आप पर
या घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हो सकता है
उर्जा या शक्तिया नुक्सान करने वाली या परेशानी उत्पन्न करने वाली होती है ,,,यह समस्त प्रकृति दो प्रकार की शक्तियों या उर्जाओं से बनता है ,धनात्मक और रिनात्मक ,सूर्य और अपनी
ऊर्जा से प्रकाशित ग्रह –नक्षत्रों से उत्पन्न होने वाली या प्राप्त होने वाली ऊर्जा धनात्मक मानी जाती है ,जबकि पृथ्वी और ग्रहों से उत्पन्न ऊर्जा या शक्ति प्रकृति के परिप्रेक्ष्य में रिनात्मक होती है ,,यह दोनों ही उर्जाये हमारे लिए सकारात्मक ही होती हैं ,इन दोनों के संतुलन और प्राप्ति से ही समस्त प्राणी और जीव –वनस्पतियों की उत्पत्ति और स्थिति होती है ,,,इन प्राकृतिक शक्तियों के अतिरिक्त दो अन्य पारलौकिक शक्तिया व्यक्तियों को प्रभावित करती है ,सकारात्मक और नकारात्मक ,,सकारात्मक वह है जिनकी शक्ति आपके लिए लाभदायक है जैसे आपके ईष्ट ,आपके कुल देवता ,महाविद्यायें,देवी–देवता आदि और नकारात्मक वह है जो आपके लिए समस्या ही उत्पन्न करते है जैसे भूत–प्रेत–पिशाच–ब्रह्म राक्षस–जिन्न–शाकिनी–डाकिनी आदि ,
जब आपके कुल देवता /देवी को ठीक से पूजा न मिले तो वे नाराज हो सकते हैं अथवा निर्लिप्त हो सकते हैं ,कमजोर भी हो सकते हैं ,ऐसे में नकारात्मक ऊर्जा को रोकने वाली मुख्य शक्ति हट जाती है और वह परिवार पर प्रभावी हो सकती है,कभी कभी कुलदेवता की नाराजगी या निर्लिप्तता से या नकारात्मक ऊर्जा अधिक प्रबल होने से वह कुलदेवता या ईष्ट को दी जाने वाली पूजा खुद लेने लगती है जिससे उसकी शक्ति बढने लगती है और कुलदेवता/देवी कमजोर या रुष्ट होते जाते हैं और ईष्ट को भी पूजा नहीं मिलती है ,आपके ईष्ट कमजोर हों या कोई ईष्ट ही न हों या आप पूजा पाठ ठीक से न करते हों तो भी नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव घर में हो सकता है ,,किसी से दुश्मनी हो तो वह भी आभिचारिक क्रिया करके किसी नकारात्मक ऊर्जा को आप पर भेज सकता है ,,आपके घर में पित्र दोष है तो पितरों के साथ अन्य शक्तियां भी जुड़ जाती हैं जिन्हें आपके परिवार से कोई लगाव नहीं होता है ,पित्र भले नुक्सान कभी कभी न करें किन्तु साथ जुडी शक्तिया अवश्य अपनी अतृप्त इच्छाएं आपके परिवार या आप से पूर्ण करने का प्रयास करती हैं ,,ऐसी स्थिति में प्रत्यक्ष तो लगता है की ४ लोग घर में हैं किन्तु खर्च १० लोगों के बराबर होता है और कोई न कोई समस्या उत्पन्न होती ही रहती है ,कभी कभी कोई नकारात्मक शक्ति किसी पर आधिपत्य करके अपने को देवी या देवता बताती है और पूजा प्राप्त करने लगती है जिससे उसकी शक्ति तो बढती ही है उसके निकाले जाने की भी संभावना कम हो जाती है ,,घर में अन्धेरा हो तो भी नकारात्मक शक्तिया घर में स्थान बना लेती हैं क्योकि ऐसी जगहों पर उन्हें अच्छा लगता है रहना ,फलतः वे वहां रहने वालों के लिए समस्या उत्पन्न करते हैं ,,कभी कभी कोई नकारात्मक ऊर्जा आशक्तिवश भी किसी के पीछे लग जाती है और उससे अपनी अतृप्त वासनाएं पूर्ण करने का प्रयास करती है ,,कभी कभी किसी जमीन में नकारात्मक उर्जाओं का स्रोत होता है और उस पर मकान बना लेने पर वह वहां रहने वालों को परेशान करती है ,,कभी कभी बहुत अधिक दुर्घटनाएं अथवा हत्याएं भी किसी घर को इनका डेरा बना देते हैं ,यदि व्यक्ति को लगे की उसके घर में या उस पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है तो उसे किसी योग्य जानकार व्यक्ति ,सिद्ध व्यक्ति या उच्च स्तर के तांत्रिक से मिलना चाहिए ,,इनसे मुक्ति का उपाय करना चाहिए ,पित्र दोष ,कुल देवत/देवी दोष ,ईष्ट दोष ,गृह दोष का उपचार करना चाहिए ……………………………………..हर–हर महादेव
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