Alaukik Shaktiyan

ज्योतिष ,तंत्र ,कुण्डलिनी ,महाविद्या ,पारलौकिक शक्तियां ,उर्जा विज्ञान

कब ईश्वर आपकी पुकार अनसुना कर देता है ?

क्यों सुने ईश्वर आपकी

===================

        दुनियां में अधिकतर लोग आस्तिक होते हैं और इनमे से अधिकतर लोग पूजा-पाठ करते हैं ,कुछ बहुत अधिक पूजा करते हैं तो कुछ लोग कम करते हैं |कुछ बस हाथ जोड़कर ही काम चला लेते हैं |किन्तु कुछ को कृपा इश्वर की मिल पाती है और अधिकतर को नहीं मिलती और वह भ्रम पाले रहते हैं की ईश्वर शायद परीक्षा ले रहा है |यदि हम गंभीरता से देखे तो ईश्वर की कृपा न मिलने का कारण उसके द्वारा li जा रही परिक्षा नहीं होती कारण आपकी खुद की कमियाँ होती हैं |आप शुद्ध -पवित्र -नैतिक दृष्टि से सही -चारित्रिक दृष्टि से सही नहीं हैं इसलिए आपको पूर्ण कृपा नहीं मिल पाती |क्या आप ईश्वर के सामने जल-अक्षत-पुष्प लेकर संकल्प पूर्वक कह सकते है की —यदि में मन-वचन और कर्म से शुद्ध-सही और पवित्र होऊ तो हे ईश्वर मेरा यह कार्य कर दे या सहायक हो ,,यदि आप नहीं कह सकते तो वह ईश्वर क्यों सुने आपकी पुकार ,,न कह पाने का मतलब है आपको खुद पर विश्वास नहीं है ,आपने कदम-कदम पर गलतिया की है ,धोखा दिया है ,अन्याय किया है ,किसी के भी साथ ,कभी भी | तभी तो आप आज यह कहने की स्थिति में नहीं है ,आपके मन में चोर है |आपके नहीं कह सकने की स्थिति में आपका आत्मबल कमजोर होता है ,ईश्वर से संकल्प पूर्वक माँगने में अपने मन का चोर आड़े आता है ,,आप ईश्वर से तो चाहते है कि वह आपकी बात सुने और आप जो मांग रहे वह आपको दे पर अपने को आप नहीं देखना चाहते ,ऐसे में ईश्वर से भी नहीं मिलता या कम मिलता है ,,कारण यह होता है की ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं एक ऊर्जा है ,शक्ति है ,जो सर्वत्र व्याप्त है ,वह तो आपके अंदर भी है वही न हो तो आप भी  कहा  होगे ,वह तो सबमे है ,वह तो आपके अन्दर बैठा सब जान रहा है ,आपके अंतर्मन की बाते भी वह जान रहा है ,आपके क्रिया कलाप भी वह देख रहा है |

           जब आप गलती करते है तो वह जान रहा होता है ,बोलता कुछ नहीं क्योकि वह अंतर्मन के माध्यम से बोलता है और आप अपने अंतर्मान की सुनते ही नहीं |आपको खुद ही नहीं पता होता कि आपके द्वारा की गयी छोटी से छोटी क्रिया भी आपके ही अवचेतन में इकठ्ठा होती रहती है ,इससे अवचेतन की यादें बनती हैं और यही आपके कर्मों का फल दिलाती हैं |आप तो कोई भी कार्य करके भूल जाते हैं लेकिन आपका अवचेतन उसे नहीं भूलता ,वह उसे याद के रूप में इकठ्ठा कर लेता है ,ईश्वर ने ऐसी प्रक्रिया बना रखी है कि आपको ही पता नहीं होता और आपके कर्म की यादें इकठ्ठा होती रहती हैं |ईश्वर इन्हें पढता है जब भी आप उससे अपने लिए कुछ माँगते हैं |

            ईश्वर इस जन्म की ,पुराने जन्मों की कर्मों का लेखा जोखा करके ही तुलना करके ही आपको देता है |कभी भाग्य के रूप में कभी आशीर्वाद के रूप में |आपका प्रतिशत कमजोर है तो वह आपको अनसुना करता है ,,जब आप गलतियाँ कर रहे हों तब वह कुछ नहीं बोलता भले सब देख सुन रहा हो ,इसीलिए जब अपनी जरुरत पर आप उससे माँगते है तब भी वह कुछ नहीं बोलता पर देता भी कुछ नहीं ,चाहे घंटो पुकारे |,,आप उसे बाहर आवाज देते है जबकि वह तो आपके अंदर ही बैठा सब देखता रहता है |,आपने गलतिया की होती है ,पुरे आत्मविश्वास से यह कहने की स्थिति में नहीं होते की मैंने कभी कोई गलती-अन्याय-कष्ट नहीं दिया या किया है मुझे आप यह दें |,इसलिए आपकी मानसिक ऊर्जा ईश्वरीय ऊर्जा को आंदोलित नहीं कर पाती फलतः आपकी आवाज उस तक नहीं पहुच पाती ,और आपको अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता ,|,अतः अपने को ऐसा बनाए की आप ईश्वर के सामने कह सके की मैंने कभी कोई गलती नहीं की ,किसी को कष्ट  नहीं दिया ,किसी की स्त्री या पुरुष पर गलत दृष्टि से नजर नहीं डाली ,पर द्रव्य हरन नहीं किया ,मैंने कोई अन्याय नहीं किया ,में पूरी तरह सही हू आप मेरा यह कार्य करे या सहायक हो |,ऐसे में ईश्वरीय ऊर्जा जरुर सहायक हो सकती है ,क्योकि आपका आत्मविश्वास और श्रद्धा उसे विवश करेगा और आपको उससे जोड़ेगा ,आपका अवचेतन आपकी बात की पुष्टि करेगा और इश्वर जरुर सुनेगा | …………………………..[व्यक्तिगत विचार ]…………………………………………..हर-हर महादेव 


Discover more from Alaukik Shaktiyan

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Latest Posts