::::::महालक्ष्मी सर्वतोभद्र यन्त्र ::::::
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यन्त्र रचना वर्ष में केवल एक बार दीवाली की रात्री में की जाती है ,इसे भोजपत्र पर अनार की कलम से अष्टगंध की स्याही से लिखा जाता है ,पश्चात पीले आसन पर प्रतिष्ठित कर प्राण प्रतिष्ठा और पूजन करें | पूजन-जप के बाद गुगुल का धुप और गुगुल से ही हवन किया जाता है |यन्त्र रचना और पूजन समय महालक्ष्मी के कमला स्वरुप के मंत्र का जप लगातार चलता रहे |चूंकि कमला तंत्र की शक्ति हैं अतः यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा भी तांत्रिक विधि से होनी चाहिए |
मंत्र -ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः |
पूजन बाद इस मंत्र का १० माला जप करें और फिर १०८ बार मन्त्र पढ़ते हुए गुग्गल से हवन करें |इस बात का ध्यान रहे की जप के पूर्व और पश्चात भी यन्त्र को धुप देने में गुग्गल का प्रयोग करें |इसके बाद यदि पूजन गृह में स्थापित करना हो तो यन्त्र को वहीँ रहने दें और सुबह पूजन गृह में फ्रेम करा स्थापित करें |नित्य इसकी पूजा और मन्त्र जप करते रहें |ध्यान दें प्राण प्रतिष्ठा के बाद यन्त्र चैतन्य होता है और इसकी पूजा रोज होनी चाहिए |यदि धारण करना हो तो सुबह पूजनोपरान्त चांदी के कवच में भरकर धारण करें |यदि संभव हो तो उपरोक्त मन्त्र की एक माल रोज करें |अधिक लाभ होगा |
इस यन्त्र के प्रभाव से यश -सम्मान -संपदा -सफलता सभी कुछ प्राप्त होता है ,दैवी कृपा से व्यक्ति सदैव संमृद्ध और सुखमय जीवन व्यतीत करता है |शान्ति -समृद्धि प्राप्त होती है और उन्नति के मार्ग खुलते हैं |[[जो लोग स्वयं निर्माण न कर पायें ,हमसे सम्पर्क कर सकते हैं दीपावली पूर्व ]………………………………………हर-हर महादेव
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