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चमत्कारी डिब्बी पर शक्तिशाली वशीकरण

दिव्य गुटिका पर शक्तिशाली वशीकरण प्रयोग

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               आज के लेख में हम एक अति शक्तिशाली शाबर मंत्र आधारित वशीकरण प्रयोग बता रहे जो शीघ्र प्रभाव तो देता ही है ,जिस पर इसका प्रयोग किया जाता है वह व्यक्ति मोहित भी हो जाता है प्रयोग कर्ता पर |इस मंत्र प्रयोग को किसी ऐसे सम्बन्धी पर न प्रयोग किया जाए जो पित्रवत या मातृवत हो अथवा जो उम्र में बहुत बड़ा या छोटा हो क्योंकि इच्छित व्यक्ति वशीभूत होने के साथ मोहित भी होता है अतः वह विशेष चाहत रखने लगता है |प्रयोग केवल अति आवश्यकता पर और पूर्ण सावधानी के साथ करें क्योंकि तंत्र क्रियाओं में गलती की गुंजाइश नहीं होती |

सामग्री

———- जल पात्र ,मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठायुक्त दिव्य गुटिका ,घी का दीपक ,तेल का दीपक ,अगरबत्ती ,सिन्दूर ,कपूर ,रुद्राक्ष माला [मंत्र सिद्ध चैतन्य ],लाल रंग की धोती ,लाल रंग का ऊनि आसन ,लाल वस्त्र ,दुर्गा जी का चित्र ,दूध से बना प्रसाद ,लौंग

दिन -समय

————– शुक्रवार ,रात्री का समय

दिशा -अवधि

————— उत्तर दिशा ,एक हजार अर्थात दस माला प्रतिदिन के हिसाब से २१ दिन में २१ हजार मंत्र जप |

मंत्र

——– ॐ नमो आदेश गुरु को सिद्ध माता स्तम्भनि मोहिनी वशीकरणी अमुकं मोहिनी मम वश्य करि करि इच्छित कार्य पूर्ती कुरु कुरु स्वाहा |

प्रयोग विधि

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        यह प्रयोग किसी भी शुक्रवार से प्रारम्भ किया जा सकता है |सबसे पहले २१ हजार मन्त्रों से गुटिका पर मंत्र सिद्ध करना होता है तब मंत्र पर प्रयोग किये जा सकते हैं |शुक्रवार की रात्रिकाल स्नानादि से निवृत्त हो लाल वस्त्र धारणकर लाल ऊनि आसन पर उत्तरदिशा की ओर मुह कर बैठें |सामने चौकी या बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मंत्र सिद्ध चैतन्य दिव्य गुटिका स्थापित करें जिसके पीछे दुर्गा जी का चित्र रखें |अब गुटिका और दुर्गा जी का विधिवत पूजन करें ,केसर का तिलक करें ,धुप -दीप ,दूध से बना प्रसाद चढ़ाएं |सिन्दूर अर्पित करें |इसके बाद रुद्राक्ष माला से मंत्र जप करें और मंत्र जप की समाप्ति पर कपूर की आरती करें |यह क्रम लगातार २१ दिन करें |मंत्र जप के समय भावना रहे की मंत्र में शक्ति आ रही है ,गुटिका में वशिकारक प्रभाव बढ़ रहा है |इन २१ दिनों में मंत्र के अमुक के स्थान पर कोई नाम नहीं लेना है |प्रयोग पूर्ती के बाद ही अमुक में नाम जोड़कर प्रयोग किया जाएगा |

          २१ हजार २१ दिनों में जप पूर्ण होने पर मंत्र सिद्ध हो जाता है |इस अवधि में एकाग्रता बनाये रखना आवश्यक है |ऐसा न हो की मंत्र मुह से चल रहा और मन कहीं और है तो कोई परिणाम नहीं मिलेगा |प्रयोग सिद्ध हो जाने पर दिव्य गुटिका को पूजा स्थान अथवा किसी अन्य स्थान पर स्थापित करें जहाँ रोज उसकी धुप दीप से पूजा होती रहे |जब इस पर किसी प्रयोग को करना हो तो गुटिका के पास किसी दूध से बनी मिठाई या वास्तु रखकर उस पर एकाग्रता के साथ १०८ बार मंत्र जप करें और मंत्र में अमुक के स्थान पर इच्छित व्यक्ति का नाम रखें |इसके बाद उस सामग्री अर्थात दूध से बनी मिठाई इच्छित व्यक्ति को खिला दें तो वह व्यक्ति साधक के अनुकूल होने लगता है |अगर इसपर कोई प्रयोग न भी किया जाए तो भी इसका प्रभाव सभी पर पड़ता है और नकारात्मकता हटती है ,सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है ,लोग अनुकूल होते हैं |उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है |एक ही गुटिका पर अनेक उद्देश्य से अनेक प्रकार के प्रयोग किये जा सकते हैं जिसका लाभ वर्षों वर्ष लिया जा सकता है |…………………………………………………………..हर-हर महादेव


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