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दूकान -व्यवसाय पर बुरी नजर और बंधन

दूकान /व्यवसाय बंधी होने या कुदृष्टि ग्रस्त होने पर

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कभी-कभी देखने में आता है कि खूब चलती हुई दूकान भी एकदम से ठप्प हो जाती है । जहाँ पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ती थी, वहाँ सन्नाटा पसरने लगता है । यदि किसी चलती हुई दुकान को कोई तांत्रिक बाँध दे, तो ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, अतः इससे बचने के लिए निम्नलिखित प्रयोग करने चाहिए –

१॰ दुकान में लोबान की धूप लगानी चाहिए ।

२॰ शनिवार के दिन दुकान के मुख्य द्वार पर बेदाग नींबू एवं सात हरी मिर्चें लटकानी चाहिए ।

३॰ नागदमन के पौधे की जड़  लाकर ,पूजित कर ,अभिमंत्रित कर इसे दुकान के बाहर लगा देना चाहिए । इससे बँधी हुई दुकान खुल जाती है ।

४॰ दुकान के गल्ले में शुभ-मुहूर्त में श्री-फल लाल वस्त्र में लपेटकर रख देना चाहिए ।

५॰ प्रतिदिन संध्या के समय दुकान में माता लक्ष्मी के सामने शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करना चाहिए ।

६॰ दुकान अथवा व्यावसायिक प्रतिष्ठान की दीवार पर शूकर-दंत इस प्रकार लगाना चाहिए कि वह दिखाई देता रहे ।

७॰ व्यापारिक प्रतिष्ठान तथा दुकान को नजर से बचाने के लिए काले-घोड़े की नाल को मुख्य द्वार की चौखट के ऊपर ठोकना चाहिए ।

८॰ दुकान में मोरपंख की झाडू लेकर निम्नलिखित मंत्र के द्वारा सभी दिशाओं में झाड़ू को घुमाकर वस्तुओं को साफ करना चाहिए । मंत्रः- “ॐ ह्रीं ह्रीं क्रीं”

९॰ शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के सम्मुख मोगरे अथवा चमेली के पुष्प अर्पित करने चाहिए ।

१०॰ यदि आपके व्यावसायिक प्रतिष्ठान में चूहे आदि जानवरों के बिल हों, तो उन्हें बंद करवाकर बुधवार के दिन गणपति को प्रसाद चढ़ाना चाहिए ।

११॰ सोमवार के दिन अशोक वृक्ष के अखंडित पत्ते लाकर स्वच्छ जल से धोकर दुकान अथवा व्यापारिक प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर टांगना चाहिए । सूती धागे को पीसी हल्दी में रंगकर उसमें अशोक के पत्तों को बाँधकर लटकाना चाहिए ।

यदि इसके बाद भी दूकान /प्रतिष्ठान का बंदन समाप्त न हो अथवा व्यवसाय वृद्धि न हो तो किसी अच्छे और जानकार तांत्रिक से संपर्क करना चाहिए ,क्योकि अधिक शक्ति से तांत्रिक अभिचार होने पर टोटकों से काम नहीं चलता ,फिर तो तीब्र प्रभावी प्रयोग ही करना पड़ता है |

व्यवसाय कार्य बंधन

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     आमतौर पर देखा गया है की एक ही प्रकार के दो प्रतिष्ठान ,दूकान पास-पास होते हुए भी एक का व्यवसाय अच्छा चल रहा है ,जबकि दुसरे का व्यापार ठप पड़ा रहता है अथवा बहुत कम चलता है |कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है की कभी किसी दूकान पर बहुत भीड़ लगती थी पर आज वहां एक भी ग्राहक दिखाई नहीं देता जबकि पास में बाद में खोली हुई दूकान बहुत अच्छी चल रही है ,,जिस घर में कभी सुख-शांति थी वहां एकाएक लड़ाई-झगडे , मार-पीट ,रोग-शोक पनप जाते हैं |क्यों ऐसा होता है |इसके यद्यपि कई कारण हो सकते हैं पर अक्सर इसके कारण तांत्रिक प्रयोग भी होते हैं ,छोटे-छोटे स्वार्थ के लिए लोग खुद अथवा किसी लालची से तांत्रिक क्रियाएं करवाकर दुसरे को कष्ट दे देते हैं अथवा उसकी दूकान-प्रतिष्ठान बंधवा देते हैं ,कभी किसी जानकार से शत्रुता भी भरी पड़ जाती है ,वह कुछ क्रिया करके दूकान बाँध देता है |कभी-कभी इनमे जानकार की कोई गलती नहीं होती ,सामने वाला प्रतिद्वंदी किसी जानकार से जाकर कहता है की मेरे सामने वाला या पडोसी बहुत परेशां कर रहा है ,तांत्रिक क्रिया कर रहा है या समस्या उत्पन्न कर रहा है ,कोई उपाय करें ,अब जानकार अन्तर्यामी तो होता नहीं ,वह कुछ टोटके कर देता है या बता देता है ,परेशांन दूसरा व्यक्ति हो जाता है जबकि उसने कोई गलती नहीं की होती |ऐसा होता है अक्सर |

          यदि ऐसा हो और लगे की अचानक बहुत समस्या आ गयी है और दूकान-प्रतिष्ठान का व्यवसाय कम हो गया है ,अथवा आसपास अच्छी स्थिति होने पर भी आपके पास उपयुक्त व्यवसाय नहीं हो पा रहा हो तो बेहतर तो है की किसी अच्छे जानकार से संपर्क करें |यदि यह संभव न हो तो इसका एक सरल सा उपाय करें ,आपकी समस्या हल हो जाएगी |इसके लिए तीन तांत्रिक वस्तुएं लें सियार सिंगी ,बिल्ली की नाल और हत्था जोड़ी |यद्यपि इसके लिए बहुत सावधानी और परिश्रम की जरुरत होगी क्योकि बिल्ली की नाल और सियारर्सिंगी का  मिलना ही बेहद मुश्किल होता है |इन तीनो तांत्रिक वस्तुओं को प्राप्त कर प्राण-प्रतिष्ठित करवाकर एक डिब्बी में सिन्दूर भरकर अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान के कैश बाक्स या तिजोरी में रख दें |यदि घर पर रखना चाहें तो पूजा स्थान पर रख दें |तांत्रिक दोष निवारण के लिए इन तीनो वस्तुओं का घर अथवा प्रतिष्ठान में रखना ही पर्याप्त है ,इनका रोज धुप-अगरबत्ती -पूजा किया जाना ही पर्याप्त है |स्थापित होते ही इनका प्रभाव प्रारम्भ हो जाता है |कुछ ही दिनों में स्थिति सामान्य हो जाती है और व्यवसाय अपनी वास्तविक स्थिति में आ जाता है ,घर-परिवार में सुख-शांति आ जाती है |यह न मिल पायें तो आप हमारे केंद्र से निर्मित चमत्कारी दिव्य गुटिका /डिब्बी का उपयोग समान स्थान पर कर सकते हैं जिनमें हत्थाजोड़ी और सियारसिंगी के साथ अन्य २३ वस्तुओं का संग्रह होता है और बहुत अच्छा कार्य करता है |……………………………………………………हर-हर महादेव  


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