Alaukik Shaktiyan

ज्योतिष ,तंत्र ,कुण्डलिनी ,महाविद्या ,पारलौकिक शक्तियां ,उर्जा विज्ञान

चमत्कारी पत्थर गोमती चक्र

अद्भुत गोमती चक्र

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गोमती चक्र एक पत्थर होता है छोटे आकार का जिसमे बीच वाले चिकने सतह पर चक्र की आकृति प्राकृतिक रूप से बन जाती है |इसका दूसरा सतह गोल अथवा कुछ झुकाव लिए होता है जैसे की सीप का पिछला सतह होता है |माना जाता है की यह पत्थर गोमती नदी में ऐसा बनता है और उसके किसी स्रोत से निकालता है किन्तु इसे अन्य नाड़ियों में मिलता देखा गया है |यह पत्थर अद्भुत शक्तियां समेटे हुए होता है |tantra में इसके अनेकानेक प्रयोग हैं और यह सभी अनुभव में सफल सिद्ध हैं |गोमती चक्र की बनावट को देखा जाये तो उसके ऊपर चिकने भाग पर हिन्दी के ७ का अंक बना मिलता है,वर्तमान के ज्योतिषियों के अनुसार यह अंक राहु का अंक कहा जाता है और पानी की वस्तु जिसे चन्द्रमा का रूप दिया जाता है उसके अन्दर इस अंक के होने से यह राहु कृत प्रभावो को दूर रखने के लिये अपनी युति को प्रदान करता है साथ ही बेकार की शंका को दूर रखने मे सहायक होता है,जिनकी कुंडली मे राहु चन्द्र की युति होती है वह इसे चांदी की अंगूठी या पेंडल मे बनवाकर धारण कर सकते है।

होली, दिवाली और नव रात्रों आदिपर गोमती चक्र की विशेष पूजा होती है। सर्वसिद्धि योग, अमृत योग और रविपुष्य योग आदि विभिन्न मुहूर्तों पर गोमती चक्र की पूजा बहुत फलदायक होती है।

गोमती चक्र और विशिष्ट प्रयोग

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 आर्थिक बाधा नाश और लक्ष्मी प्राप्ति हेतु

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1. यदि आपको अचानक आर्थिक हानि होती हो, तो किसी भी मास के प्रथम सोमवार को २१ अभिमन्त्रित गोमती चक्रों को पीले अथवा लाल रेशमी वस्त्र में बांधकर धन रखने के स्थान पर रखकर हल्दी से तिलक करें । फिर मां लक्ष्मी का स्मरण करते हुए उस पोटली को लेकर सारे घर में घूमते हुए घर के बाहर आकर किसी निकट के मन्दिर में रख दें ।

2. यदि आपके परिवार में खर्च अधिक होता है, भले ही वह किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए ही क्यों न हो, तो शुक्रवार को २१ अभिमन्त्रित गोमती चक्र लेकर पीले या लाल वस्त्र पर स्थान देकर धूप-दीप से पूजा करें । अगले दिन उनमें से चार गोमती चक्र उठाकर घर के चारों कोनों में एक-एक गाड़ दें । ११ चक्रों को लाल वस्त्र में बांधकर धन रखने के स्थान पर रख दें और शेष किसी मन्दिर में अपनी समस्या निवेदन के साथ प्रभु को अर्पित कर दें ।

3. यदि आप कितनी भी मेहनत क्यों न करें, परन्तु आर्थिक समृद्धि आपसे दूर रहती हो और आप आर्थिक स्थिति से संतुष्ट न होते हों, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को २१ अभिमंत्रित गोमती चक्र लेकर घर के पूजा स्थल में मां लक्ष्मी व श्री विष्णु की तस्वीर के समक्ष पीले रेशमी वस्त्र पर स्थान दें । फिर रोली से तिलक कर प्रभु से अपने निवास में स्थायी वास करने का निवेदन तथा समृद्धि के लिए प्रार्थना करके हल्दी की माला से

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र की तीन माला जप करें । इस प्रकार सवा महीने जप करने के बाद अन्तिम दिन किसी वृद्ध तथा ९ वर्ष से कम आयु की एक बच्ची को भोजन करवाकर दक्षिणा देकर विदा करें ।

 धन – समृद्धि प्राप्ति हेतु

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1.धन लाभ के लिए 11 गोमती चक्र अपने पूजा स्थान में रखें। उनके सामने श्रीं श्रियै नम: का जप करें। इससे आप जो भी कार्य या व्यवसाय करते हैं उसमें बरकत होगी और आमदनी बढऩे लगेगी।

2. आठ गोमतीचक्र, आठ कौड़ी एंव आठ लाल गुंजा साथ लेकर उनका पुजन करें। उन्हें दक्षिणावर्ती शंख में थोड़े से चावल डालकर स्थापित कर दें।रात्रि में ही उन्हें लाल कपडे में बाँधकर धर अथवा व्यवसाय स्थल की तिजौरी में स्थापित कर दें। यह प्रयोग आपकी आय में वृद्धि के लिए है।

3. 11 गोमती चक्र, 11 काली हल्दी, एक सुपारी और एक सिक्का पीले वस्त्र में लपेट कर तिजोरी में रखें तो वर्ष भर तिजोरी भरी रहेगी।

4. सात गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी में सिंदूर तथा चावल डालकर रखें तो ये शीघ्र शुभ फल देते हैं।

व्यवसाय /व्यापार वृद्धि हेतु:

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1. अगर किसी का व्यापार न चल रहा हो या व्यापार को कोई नजर लग गई हो या व्यापार में कोई परेशानी बार बार आ रही हो तो अपने व्यापार कि चोखट पर ११ गोमती चक्र एवं ३ लघु नारियल सिद्ध करके शुभ महुर्त में किसी लाल कपड़े में बांध कर टांग दें व् उस पर लाल कामिया सिंदूर का तिलक कर दें ध्यान रखे ग्राहक उस के निचे से निकले बस कुछ ही दिनों में आप का व्यापार तरकी पर होगा

2. व्यवसाय स्थान पर पीतल के लोटे में जल रखा जाये और साथ गोमती चक्र उसके अन्दर डालकर खुला रखा जाये तथा जिस स्थान पर व्यापारी की बैठक है उसके दक्षिण-पश्चिम दिशा में इसे ऊपर की तरफ़ स्थापित करने के बाद रखा जाये सुबह को उस लोटे से सभी गोमती चक्र को निकाल कर उस पानी को व्यसाय स्थान के बाहर छिडक दिया जाये और नया पानी भरकर फ़िर से गोमती चक्र डालकर रख दिया जाये तो व्यवसाय में बारह दिन के अन्दर ही फ़र्क मिलना शुरु हो जाता है।

3. व्यापर स्थान पर ग्यारह सिद्ध गोमती चक्र और एक ९ मुखी रुद्राक्ष लाल कपड़े में बांध कर धन रखने वाले स्थान पर रख दे तो व्यापर में बढ़ोतरी होती जाएगी।

धन वापसी हेतु

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1. किसी भी शुक्रवार की रात 11 बजे बाद स्नान करके साफ सफेद कपड़े पहनें व पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश/ऊन के आसन पर बैठ जाएं। लकड़ी का एक बाजोट (पटिया) लगाकर उस पर सफेद कपड़ा बिछा दें। बाजोट के ऊपर पांच तिल के तेल के दीपक एक पंक्ति से जलाकर रख दें। दीपकों के सामने ही कुंकुम से रंगे चावलों की पांच ढेरियां बनाएं।

इनके ऊपर पांच गोमती चक्र तथा पांच हकीक पत्थर स्थापित कर पांच और पांच लघु नारियल स्थापित करें। इन सभी पर कुंकुम का तिलक करें, चावल व फूल चढ़ाएं। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र की 21 माला जप करें-

मंत्र- “ॐ ह्रीं चिर लक्ष्मी ऐं आगच्छ स्वाहा”

साधना समाप्ति के बाद यह पूरी सामग्री लाल कपड़े में बांधकर अपने घर में रख दें। तीन महीने के अंदर खोया हुआ धन वापस मिल जाएगा

2. यदि किसी व्यक्ति को दिया हुआ धन वापस नही मिल रहा हो, तो शनिवार को उस व्यक्ति के नाम अक्षरों के बराबर गोमती चक्र लेकर मन ही मन धन की पुनः प्राप्ति की कामना करते हुए गोमतीचक्र को एक हाथ गहरी भूमि खोदकर एकांत स्थान में गाड़ दें। इस प्रयोग से धन वापस मिल जाता है

शत्रु नाश हेतु

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1. शत्रुओं से परेशानी का अनुभव कर रहें हों, तो दीपावली की रात्रि में बारह बजे के पश्चात् छह गोमती चक्र लेकर शत्रु का नाम लेते हुए उस पर लाल सिन्दूर लगाएँ और किसी एकांत स्थान पर जाकर गाड़ दें। गाडना ऐसे चाहिए कि वे पुनः निकालें नहीं। ऐसा करने से शत्रु बाधा में शीघ्र ही कमी होगी।

2. गोमती चक्र को होली के दिन थोड़ा सिंदूर लगाकर शत्रु का नाम उच्चारण करते हुए जलती हुई होली में फेंक दें। आपका शत्रु भी मित्र बन जाएगा।

3. अगर कोई व्यक्ति होली के दिन 7 गोमती चक्र को सवा मीटर कपड़े में बांधकर अपने पूरे परिवार के ऊपर से ऊतारकर किसी बहते जल में फेंक दे तो यह एक तरह से परिवार की तांत्रिक रक्षा कवच का कार्य करेगा।

 स्वास्थ्य प्राप्ति हेतु

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1. गोमती चक्र को साफ जल से धो कर एक लाल वस्त्र बिछा कर उस पर स्थापित करें। सिंदूर लगाएं, देशी घी का दीपक जलाये धुप दें और निम्न मंत्र का ११ माला जप करें

“ॐ वॉ आरोग्यानिकारी रोगानशेषानंम:”

इस प्रकार जब ग्यारह मालाए सम्पन हो जाए तब साधक को वह गोमती चक्र सावधानी पूर्वक एक तरफ रख देना चाहिए वह गोमती चक्र तीन वर्ष तक प्रभावित रहेगा इस का प्रयोग बीमारी पर विशेष रूप से किया जाता है कोई बीमारी हो तो एक साफ गिलास में शुद्ध गंगा जल लेकर उस में यह गोमती चक्र डाल दे और ऊपर लिखे मन्त्र को इक्कीस बार मन ही मन उच्चारण कर उस गोमती चक्र को बाहर निकल दे व् वो पानी रोगी को पिला दें तो वह रोगी जल्दी ही ठीक होने लग जाएगा आश्चर्य कि बात यह है कि ऐसा प्रयोग किसी भी रोगी पर किया जा सकता है चाहे कोई भी रोग क्यों न हो

तीन वर्ष के बाद इस प्रकार के गोमती चक्र को पुनः सिद्ध किया जा सकता है।

2. यदि बीमार ठीक नहीं हो पा रहा हो अथवा दवाइयाँ नही लग रही हों, तो उसके सिरहाने पाँच गोमती चक्र उपरोक्त मंत्र से अभिमंत्रित करके रखें। ऐसा करने से रोगी को शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ होगा।

3 रोग-मुक्ति के लिएः परिवार में यदि कोई असाध्य रोगी है, तो चार गोमती चक्र लाकर उन्हें जल से स्वच्छ करें। डंठल सहित दो पान के पत्ते लें। एक जोड़ा लौंग को घी में डुबोकर पान के पत्तों पर रखें और पान के पत्तों को इस प्रकार लपेट लें कि सारी सामग्री अंदर बंद हो जाए। चाहें तो काले धागे से बांध सकते हैं। अब दाएं हाथ में चार गोमती चक्र तथा बाएं हाथ में पान लेकर होलिका की 11 परिक्रमा करें। प्रत्येक परिक्रमा में रोगी के स्वस्थ होने के बारे में निवेदन करें। होलिका को प्रणाम करें और गोमती चक्र को घर ले आएं। वे चारों गोमती चक्र रोगी के पलंग के चारों पायों में बांध दें। रोगी की जो चिकित्सा चल रही है, उसे चलने दें। रोजाना सुबह उठते ही रोगी के स्वास्थ्य की कामना करें। लाभ मिलेगा।

4 . यदि किसी का स्वास्थ्य अधिक खराबरहता हो अथवा जल्दी-जल्दी अस्वस्थहोता हो, तो चतुर्दशी को ११ अभिमंत्रित गोमती चक्रों को सफेद रेशमी वस्त्र पर रखकर सफेद चन्दन से तिलक करें । फिर भगवान् मृत्युंजय से अपने स्वास्थ्य रक्षा का निवेदन करें और यथा शक्ति महामृत्युंजय मंत्र का जप करें । पाठ के बाद छह चक्र उठाकर किसी निर्जन स्थान पर जाकर तीन चक्रों को अपने ऊपर से उसारकर अपने पीछे फेंक दें और पीछे देखे बिना वापस आ जायें । बाकि बचे तीन चक्रों को किसी शिव मन्दिर में भगवान्शि व का स्मरण करते हुए शिवलिंग पर अर्पित कर दें और प्रणाम करके घर आ जायें । घर आकर चार चक्रों को चांदी के तार में बांधकर अपने पंलग के चारों पायों पर बांध दें तथा शेष बचे एक को ताबीज का रुप देकर गले में धारण करें ।

5 . चार गोमती चक्र लेकर उपरोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर रोगी के पलंग के चारों पायों में नकले धागे से बांध दें और स्वस्थ होने पर उन्हें पीपल के निचे गाड़ दें या प्रवाहित कर दें।

6 . पेट संबंधी रोग होने पर 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल दें तथा सुबह उस पानी को पी लें। इससे पेट संबंध के विभिन्न रोग दूर हो जाते हैं।……………………हर हर महादेव


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