लवण दुर्गा सिद्धि
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भगवती दुर्गा का एक रूप लवण दुर्गा का भी है |दुर्गा जी एक ब्रह्मांडीय शक्ति हैं जिनके उद्देश्य अनुसार भौतिक प्रयोग भी होते हैं |इन्ही भौतिक रूपों में लवण दुर्गा हैं जो क्रियात्मक स्वरुप है और वशीकरण में तो इनका विशिष्ट स्थान है |यद्यपि इस विद्या के मारण प्रयोग भी उच्चकोटि के हैं जो अति गुप्त हैं |यदि इस विद्या की साधना उच्च रीति से सम्पन्न की जाए तो साधक कुछ ही देर में साध्य व्यक्ति का मारण भी सम्पन्न कर सकता है |शत्रु के नाम से लवण अर्थात नमक यानी सेंधा नमक का ढेला या बड़ा टुकडा या कंकड़ अभिमंत्रित करके जल में डाल दे तो जितने समय में वह लवण जल में घुलेगा ,उतने समय में ही शत्रु का मारण हो जाएगा |इनके पूजन व् बलिद्रव में सेंधा नमक का भी आंशिक रूप से प्रयोग आवश्यक है |इनका विधान व् मंत्र इस प्रकार है |
मन्त्र – ॐ चिटि चिटि चाण्डाली महाचांडाली अमुकं में वशमानय स्वाहा |
मंत्र में अमुकं की जगह त्रैलोक्यं जोड़ देने से जगत वशीकरण हो सकता है |सामान्य रूप से सिद्धि के लिए भी त्रैलोक्यं लगाना उपयुक्त होता है |
विनियोग – अस्य श्री लवण दुर्गा मंत्रस्य अंगिरस ऋषिः ,अनुष्टुप छन्दः ,अग्निरात्री दुर्गा भद्रकाली देवता ,ह्रीं बीजं ,क्रों शक्तिः ,आँ कीलकम ,मम सकल जगत वश्यार्थे जपे विनियोगः |
ऋषि न्यास – एषां श्री लवण दुर्गा मन्त्राणाम अंगिरस ऋषये नमः शिरसि
अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे अग्निरात्रि दुर्गा भद्रकाली देवताभ्यो नमः हृदये
ह्रीं बीजाय नमः गुह्ये क्रों शक्तये नमः जान्वो आं कीलकाय नमः पादयोः
मम सकल जगत वश्यार्थे जपे विनियोगः सर्वान्गेषु
षडंग न्यास — ॐ चिटि चिटि हृदयाय नमः चाण्डाली शिरसे स्वाहा महाचाण्डाली शिखायै वषट
अमुकं में कवचाय हुम् वशमानय नेत्रत्रयाय वौषट स्वाहा अस्त्राय फट
कर न्यास —
ॐ चिटि चिटि अन्गुष्ठाभ्याम नमः चाण्डाली तर्जनीभ्याम स्वाहा महाचाण्डाली मध्यमाभ्याम वषट
अमुकं में अनामिकाभ्याम हुम् वशमानय कनिष्ठिकाभ्याम वौषट स्वाहा करतलकरपृष्ठाभ्याम फट
यदि गंभीर साधना कर रहे तो इसके बाद अक्षर न्यास किया जाता है |
न्यास के बाद ध्यान किया जाता है जिसमे वशीकरण में अलग शत्रु नाश में अलग और मारण में अलग ध्यान किया जाता है |ध्यान करने के बाद आवरण पूजा की जाती है |सदैव स्मरण रखें की तांत्रिक रीति से किये जाने वाले प्रत्येक अनुष्ठान में देवता के उपांगों अर्थात परिवार का पूजन अवश्य करना चाहिए |यदि विस्तृत रूप से न कर सकें तो सूक्ष्म रूप से ही करें ,परन्तु करें अवश्य |आवरण पूजा करने से यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है और ईष्ट देवता प्रसन्न होकर प्रत्येक कर्म में सद्लता प्रदान करते हैं |आवरण पूजा यन्त्र पर की जाती है अतः साधना में लवण दुर्गा का यन्त्र रखा जाना चाहिए और उसकी पूजा भी होनी चाहिए चाहे चित्र दुर्गा का ही क्यों न रखा जाए |आवरण पूजनोपरान्त आवाहित देवताओं का पंचोपचार अथवा षोडशोपचार पूजन करें |इसके बाद मूल मंत्र का दस हजार जप करें |हवंन में नमक का आंशिक प्रयोग करें |
यन्त्र और दुर्गा जी के चित्र के साथ चमत्कारी दिव्य गुटिका या डिब्बी को रखा जाए तो मंत्र शक्ति और प्रभाव बहुत बढ़ जाता है क्योंकि डिब्बी में चामुंडा से सम्बन्धित नैसर्गिक प्राकृतिक तंत्रोक्त वस्तुएं भी होती हैं और इसमें चामुंडा की प्राण प्रतिष्ठा ,उनके मंत्र से अभिमन्त्रण भी पहले से हुआ होता है जिससे यह पहले से जाग्रत और क्रियाशील होता है |यह लवण दुर्गा के मंत्र को भी विस्तारित करता है और उसकी शक्ति भी बढाता है साथ ही साधक द्वारा मंत्र जप जप से उत्पन्न की जा रही शक्ति को भी स्वयं में समाहित करता चलता है जिससे अनुष्ठान की उर्जा डिब्बी में वर्षों वर्ष बनी रहती है |चमत्कारी डिब्बी के साथ लवण दुर्गा की की गई सिद्धि साधक को एक विशेष गुण और शक्ति सम्पन्न बना देती है जिससे साधक वशीकरण की शक्ति वाला तो होता ही है वह जब चाहे मंत्र प्रयोग से किसी भी शत्रु को नष्ट भी कर सकता है और मार भी सकता है |हमने अपने इस चैनल पर चमत्कारी डिब्बी पर चामुंडा सिद्धि ,आसुरी दुर्गा सिद्धि ,वन दुर्गा सिद्धि ,दुर्गा साधना ,काली साधना ,गणेश सिद्धि ,त्रिपुरा आकर्षण प्रयोग ,आकर्षण वशीकरण के अनेक प्रयोग ,पति -पत्नी ,प्रेमी -प्रेमिका अनुकूलन ,अधिकारी -कर्मचारी आकर्षण ,शत्रु संहार ,भूत -प्रेत ,नकारात्मकता हटाने आदि के अनेक प्रयोग प्रकाशित कर रखे हैं जिन्हें एक ही चमत्कारी डिब्बी पर क्रमशः करके लाभ उठाया जा सकता है |
प्रयोग विधि — रात्रि में जानू पर्यंत जल में खड़े होकर दस हजार जप करने से साध्य वशीभूत होता है |नाभि तक जल में खड़े होकर १८००० जप करने से मध्यमवर्गीय साध्य वशीभूत होता है |गले तक जप में खड़े होकर १८००० की संख्या में जप करने से राजा का भी वशीकरण हो जाता है |ताल पत्र पर यन्त्र मंत्र लिखकर महाकाली के मंदिर में गाड़ देने से जिव जंतु वशीभूत हो जाते हैं |ताल पत्र पर यन्त्र मंत्र लिखकर उसको खदिर की लकड़ी की आग में तपायें तो एक माह में साध्य वशीभूत होता है |सेंधा नमक को गाय के दूध में भिगोकर उसको बारीक पीसकर त्रिकोण कुंड में होम करने से भी साध्य व्यक्ति का वशीकरण हो जाता है |नमक को त्रिमधु से प्रोक्षण करके हवन करें तो राजा का भी वशीकरण होता है |गुड़ ,आज्य ,शहद एवं लवण की पिष्टी से पुतली का निर्माण कर विशेष क्रियाएं और विशेष मंत्र करने से वशीकरण भी हो सकता है ,मारण भी हो सकता है |इसी तरह वराह अर्थात शूकर विष्ठा ,तिल चूर्ण अथवा व्रण ,निम्ब ,सरसों से या फिर भैंस के मूत्र व् लवणयुक्त पिष्टी से पुतली बनाकर भी विशेष रिचा वाले मंत्र से विशेष क्रियाएं और होम करने से शत्रु का मारन भी सम्भव है और वशीकरण भी |ऋचाएं और प्रयोग विधि सार्वजनिक नहीं की जा सकती क्योंकि असावधानी से साधक का भी अहित हो सकता है और पद्धति का दुरुपयोग कर किसी निर्दोष को पीड़ित भी किया जा सकता है अतः गोपनीयता रखना आवश्यक है |
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