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तेजस्वी बनाती है पृथ्वी मुद्रा

पृथ्वी मुद्रा :: तेजस्विता लाये ,कमजोरी दूर करे   

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             अनामिका (छोटी उंगली के पास वाली) उंगली तथा अंगूठे के सिरे को परस्पर मिलाने से पृथ्वी मुद्रा बनती है| इस मुद्रा को करने से शरीर में पृथ्वी तत्व बढ़कर सम होता है जिससे सभी प्रकार की शारीरिक कमजोरियां दूर होती हैं|त्वचा की सुन्दरता और कांटी बढती है |शारीर में स्फूर्ति .कान्ति एवं तेजस्विता आती है |दुर्बल व्यक्ति मोटा बन सकता है |वजन बढ़ता है |जीवनी शक्ति का विकास होता है |यह मुद्रा पाचन क्रिया ठीक करती है |सात्विक गुणों का विकास करती है ,दिमाग में शांति लाती है तथा विटामिन की कमी को दूर करती है |

            अंगूठे की तरह अनामिका से भी तेज का विशेष विद्युत प्रवाह होता है| योग शास्त्र के अनुसार ललाट पर द्विदल कमल का आज्ञाचक्र स्थित है| उस पर अनामिका और अंगूठे के द्वारा शुभ भावना के साथ विधिवत तिलक करके कोई भी व्यक्ति अपनी अदृश्य शक्ति को दूसरे में पहुंचाकर उसकी शक्ति में बढ़ोत्तरी कर सकता है, जिसे शक्तिपात कहते हैं| इसे किसी भी आसन या स्थिति में बैठकर अधिकाधिक समय तक इच्छानुसार किया जा सकता है| इस मुद्रा के प्रभाव से आंतरिक सूक्ष्म तत्वों में महत्वपूर्ण परिवर्तन होने पर विचारों की संकीर्णता मिटकर उदारता आने लगती है| आध्यात्मिक साधक को आगे बढ़ने में इस मुद्रा से सच्चे साथी की तरह सहयोग प्राप्त होता है|

Prithivi Mudra,

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. Use this mudra to increase your energy. This gesture not only increases and nourishes physical strength, but also psychological strength.

 The tip of the thumb and the ring finger touch. The index, middle, and pinky fingers are straight but relaxed……………………………………………………….हर-हर महादेव


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