Alaukik Shaktiyan

ज्योतिष ,तंत्र ,कुण्डलिनी ,महाविद्या ,पारलौकिक शक्तियां ,उर्जा विज्ञान

गुंजा/रत्ती के तंत्र प्रयोग

गुंजा से पुरुषत्व वर्धन

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भैंस का घी लेकर ,उसमे गुंजा को चन्दन की भांति घिसकर लेप तैयार करें | इस लेप की पुरुषेन्द्रिय पर मालिश करने से काम शक्ति बढती है | मन में उत्तेजना आती है और वीर्य स्तम्भन होता है |ध्यान रहे की यह लेप बहुत धीरे धीरे पुरुषेन्द्रिय पर करना चाहिए |

गुंजा और गुप्त धन दर्शन

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अंकोल के तेल में गुंजा मूल को घिसकर आँखों में काजल की भांति लगायें |यह प्रयोग रविवार या मंगलवार को अथवा रविपुष्य जैसे किसी शुभ योग में ही करना चाहिए |यह अंजन दिव्य दृष्टिदायक होता है और इसके प्रयोग से व्यक्ति को पृथ्वी में गड़ा हुआ आसपास का धन दिखाई देता है |

गुंजा के सुरक्षाकारी प्रयोग

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सिंघनी [बाघिन ] के दूध में गुंजा की जड़ को चन्दन की भांति रगड़कर पर्याप्त मात्र में लेप तैयार करे |फिर एकांत में नग्न होकर सारे शरीर में वह लेप लगा ले ,सूख जाने पर कपडे पहन ले और विरोधी के सामने जाए | वह चाहे मौखिक वाद- विवाद हो या मार पीट की स्थिति हो या सशस्त्र सेना में युद्ध का अवसर हो अथवा दस्युदल के बीच घिर जाने की स्थिति हो ,हर हालत में साधक की सुरक्षा होती है |इस तंत्र के प्रभाव से शत्रु अथवा उसका कोई अस्त्र-शस्त्र साधक का अनिष्ट नहीं कर पाता |इस प्रकार के प्रयोग आज के जमाने में कम उपयोगी हैं जबकि बाघिन ही नहीं मिलती |पर कभी राजे-महाराजाओं के ज़माने में इनकी उपयोगिता उनके आमने-सामने की स्थिति में थी |फिर भी शास्त्र में दिया हुआ प्रयोग है अतः ज्ञानार्जन की दृष्टि से दिया जा रहा है |

आतंककारी प्रयोग गुंजा से

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यदि कोई साधक काले तिल के तेल में गुंजा मूल को घिसकर वह लेप सारे शरीर में मल ले तो उसके प्रभाव से वह साधक बहुत ही सबल ,अजेय और भयानक प्रतीत होगा | फलस्वरूप शत्रुदल भयभीत होता है |

गुंजा से मारण प्रयोग

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गुंजा और गोरोचन को एक साथ घिसकर [पीसकर ]उस लेप से मृत्यु यन्त्र की रचना करे |मृत्यु यन्त्र में शत्रु का नाम लिख दें |बाद में उसे कहीं धरती में गाड़ दें |इस क्रिया से शत्रु के मृत्य की संभावना बनने लगती है |लोकहित तथा मानवता की दृष्टि से मृत्यु यन्त्र का विवरण देना उचित नहीं है ,इसका दुरुपयोग हो सकता है ,अतः उसकी रूपरेखा नहीं दी जा रही है |आज के छुद्र ,स्वार्थी और अपराध के युग में ऐसे प्रयोग शेर के हाथ में तलवार देने के सामान होते है अतः यन्त्र गोपनीय रखे जाते हैं |चूँकि शास्त्रों में आवश्यकता पर ऐसे प्रयोग की जानकारी है अतः केवल जानकारी के उद्देश्य से पोस्ट लिखा जा रहा है |

गुंजा मूल से कुष्ठ निवारण

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गुंजा मूल को अलसी के तेल में घिसकर लगाने से कुष्ठ के घाव ठीक हो जाते हैं |

गूंजा और वशीकरण प्रयोग

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१. आप जिस व्यक्ति का वशीकरण करना चाहते हों उसका चिंतन करते हुए मिटटी का दीपक लेकर अभिमंत्रित गुंजा के ५ दाने लेकर शहद में डुबोकर रख दें. इस प्रयोग से शत्रु भी वशीभूत हो जाते हैं. यह प्रयोग ग्रहण काल, होली, दीवाली, पूर्णिमा, अमावस्या की रात में यह प्रयोग में करने से बहुत फलदायक होता है.

२. गुंजा के दानों को अभिमंत्रित करके जिस व्यक्ति के पहने हुए कपड़े या रुमाल में बांधकर रख दिया जायेगा वह वशीभूत हो जायेगा. जब तक कपड़ा खोलकर गुंजा के दाने नहीं निकले जायेंगे वह व्यक्ति वशीकरण के प्रभाव में रहेगा |

३. जिस व्यक्ति को नजर बहुत लगती हो उसको गुंजा का ब्रासलेट कलाई पर बांधना चाहिए. किसी सभा में या भीड़ भाद वाली जगह पर जाते समय गुंजा का ब्रासलेट पहनने से दूसरे लोग प्रभावित होते हैं.

४. काली गुंजा की विशेषता है कि जिस व्यक्ति के पास होती है, उस पर मुसीबत पड़ने पर इसका रंग स्वतः ही बदलने लगता है|

( रक्त गुंजा की माला गले में धारण करने से सर्वजन वशीकरण का प्रभाव होता है.)

गुंजा और कारोबार में बरकत

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किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार के दिन 1 तांबे का सिक्का, 6 लाल गुंजा लाल कपड़े में बांधकर प्रात: 11 बजे से लेकर 1 बजे के बीच में किसी सुनसान जगह में अपने ऊपर से 11 बार उसार कर 11 इंच गहरा गङ्ढा खोदकर उसमें दबा दें। ऐसा 11 बुधवार करें। दबाने वाली जगह हमेशा नई होनी चाहिए। इस प्रयोग से कारोबार में बरकत होगी, घर में धन रूकेगा।

गुंजा और दाम्पत्य सुख

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विवाह के समय लाल गुंजा वर के कंगन में पिरोकर पहनायी जाती है। यह तंत्र का एक प्रयोग है, जो वर की सुरक्षा, समृद्धि, नजर-दोष निवारण एवं सुखद दांपत्य जीवन के लिए है। गुंजा की माला आभूषण के रूप में पहनी जाती है।

गुंजा और आँख के रोग

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गुंजा-मूल को गंगाजल में घिसकर आंखों मे लगाने से आंसू बहुत आते हैं।नेत्रों की सफाई होती है आँखों का जाल कटता है।देशी घी (गाय का) में घिस कर लगाते रहने से इन दोनों प्रयोगों से अंधत्व दूर हो जाता है।

गुंजा और नौकरी में बाधा

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राहु के प्रभाव के कारण व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो तो लाल गुंजा व सौंफ को लाल वस्त्र में बांधकर अपने कमरे में रखें।

 काली गुंजा और दीपावली प्रयोग:

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 काली गुंजा की विशेषता है कि जिस व्यक्ति के पास होती है, उस पर मुसीबत पड़ने पर इसका रंग स्वतः ही बदलने लगता है । दिवाली के दिन अपने गल्‍ले के नीचे काली गुंजा जंगली बेल के दाने डालने से व्‍यवसाय में हो रही हानि रूक जाती है। दिवाली की रात घर के मुख्‍य दरवाज़े पर सरसों के तेल का दीपक जला कर उसमें काली गुंजा के 2-4 दाने डाल दें। ऐसा करने पर घर सुरक्षित और समृद्ध रहता है।

काली गुंजा और होली के प्रयोग

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 होलिका दहन से पूर्व पांच काली गुंजा लेकर होली की पांच परिक्रमा लगाकर अंत में होलिका की ओर पीठ करके पाँचों गुन्जाओं को सिर के ऊपर से पांच बार उतारकर सिर के ऊपर से होली में फेंक दें।

काली गुंजा और दरिद्रता मुक्ति प्रयोग

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ध्यानमंत्र :

ॐ तप्त-स्वर्णनिभांशशांक-मुकुटा रत्नप्रभा-भासुरीं ।

नानावस्त्र-विभूषितां त्रिनयनां गौरी-रमाभ्यं युताम् ।

दर्वी-हाटक-भाजनं च दधतीं रम्योच्चपीनस्तनीम् ।

नित्यं तां शिवमाकलय्य मुदितां ध्याये अन्नपूर्णश्वरीम् ॥

मन्त्र :

ॐ ह्रीम् श्रीम् क्लीं नमो भगवति माहेश्वरि मामाभिमतमन्नं देहि-देहि अन्नपूर्णों स्वाहा ।

विधि :

जब रविवार या गुरुवार को पुष्प नक्षत्र हो या नवरात्र में अष्टमी के दिन या दीपावली की रात्रि या अन्य किसी शुभ दिन से इस मंत्र की एक माला रुद्राक्ष माला से नित्य जाप करें । जाप से पूर्व भगवान श्रीगणेश जी का ध्यान करें तथा भगवान शिव का ध्यान कर नीचे दिये ध्यान मंत्र से माता अन्नपूर्णा का ध्यान करें ।

इस मंत्र का जाप दुकान में गल्ले में सात काली गुंजा के दाने रखकर शुद्ध आसन, (कम्बल आसन, या साफ जाजीम आदि ) पर बैठकर किया जाए तो व्यापार में आश्चर्यजनक लाभ महसूस होने लगेगा ।

काली गुंजा और कष्टों से छुटकारा

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यदि संपूर्ण दवाओं एवं डाक्टर के इलाज के बावजूद भी यदि घुटनों और पैरों का दर्द दूर नहीं हो रहा हो तो रवि पुष्य नक्षत्र, शनिवार या शनि आमवस्या के दिन यह उपाय करें। प्रात:काल नित्यक्रम से निवृत हो स्नानोपरांत लोहे की कटोरी में श्रद्धानुसार सरसों का तेल भरें। 7 चुटकी काले तिल, 7 लोहे की कील और 7 लाल और 7 काली गुंजा उसमें डाल दें। तेल में अपना मुंह देखने के बाद अपने ऊपर से 7 बार उल्टा उसारकर पीपल के पेड़ के नीचे इस तेल का दीपक जला दें 21 परिक्रमा करें और वहीं बैठकर 108 बार

ऊँ शं विधिरुपाय नम:।।

इस मंत्र का जाप करें। ऐसा 11 शनिवार करें। कष्टों से छुटकारा मिलेगा।

पीली गुंजा और सुख -समृद्धि

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1• पीले रंग की गुंजा के बीज ,हल्दी की गांठे, सात कौडियों की पूजा अर्चना करके श्री लक्ष्मीनारायण भगवान के मंत्रों से अभिमंत्रित करके पूजा स्थान में रखने से दाम्पत्य सुख एवं परिवार,मे एकता तथा आर्थिक व्यावसायिक सिद्धि मिलती है

2• इसकी माला या ब्रेसलेट धारण करने से व्यक्ति का चित्त शांत रहता है, तनाव से मुक्ति मिलती है।

3• पीत गुंजा की माला गुरु गृह को अनुकूल करती है।

4• अनिद्रा से पीड़ित लोगों को इसकी माला धारण करने से लाभ मिलता है।

5• बड़ी उम्र के जो लोग स्वप्न में डरते हैं या जिन्हें अक्सर ये लगता है की कोई उनका गला दबा रहा है उन्हें इसकी माला या ब्रेसलेट पहनना चाहिए।……………………हर हर महादेव


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