Alaukik Shaktiyan

ज्योतिष ,तंत्र ,कुण्डलिनी ,महाविद्या ,पारलौकिक शक्तियां ,उर्जा विज्ञान

विष्णु साधना

वैदिक
देवता
:: तांत्रिक साधना
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::::::::::::::विष्णु साधना ::::::::::::::::
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जैसा की
हम अपने पिछले लेख वैदिक देवता ::तांत्रिक साधना में लिख आये हैं की वैदिक युग में
समान्तर चलने वाली वैदिक कर्मकान्डिय और तांत्रिक साधनाएँ कालान्तर में युगीय
परिवर्तन और सामयिक आवश्यकता के साथ आपस में एक दुसरे में मिलने लगी |सच्चाई
नैतिकताआदर्शों के क्षरण और सामाजिक गिरावट, सबल के अत्याचार ,ताकत के
केन्द्रीकरण से अलौकिक शक्तियों की आवश्यकता अधिक महसूस होने लगी ,फलतः अधिकतम
उपलब्धि और सफलता के उद्देश्य से दोनों पद्धतियों पर शोध भी अधिक हुए और दोनों आपस
में मिलने भी लगे |वैदिक देवताओं की तांत्रिक पद्धति से साधना होने लगी और वैदिक
कर्मकांड का समावेश तांत्रिक साधनों में हो गया |आज यह आपस में पूर्ण मिल चुके हैं
|इस क्रम में हम अपने इस लेख में अपने पेज अलौकिक शक्तियां पर वैदिक देवता विष्णु
की सरलतम तांत्रिक साधना प्रस्तुत करने का प्रयत्न कर रहे हैं जिससे सामान्यजन
लाभान्वित हो सकें |
विष्णु
वैदिक देवता हैं |सामान्य रूप से इनकी पूजा
आराधनासाधना वैदिक पद्धति
से और लम्बे चौड़े कर्मकांड से होती आई है |किन्तु इसकी साधना सरल और तंत्रोक्त
पद्धति से भी संभव है |इस पद्धति से सफलता की सम्भावना बढ़ जाती है |पद्धति में तीन
प्रकार की ऊर्जा एक साथ कार्य करती है |वस्तुगत ऊर्जा ,ध्वनि की ऊर्जा ,मानसिक बल की
ऊर्जा |विष्णु भगवान सृष्टि के पालक हैं |यह समस्त सुख प्रदान कर सकते हैं
,सारे दुर्भाग्य दूर कर सकते हैं |यह सर्वोच्च
शक्ति माने जाते हैं वैदिक रूप से और माना जाता है की यह सब कुछ देने में सक्षम
हैं | विष्णु की सामान्य सिद्धि से ज्ञान ,विवेक ,चेतना ,संकल्प की असाधारण वृद्धि
होती है |प्रत्येक मनोकामना की पूर्ती होती है |उच्च स्तर की सिद्धि होने पर
त्रिकाल दर्शिता प्राप्त हो सकती है और कुछ भी संभव है |
सामग्री
—पीला आसन
, पीले फूल, पीले वस्त्र ,चन्दन की चौकी ,सफ़ेद चन्दन ,तुलसी
दल ,जल ,घृत ,शुभ वृक्षों की लकड़ियाँ [आक
, चिडचिडी, बेल, अनार ,आम, शमी,आदि] ,दूब, तिल, जौ, अरवा चावल ,धुप, गुग्गुल ,दही, ताम्बे का जल पात्र आदि |
मंत्र —ॐ
नमः नारायणाय
विधि —
संध्या
से पूर्व ही ९ हाथ लम्बा ९ हाथ चौड़ा जमीन को साफ़ करके उसे गोबर
मिटटी के मिश्रण से लीप पोतकर साफ़ कर लें |इसके
चारो और सिन्दूर -कपूर और लौंग के मिश्रण को मिलाकर एक सुरक्षात्मक घेरा बना लें
|इस जमीन के ईशान  कोण में सवा हाथ भुजा
वाली [वर्गाकार ]वेदी कोण पर पूर्व की और इस प्रकार बनाएं की उसके पश्चिम आसन
बिछाने एवं पूजा सामग्री रखने के पश्चात भी सब कुछ ९ वर्ग हाथ मर निपट जाए |अर्थात
यह सब कुछ ईशान कोण के ३ हाथ चौड़े और तीन हाथ लम्बे भाग में ही होना चाहिए |वेदी
भूमि पर ही बनेगी |यह साधना क्योकि तंत्र से सम्बंधित है अतः मूल पद्धति वही रहती
है |अगर इस साधना को घर में करना चाहते हैं तो ,किसी एकांत कमरे में किया जा सकता
है जिसमे फर्श की जमीन न हो ,जमीन मिटटी की हो क्योकि वेदी मिटटी पर ही बनेगी ,और
कमरा कम से कम १५ फुट लम्बा -चौड़ा हो तथा जिसमे खुली हवा का आवागमन हो |अगर ऐसा
संभव नहीं है तो कही बाहर स्थान की व्यवस्था की जाए जहाँ एकांत हो |पद्धति में हवन
की विशिष्ट भूमिका है |इससे उत्पन्न ऊर्जा ,ध्वनि और मानसिक बल की ऊर्जा के साथ
सम्मिलित हो वातावरण से विष्णु की ऊर्जा से संपर्क बनाती है और उसे साधक तक
आकर्षित करती है |साथ ही यह ऊर्जा को संघनित और तीब्र भी करती है जिससे सिद्धि
संभव हो पाती है |
अब प्रातः
ब्रह्म मुहूर्त [३ बजे ] में सभी प्रकार से स्वच्छ होकर वेदी के समीप आसन बिछाकर
सभी सामग्री रखें और पूर्व की और मुह करके सुखासन में बैठे |आचमन ,प्राणायाम
,पवित्रीकरण करें |एक ताम्बे के कलश में जल भरकर रखें |चन्दन की चौकी पर तुलसी की
कलम से सफ़ेद चन्दन के घोल से निम्नलिखित यन्त्र लिखे [चित्रानुसार ]|यन्त्र और
जलपात्र की पूजा करें |अब भूमि के चारो और सुरक्षा घेरे पर जौ के आटे या चावल
,सिन्दूर ,तुलसी ,जल को मंत्र पढ़ते हुए छिडके |अब अग्नि मंत्र पढ़ते हुए पूर्व की
और मुख करके गौ के कंडे से चिंगारी से 
अग्नि प्रज्वलित करें |जब अग्नि सुलग जाए तो उसे धयान लगाकर प्रणाम करें
|फिर थोड़ी लकड़ी डालकर  भगवान् विष्णु की
साकार छवि या ” ॐ ” को ध्यान में लाकर मंत्र पढ़ते हुए अग्नि में हवि दें
|हवि १०८ बार दी जायेगी धीरे -धीरे पूर्ण एकाग्रता और स्पष्ट मंत्र ध्वनि के साथ
|पूजन समय उपरोक्त मंत्र रहेगा और हवन के समय उसमे स्वाहा का प्रयोग होगा |जब १०८
बार हव्य डाल दें तो बची हुई हवन सामग्री भी वेदी में डालकर ,अग्नि को प्रणाम करें
|हवन के मध्य आवश्यकतानुसार लकड़ी वेदी में डालते रहें |इस अवसर पर विष्णु
सहस्त्रनाम का पाठ भी किया जाता है जो सामान्यतया हवन के बाद होता है |सहस्त्रनाम
से हवन भी किया जा सकता है जिसमे प्रत्येक श्लोक के प्रारम्भ और अंत में उपर्युक्त
मंत्र को लगाना चाहिए |किन्तु इसमें समस्या ध्यान की आ जाती है ,अगर ध्यान विष्णु
पर एकाग्र रहे और गुणों का चिंतन चलता रहे तो यह उत्तम हो सकता है |विष्णु जी की
सामान्य सिद्धि १०८ दिन में होती है |इस अवधि में ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है |
सामान्य सिद्धि के बाद भी अगर लगातार लगे रहें तो सिद्धि का स्तर बढ़ता जाता है
,फिर तो कुछ भी संभव है |
विशेष जानकारी
और चेतावनी

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–यह साधना कोई भी कर सकता है ,किन्तु यह तांत्रिक साधना ही है |मूल तांत्रिक
पद्धति क्लिष्ट और गुरुगम्य होती है किन्तु इसे कोई भी थोड़ी सावधानी से कर सकता है
| साधना में साधित की जा रही शक्ति वैदिक और सौम्य हैं ,इनसे किसी प्रकार की हानि
नहीं होती ,किन्तु परम सात्विक और उच्चतम सकारात्मक शक्ति होने से इनकी साधना से
जब सकारात्मकता का संचार बढ़ता है तो ,आसपास और व्यक्ति में उपस्थित अथवा उससे जुडी
नकारात्मक शक्तियों को कष्ट और तकलीफ होती है ,उनकी ऊर्जा का क्षरण होता है ,फलतः
वह तीब्र प्रतिक्रया करती है और साधक को विचलित करने के लिए उसे डराने अथवा बाधा
उत्पन्न करने का प्रयास करती हैं ,कभी कभी पूजा से भी दूसरी नकारात्मक शक्ति
आकर्षित हो सकती हैं |व्यक्ति के काम को बिगाड़ने और दिनचर्या प्रभावित करने का
प्रयास भी यह नकारात्मक उर्जायें कर सकती हैं ,इसलिए यह अति आवश्यक होता है की
साधना की अवधि में साधक किसी उच्च सिद्ध साधक द्वारा बनाया हुआ शक्तिशाली यन्त्र
ताबीज अवश्य धारण करे ,जिससे वह सुरक्षित रहे और
साधना निर्विघ्न संपन्न करे |तीब्र प्रभावकारी साधना होने से प्रतिक्रिया भी तीब्र
हो सकती है अतः सुरक्षा भी तगड़ी होनी चाहिए |यह गंभीरता से ध्यान दें की आप जो
यन्त्र
ताबीज धारण कर रहे हैं वह
वास्तव में उच्च शक्ति को सिद्ध किया हुआ साधक ही अपने हाथों से बनाए और
अभिमंत्रित किये हुए हो ,अन्यथा बाद में सामने कह्तरे आने पर मुश्किल हो सकती है
|सिद्ध अथवा साधक के यहाँ की भीड़ ,अथवा प्रचार से उनका चुनाव आपको गंभीर मुसीबत
में डाल सकता है |साधना पूर्ण है ,किन्तु इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटी होने
अथवा समस्या
मुसीबत आने पर हम
जिम्मेदार नहीं होंगे |गुरु का मार्गदर्शन और समुचित सुरक्षा करना साधक की
जिम्मेदारी होगी |हमारा उद्देश्य सरल ,सात्विक ,तंत्रोक्त साधना की जानकारी देना
मात्र है |………………..[तंत्रोक्त तकनिकी जानकारी और पूर्ण साधना पद्धति
के साथ सुरक्षा कवच हेतु हमारे ब्लॉग पर संपर्क किया जा सकता है
]………………………………………………हर
हर महादेव 



विशेष – किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 


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