Alaukik Shaktiyan

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व्यापार -व्यवसाय में उपयोगी कवच /ताबीज

कवच /ताबीज और
व्यवसाय /व्यापार

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. आकस्मिक धन प्राप्ति हेतु कुबेर कवच
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लक्ष्मी
चंचला है और किसी एक स्थान पर टिककर नहीं बैठती ,तभी तो शास्त्रों में इसे चंचला
अथवा अस्थिरा भी कहा गया है |कल का धनि एक झटके में निर्धन हो जाता है तो कोई
दरिद्र लक्ष्मी कृपावान यकायक उत्तरोत्तर प्रगति करके धनवान बन सकता है |यह सब
लक्ष्मी की चंचल प्रवृत्ति के कारण ही है |यह अकाट्य सत्य है की जीवन जीने के लिए
रुपयों [धन
] की आवश्यकता पड़ती है
|लक्ष्मी को सिर्फ श्रेष्ठतम प्रयासों से ही स्थिर किया जा सकता है |उनमे से भी
देवताओं के कोषाध्यक्ष और लक्ष्मी के कृपापात्र यक्षराज कुबेर की कृपा से आकस्मिक
एवं प्रचुर धनप्राप्ति संभव होती है |हमने गहन अनुसंधान के परिणामस्वरूप आकस्मिक
धन प्राप्ति हेतु ” कुबेर कवच ” का निर्माण किया है जिसके आश्चर्यजनक
परिणाम सामने आये हैं |
.  श्री सिद्ध महालक्ष्मी यंत्र
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चिड़िया की
आकृति का यह यंत्र सिद्ध महालक्ष्मी यंत्र है |इस यंत्र को अनार की कलम से अष्टगंध
की स्याही द्वारा भोजपत्र पर लिखकर और एक ताम्बे के पात्र पर रखकर ,पात्र को घर
में पश्चिम दिशा में रख दें |इसके पश्चात् पीले वस्त्र तथा पीला जनेऊ धारण करके
,”श्रीं प्रीं प्रीं प्रीं ” मन्त्र का एक हजार की संख्या में जप करके
,धुप दीप से यंत्र की पूजा करें |
पूजन में सफ़ेद
रंग के फूल यंत्र को अर्पित करें तथा पूजा के बाद यंत्र को खीर का नैवेद्य अर्पित
करे और पूजन के पश्चात् ,” वं वं ह्रीं श्रीं क्लीं स्वाहा ” इन बीज
मन्त्रों से १०८ बार हवन करें |इसी प्रकार प्रतिदिन पूजन व हवन ४१ दिन तक करने पर
यंत्र सिद्ध हो जाता है |तब इसको सामर्थ्य के अनुसार चांदी या सोने के कवच में
भरकर दाहिनी भुजा में धारण कर लें |इस यंत्र के प्रभाव से साधक के घर में धन धान्य
की वृद्धि होती है |सुख समृद्धि आती है |आय के स्रोत उत्पन्न होते हैं |
. व्यापारव्यवसाय वृद्धि कवच 
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कई बार अच्छा चलता व्यापार अचानक ही मंदा हो जाता है |एक ही व्यवसाय से सम्बंधित कई दुकाने आसपास होने पर भी किसी का व्यवसाय चलता है किसी का नहीं चलता |सामने बहुत बीद होती है पर उसके सामने कोई देखता तक नहीं या कम लोग आते हैं |इसका प्रभाव आर्थिक और मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है |क्रमशः आर्थिक मानसिक स्थिति खराब होने लगती है ,स्वास्थय साथ नहीं देता ,स्वभाव में कमियां आने लगती है ,अशांतिकलहक्रोधचिडचिडापन आने लगता है |जिस व्यापा में कभी लाभ ही लाभ था आज हानि होने लगती है या अत्यल्प लाभ रह जाता है |यद्यपि इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे ग्रह स्थितियों में बदलाव, किसी द्वारा किया गया अभिचार, पित्र दोष, कुल देवता दोष आदि आदि ,किन्तु मूल कारण नकारात्मक ऊर्जा जो इन सबमे से किसी द्वारा हो सकती है के द्वारा व्यक्ति और व्यापार का घिर जाना होता है |
इन समस्याओं से निकलने के कई उपाय तंत्र में हैं ,किन्तु कुछ दुसाध्य है तो कुछ जानकारी और उपलब्धता के अभाव में कार्यरूप में परिणत नहीं हो पाते |इस हेतु सबसे अच्छा तरीका होता है की किसी अच्छे जानकार व्यक्ति की मदद ली जाए और व्यापारव्यवसाय वृद्धि कवच बनवाकर धारण किया जाए |यह तरीका आसान होता है हालांकि कीमत जरुर अधिक हो सकती है ,जो सम्बंधित जानकार की क्षमता पर निर्भर करती है |यद्यपि आज के प्रचार और मशीनी युग में बाजार अथवा व्यक्तियों द्वारा बहुत प्रकार के यन्त्र ताबीज दिए जा रहे है ,कितु प्रभाव कितना होता है यह धारक ही जानता है |
इस समस्या हेतु यदि ताबीज में दीपावली में निर्मित महालक्ष्मी यन्त्र अथवा रविपुष्य योग में छुईमुई निर्गुन्डीगुलमोहर के रस और सेई के कांटे के भस्म से निर्मित व्यापार वृद्धि यन्त्र ,दिव्य मुहूर्त रविपुष्य योग में निष्कासित और पूजित श्वेतार्कमूल ,नागदौनमूल ,हरसिंगारमूल ,सांप के दांत ,हाथी दांत ,गोरोचन आदि विशिष्ट पदार्थ और वनस्पतियों का संयोग करके ताबीज बनाकर धारण किया जाये तो आशानुरूप परिणाम प्राप्त होते हैं |यद्यपि यह बहुत श्रम साध्य और योग्यतापूर्ण कार्य है ,जिसे विषय का अच्छा जानकार और साधक ही कर सकता है |ये सभी वस्तुएं वनस्पतियाँयन्त्र मिलकर ऐसा प्रभाव उत्पन्न करते हैं की व्यक्ति पर से और उसके आसपास से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हट जाता है |शारीरिक ऊर्जा चक्रों की सक्रियता बढती है |उर्जाउत्साहउलास जागता है |विभिन्न नकारात्मक और अभिचार कर्म का प्रभाव रुकता है और जितना भाग्य में लिखा है वह पूरा मिल पाता है |साथ ही ग्रह दोषों, वास्तु दोषों का भी शमन होता है |धीरे धीरे व्यापारव्यवसाय उन्नति की और अग्रसर होने लगता है |चूंकि इस प्रकार के कवच तांत्रिक और तीब्र प्रभावी होते हैं अतः शुद्धता और सावधानी भी आवश्यक होती है |[[हमारे केंद्र से निर्मित कवच का मूल्य 7000 /- Rs ]]
. महालक्ष्मी सर्वतोभद्र यन्त्र
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यन्त्र रचना वर्ष में केवल एक बार दीवाली की रात्री में की जाती है ,इसे भोजपत्र पर अनार की कलम से अष्टगंध की स्याही से लिखा जाता है ,पश्चात पीले आसन पर प्रतिष्ठित कर पूजनजप के बाद गुगुल का धुप और गुगुल से ही हवं किया जाता है ,,इस यन्त्र के प्रभाव से यशसम्मानसंपदासफलता सभी कुछ प्राप्त होता है ,दैवी कृपा से व्यक्ति सदैव संमृद्ध और सुखमय जीवन व्यतीत करता है |…………………………………हर-हर महादेव 


विशेष – किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

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