क्यों कुलदेवता /देवी रुष्ट हो जाते हैं ?
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जब हम किसी समस्या से परेशान होते हैं और उसका भौतिक हल नहीं मिलता तो हम उसका समाधान आध्यात्मिक जगत में खोजते हैं और तब हम किसी ज्ञानी जानकार से मदद लेने की कोशिश करते हैं |वह कारण पकड़ने की कोशिश करता है और आज के समय में अधिकतर लोगों को बताया जाता है की आपके कुलदेवता नाराज या रुष्ट हैं |यह समस्या आज इसलिए बढ़ गई है क्योंकि लोगों की जीवन शैली बदल गई है ,धार्मिक आध्यात्मिक सोच बदल गई है जबकि कुलदेवता कुलदेवी की अवधारणा और उनकी ऊर्जा प्रकृति वैसी ही है जब इनकी स्थापना और परिकल्पना हुई थी |चूंकि हजारों वर्षों तक इन्हें पूजा मिली है अतः यह आपके कुल वंश गोत्र के साथ स्थायी रूप से जुड़ चुके हैं |जब आप आज अपनी मूल संस्कृति से अलग हट रहे तो यह प्रतिक्रिया करते हैं और आपसे नाराज या रुष्ट होते हैं जिससे आपको बुरे परिणाम मिलते हैं |आप चाहें या न चाहें ,माने या न माने पर यह क्रिया करते हैं |कुछ अति आधुनिक और अति बुद्धिमान खुद को समझने वाले इस विज्ञान को समझ नहीं पाते किन्तु ऐसा होता है |जो विज्ञान मंदिर की ऊर्जा ,सिद्ध संत की ऊर्जा का या पित्र और भगवान् की ऊर्जा का होता है वही विज्ञान यहाँ भी होता है और कुलदेवता भगवान् तथा मनुष्य के बीच की कड़ी हैं |जो दुसरे धर्मों का उदाहरण देते हैं उन्हें भी नहीं पता की हर धर्म में दो स्तर होते हैं |सीधे आप मूल शक्ति तक पहुँच ही नहीं सकते |
हमने दर्जनों लेख लिखे हैं दर्जनों विडिओ बनाये हैं कुलदेवता आदि के विषय में और बहुत सि जानकारियाँ दी हैं ,आज के विडिओ में हम आपको बताते हैं की आपके ऐसे कौन से काम होते हैं जिससे आपके कुलदेवता या देवी रुष्ट हो जाते हैं जिससे आपको विपरीत परिणाम मिलते हैं |यह सच है की मूल शक्ति या ईश्वर एक ही है किन्तु उस तक पहुँचाने का मार्ग हर धर्म में अलग अलग है जो अलग अलग ऊर्जा विज्ञान पर काम करता है |जैसे उस एक ही ईश्वर के बनाए मनुष्य एक जैसे नहीं होते उसी तरह से हर मार्ग की उर्जायें सामान नहीं होती |भिन्न भिन्न उर्जायें आपस में टकराती भी हैं और हानि लाभ भी करती हैं |यही विज्ञानं लागू होता है कुलदेवता की प्रथम नाराजगी में जब आप किसी अन्य धर्म के देवी देवता को पूजने लगते हैं अन्य धर्म में रहते हुए |हर धर्म का उर्जा विज्ञानं एक निश्चित रास्ते से मूल शक्ति तक पहुंचाता है और आपस में मिलने पर टकराव होता है उर्जाओं में |जब आप किसी अन्य धर्म की शक्ति को पूजा देते हैं तो भिन्न उर्जा उत्पन्न होती है और उसका टकराव आपके साथ हजारों वर्ष से जुडी आपके वंश की ऊर्जा यानी कुलदेवता से हो जाता है जिससे विक्षोभ उत्पन्न होता है आपको विपरीत परिणाम मिलते हैं जिसे कहा जाता है की कुलदेवता रुष्ट हो गए |कुलदेवता या देवी का प्रभाव व्यापक किन्तु धीमा होता है अतः जब आप किसी अन्य धर्म की शक्ति को पूजते हैं तो तुरंत परिणाम सामने नहीं आता या आपको लाभ भी दिख सकता है किन्तु अगली पीढ़ियों में बर्बादी दिखने लगती है जिसे कहा जाता है की अपने आने वाले वंश के लिए आपने कांटे बो दिए |
कुलदेवता या देवी का सीधा सम्बन्ध पितरों से होता है चूंकि पित्र उस वंश से सम्बन्धित होते हैं जिसकी रक्षा कुलदेवता करते हैं |पितरों की किसी भी तरह की नाराजगी कुलदेवी या देवता को रुष्ट कर देती है |पित्र तब रुष्ट होते हैं जब कोई भी ऐसा काम किया जाय जो परिवार खानदान की मर्यादा के अनुकूल न हो ,जब आप पितरों की शान्ति के उपाय न करें जबकि आप उनके वंशज हैं |अंतरजातीय या विजातीय विवाह ,दुसरे धर्म के देवी देवता या साधू संत बाबा की पूजा से हर किसी के पित्र रुष्ट होते हैं जबकि मांस मदिरा भक्षण से ब्राह्मणों के पित्र अलग से भी रुष्ट होते हैं ऐसे में इन लोगों को मान लेना चाहिए की कुलदेवता का साथ इन्हें नहीं मिल रहा पित्र असंतुष्टि के कारण |पित्र तब भी नाराज होते हैं जब घर के बड़े बुजुर्गों को उचित सम्मान न मिले अथवा परिवार की मर्यादा के विपरीत आचरण किया जाए |
आप बहुत बड़े धार्मिक सद्भाव रखने वाले खुद को समझें और अति विद्वान् मान एक ही ईश्वर की बात करें किन्तु जब तक आप हर धर्म के प्रतीक पर सर झुकाते हैं तभी तक ठीक होता है |जब किसी अन्य धर्म के प्रतीक या शक्ति या देवी देवता की स्थापना अपने घर में कर लेते हैं और उन्हें पूजा देने लगते हैं तो आप पित्र और कुलदेवता दोनों को रुष्ट कर देते हैं |ध्यान दीजिये कुलदेवता कोई मनुष्य नहीं हैं यह एक निश्चित प्रकार की शक्ति हैं जिन्हें आपने नाम दिया है और इनकी विशिष्ट पूजा पद्धति एक विशेष उर्जा उत्पन्न कर आपके वंश की रक्षा करती है |यह एक स्थायी शक्ति है |पित्र भी कई सौ सालों तक आत्मा रूप में भ्रमण करते हैं |ऐसे में आपको सोचना चाहिए की जिस धर्म से सम्बन्धित शक्ति को आज आप घर में पूजने लगे हैं उसका कैसा सम्बन्ध आपके पूर्वजों से रहा है |जैसे कल आपके पूर्वजों पर अत्याचार करने वाले धर्म के शक्ति को आप पूजेंगे तो आपके पित्र खुश तो नहीं ही होंगे और तब कुलदेवता भी रुष्ट या निर्लिप्त हो जायेंगे |
जब आप किसी प्रेत ,आत्मा या छुद्र शक्ति ,शहीद ,मजार ,पीर ,ब्रह्म ,सती को पूजते हैं और वह आपके परिवार खानदान से सम्बन्धित नहीं है तो आपको पित्र नाराजगी तो मिलती ही है सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है की यह शक्तियाँ आपकी पूजा पाकर कुछ समय बाद शक्ति प्राप्त कर आपसे जुड़कर आपके पूजा को खुद ग्रहण कर उसे भगवान् तक नहीं पहुँचने देते क्योंकि इनकी पूजा के साथ ही कुलदेवता आपकी पूजा भगवान् तक पहुँचाने का काम छोड़ देते हैं |तब यह शक्तियाँ खुद पूजा लेकर अपनी शक्ति बढ़ाती हैं ,कुछ समय आपको लाभ देती हैं ,उन्नति कराती हैं ,आपको लगता है बहुत लाभ हुआ किन्तु अगली पीढ़ी यदि इन्हें पूजा न दे तो यह उसे बर्बाद करने लगते हैं |सबसे बड़ी बाधा आपके लिए यह होती है की आप कोई भी पूजा पाठ करें भगवान् तक नहीं पहुँचता और आपकी मुक्ति में बड़ी बाधा आ जाती है |कुछ मामलों में आपकी मृत्यु पर आपकी आत्मा इन शक्तियों के ही अधीन रह जाती है जिससे पितरों की पूजा भी उस आत्मा को नहीं मिलती उसकी मुक्ति भी नहीं हो पाती |
आज के समय में मूल स्थान छोड़ने ,घर परिवार से दूर रहने ,बड़े बुजुर्गों से दूर होने के कारण बहुत से लोग नहीं जानते की उनके कुलदेवता कौन हैं ,कुलदेवता की कैसे पूजा होती है ,क्या क्या उस पूजा की विशेषता है उनके वंश गोत्र के अनुसार जिससे उस वंश के अनुकूल उर्जा उत्पन्न होती है |क्या क्या प्रसाद या नैवेद्य होता है |यह सब न पता होने से और कुलदेवता की सही से पूजा न होने से कुलदेवता या देवी रुष्ट हो जाते हैं या निर्लिप्त हो जाते हैं |पित्र तो आवश्यक रूप से नाराज ही होते हैं ऐसे में आपको पित्र दोष और कुलदेवता दोष के परिणाम मिलते हैं |कितने भी उपाय ग्रहों की करें ,कितनी भी पूजा सुधार के लिए करें आपको लाभ नहीं होता क्योंकि पूजा भी तो कुलदेवता ही आगे बढाते हैं और यही पितरों तक भी पूजा अंश पहुंचाते हैं |बीच की सीढ़ी टूट गई तो आप उपर की मंजिल पर नहीं जा सकते भले आप सोचें की हम तो सीधे मूल ईश्वर यानी छत पर पहुँच जायेंगे |ध्यान दीजिये मूल ईश्वर ने ही यह उर्जा संरचना बनाई है ,सीढ़ी बनाई है ,वह खुद इसका उल्लंघन नहीं कर सकता |आपको शायद पता न हो किन्तु जब आप पूजा पाठ करते हैं तो पहले मूल शक्ति नहीं आती उसकी सहायक शक्तियाँ पहले आकर आपका परिक्षण करती हैं |इस तरह आपके हर प्रयास असफल और कष्टों की शुरुआत इस पीढ़ी से अगली पीढ़ियों तक |यह विषय बहुत बड़ा है और कारण कारक भी और हैं |………………………..हर हर महादेव
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