Alaukik Shaktiyan

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त्रिपुरा आकर्षण प्रयोग

प्रबल आकर्षण प्रयोग

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       हम कभी -कभी अपने प्रियजन या पति अथवा पत्नी या प्रेमी अथवा प्रेमिका या किसी ख़ास रिश्तेदार या मित्र या सहकर्मी या अधिकारी की उपेक्षा से दुखी हो जाते हैं ,कभी कभी तो हमारे माता पिता में से ही कोई हमें उपेक्षित करता है ,कभी कभी हमारे माता पिता ,सास ससुर या परिवारी जन दूसरों के बहकावे में आ जाते हैं या किसी तंत्र क्रिया के प्रभाव से हमारे प्रति अन्याय करते हैं अथवा हमारे अधिकार का अतिक्रमण किसी अन्य द्वारा होता है |कभी किसी का वैवाहिक जीवन किसी अन्य द्वारा बिगाड़ा जाता है तो कभी कभी अपने पति या पत्नी में से ही कोई गलत कार्य करता है |प्रेमी प्रेमिका में से कोई धोखा देने लगता है अथवा साथ छोड़ देता है | इन स्थितियों में हम चाहते हैं की सम्बन्धित व्यक्ति हमारे अनुकूल हो जाय ,हमारे प्रति आकर्षित रहे और सब कुछ सामान्य हो जाय |हम इसके लिए अनेक पूजा ,प्रार्थना भी करते हैं ,तंत्र मंत्र का भी प्रयास करते हैं और अक्सर तांत्रिको ,पंडितों की मदद लेने का प्रयास भी करते हैं |अधिकतर मामलों में असफलता ही मिलती है अथवा हम ठगे ही जाते हैं |काम होता नहीं ,समय बीतता जाता है ,पैसा भी खर्च होता है और अक्सर सम्बन्धित व्यक्ति हाथ से निकल जाता है |हम यदि स्वयं प्रयास करें मात्र थोड़ा सा तो हमारा काम हो सकता है |यदि हम स्वयं आकर्षण प्रयोग करें कुछ विशेष तकनिकी के साथ तो किसी को भी आकर्षित और अनुकूल कर सकते हैं फिर चाहे वह व्यक्ति कितनी ही दूर क्यों न हो ,चाहे मुलाक़ात हो या न हो |

           यदि त्रिपुरा आकर्षण मंत्र का प्रयोग चमत्कारी डिब्बी के साथ किया जाय तो किसी को भी अनुकूल ,आकर्षित और वशीभूत किया जा सकता है क्योंकि एक तो त्रिपुरा मंत्र ही प्रबल अकर्ष्ण उत्पन्न करता है दुसरे इसमें प्रयोग होने वाली यांत्रिक और पदार्थगत तकनीक इसके प्रभाव को कई गुना बधा देती है |हमने पहले के अनेक लेखों और वीडियो में चमत्कारी दिव्य गुटिका या डिब्बी के विषय में विस्तार से बताया है उसे देख आप समझ सकते हैं की यह चमत्कारी कैसे होती है |इस डिब्बी में वैसे तो कुल २५ तांत्रिक वस्तुएं होती हैं किन्तु इसमें 10 वस्तुएं प्रबल आकर्षण कारक और वशीकरण करने वाली होती हैं जैसे हत्था जोड़ी ,सियार सिंगी ,अमरबेल मूल आदि |जब इस डिब्बी पर कोई भी मंत्र प्रयोग किया जाता है तो यह मंत्र के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देता है जिससे उद्देश्य सफल हो जाता है |त्रिपुरा आकर्षण मंत्र और प्रयोग विधि इस प्रकार होती है |

मंत्र – ॐ श्रीं क्लीं ह्रीं त्रिपुरे अमुकीं आकर्षय आकर्षय स्वाहा

      मंत्र साधक किसी चौड़े भोजपत्र पर या किसी पीतल ,ताम्बे या चंडी के चौड़े पात्र पर कुमकुम तथा चन्दन के मिश्रण से अनार या कनेर की कलम से या अपनी अनामिका ऊँगली से षट्कोण की आकृति बनाये अर्थात एक त्रिभुज नीचे की और और उसी में समांतर एक त्रिभुज उपर की और बनाए |इस षट्कोण के मध्य में अमुकीं की जगह साध्य व्यक्ति के नाम का प्रयोग करते हुए मंत्र को लिखे |षट्कोण के बाहर उपरी भाग में चमत्कारी दिव्य गुटिका को स्थापित करे |यदि यह भय हो की षट्कोण के मध्य लिखा नाम कोई देख सकता है तो डिब्बी को लिखे मंत्र के उपर अर्थात षट्कोण के मध्य स्थापित कर दें |अब साधना करने वाला व्यक्ति ह्रीं द्वारा कर न्यास ,षडंग न्यास विधिवत करके यन्त्र पर देवी का षडंग पूजन करे |जिन्हें न्यास करना नहीं आता वह या तो किसी पंडित से समझ लें या सीधे देवी की सामान्य पूजा यन्त्र को देवी मानते हुए करें |बेहतर हो की पूजा घर में या जहाँ भी यह साधना कर रहे वहां त्रिपुर सुन्दरी या त्रिपुर भैरवी या दुर्गा या काली का चित्र भी रखें और उनका भी पूजन करें |ध्यान दें की यन्त्र और डिब्बी के पूजन करते समय यन्त्र अथवा डिब्बी में जल न डालें |यन्त्र के पूजन के साथ डिब्बी की या डिब्बी के पूजन के साथ यन्त्र की भी पूजा स्वयमेव हो जाती है |डिब्बी में अन्दर सिन्दूर के अतिरिक्त कुछ भी न डाला जाय |पूजन बाहर से ही हो |यन्त्र अथवा डिब्बी के पूजन में अक्षत ,पुष्प ,धुप -दीप के साथ नैवेद्य अर्पित करें |पूजन प्रतिदिन आवश्यक है |पूजन के बाद मंत्र जप करें |

देवी का ध्यान

देवी का शरीर सिन्दूर के समान लाल वर्ण का है ,नवोदित सूर्य की किरणों के सामान सम्पूर्ण विग्रह अर्थात आकृति रक्ताभ है |शीश पर अर्ध चन्द्र स्थित है |देवी त्रिनेत्र युक्त है ,इनके दाहिने हाथ में कमल तथा बाएं हाथ में जप मालिका है |

कर न्यास

ह्रां अन्गुष्ठाभ्याम नमः     ह्रीं तर्जनीभ्याम स्वाहा      ह्रूं मध्यमाभ्याम वषट    

ह्रौं अनामिकाभ्याम हूँ      ह्रैं कनिष्ठिकाभ्यां वौषट     ह्रः करतलकर पृष्ठाभ्याम फट

हृदयादि न्यास

ह्रां हृदयाय नमः          ह्रीं शिरसे स्वाहा            ह्रूं शिखायै वषट

ह्रौं कवचाय हूँ            ह्रैं नेत्रत्रयाय वौषट          ह्रः अस्त्राय फट

               साधना अवधि अपनी सुविधानुसार ११ ,21 या ४१ दिन की रखें |साधना अवधि में कम से कम 10 माला जप अवश्य करें |साधना समाप्ति के बाद जब तक आपका उद्देश्य पूर्ण न हो आप षट्कोण वाले पात्र और उसमें स्थित डिब्बी को यथावत पूजा स्थान पर रखें और रोज 5 माला जप करते रहें |उद्देश्य सफल होगा |जब आपका कार्य हो जाय तो षट्कोण वाले पात्र से देवी का विसर्जन कर उसे साफ़ कर अन्य उपयोग में ले सकते हैं |डिब्बी को बंद कर पूजा स्थान पर ही रख दें देवी देवताओं के साथ जिससे उसकी भी पूजा होती रहे |यह डिब्बी अन्य अनेक उद्देश्य के लिए प्रयोग की जा सकती है और सब उद्देश्य के लिए आपके प्रयास को कई गुना बढ़ा देगी कैसे धन -समृद्धि प्रयोग ,वशीकरण प्रयोग ,मुक़दमा विवाद विजय प्रयोग ,नकारात्मकता हटाने के प्रयोग आदि |इस पर सैकड़ों तरह के प्रयोग किये जा सकते हैं |इसमें चढ़ाए गए सिदूर के तिलक से आपकी आकर्षण शक्ति बढती है अतः समय समय पर इसका उपयोग कर सकते हैं |यह आकर्षण प्रयोग एक बहुत ही तीव्र प्रयोग है अतः इसका दुरुपयोग न करें ,सही उद्देश्य और नैतिक कार्य के लिए ही प्रयोग करें अन्यथा आप कर्म बोझ के भागी बन सकते हैं |…………………….हर हर महादेव


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