो तकनिकी रूप से सक्षम हो और सूत्र जानता हो ,साथ ही जिससे आप समय समय पर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें क्योंकि इन साधनाओं में कब क्या हो कोई नहीं जानता ,कितना समय लगे निश्चित नहीं होता |खुद को पहले सक्षम बनाइए की शक्ति आपसे जुड़ सके ,अपने में वह आकर्षण शक्ति उत्पन्न कीजिये की यह शक्तियाँ आकर्षित हो सकें |तभी आप सफल होंगे |
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