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शनि कैसे प्रसन्न हो ?

शनि प्रसन्नता और शान्ति के उपाय

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            हमने अक्सर सुना है कि पीपल के पेड़ पर प्रतिदिन जल चढ़ाने और दीपक लगाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। ऐसा है भी। लेकिन शनि को अकेला पीपल का पेड़ ही प्रसन्न नहीं करता अपितु कई ऐसे अन्य भी पेड़-पौधे हैं, जो शनि को प्रसन्न कर सकते हैं। लाल चंदन की माला को शनिवार या शनि जयंती के दिन पहनने से शनि के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं। इसके अलावा शमी वृक्ष की जड़ को शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या शनि जयंती के दिन काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण भी किया जा सकता है। इससे शनि प्रसन्न होते हैं। वहीं, काले धागे में बिच्छू घास की जड़ को शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या शनि जयंती के शुभ मुहूर्त में धारण करने से भी शनि संबंधी सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

शनि शान्ति के उपाय

         बिगड़े हुए शनि अथवा इसकी साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए अनेक सरल और मनोवैज्ञानिक उपाय हैं । जैसे अपना काम स्वयं करना, फिजूलखर्च से बचना, कुसंगति से दूर रहना, बुजुर्गों का आदर करना, दान पुण्य के तौर पर दीन दुखी की सहायता करना, अन्न- वस्त्र दान समाज सेवा व परोपकार से अभिप्रेरित होकर शनि का दुष्प्रभाव घटता जाता है। अनेक सज्जन शनिवार के दिन तेल खिचड़ी फल सब्जी आदि का भी दान कर सकते हैं ।शनि दान जप आदि करने से साढ़ेसाती के फल पीडादायक नहीं होते हैं। गुरूद्वारा मंदिर देवालय तथा सार्वजनिक स्थलों की स्वयं साफ सफाई करने रोगी और अपंग व्यक्तियों को दान देने से भी शनि की शांति होती है।

         साढ़ेसाती या ढैय्या, ज्योतिष में इनका काफी अधिक महत्व माना गया है। इनका संबंध सबसे क्रूर माने जाने वाले ग्रह शनि से है। साढ़ेसाती और ढैय्या यह अवधि है। साढ़ेसाती यानि साढ़े सात साल और ढैय्या का अर्थ है ढाई साल। शनि एक राशि में ढाई साल रुकता है और एक राशि को वह साढ़ेसात प्रभावित करता है। शनि साढ़ेसाती और ढैय्या में व्यक्ति को उसके कर्मों का अच्छा या बुरा फल प्रदान करता है। शनि को न्यायाधिश का पद प्राप्त है इसी वजह से इसे क्रूर ग्रह माना जाता है। हमारे द्वारा जाने-अनजाने के किए बुरे कर्मों का बुरा फल शनि जरूर प्रदान करता है। कई बार शनि का न्याय इतना अधिक कष्ट देने वाला होता है कि व्यक्ति का जीना मुश्किल हो जाता है। इन कष्टों से बचने के लिए शनि की आराधना सटीक उपाय है। शनि को मनाने के लिए प्रति शनिवार किसी काली गाय को हरी घास खिलाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार गाय को माता का दर्जा प्राप्त है और इनकी पूजा व सेवा करने से सभी देवी-देवताओं की कृपा होती है। कुंडली के सभी दोषों का प्रभाव कम हो जाता है। इसी वजह से प्रति शनिवार काली गाय की सेवा करनी चाहिए।

           ज्योतिष के अनुसार काले छाते का दान करने में कई ग्रह दोषों का नाश हो जाता है। इसके साथ ही सभी धर्मों में जरूरतमंदों की मदद करना पहला कर्तव्य माना गया है। जो व्यक्ति दान आदि करने में सक्षम हैं उनके लिए यह जरूरी माना गया है कि वे गरीब, असहाय लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करें। अभी बारिश के दिनों में काफी गरीब लोगों के पास पानी से बचने का कोई साधन नहीं होता ऐसे में इन्हें छातों का दान करना बहुत पुण्य का कर्म माना गया है।

           अन्य लोगों की मदद करना ही इंसानियत का पहला धर्म है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी काले छाते का दान करने में कई ग्रह दोषों का नाश हो जाता है। काला रंग शनि ग्रह से संबंधित है और शनिदेव जरूरतमंद और गरीब लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में है या अशुभ दृष्टि रखता है तो उसे कई प्रकार के कष्ट झेलने पड़ते हैं। चूंकि शनिदेव को न्यायाधिश का पद प्राप्त है अत: इनके इस चक्र से बच पाना संभव नहीं है। हमारे सभी अच्छे-बुरे कर्मों का उचित फल अवश्य ही प्राप्त होता है।

शनि के साथ ही राहु और केतु द्वारा बनने वाले कालसर्प योग में भी छाते का दान राहत प्रदान करता है। गरीबों की दुआंओं के बल पर हमारे बुरे समय का प्रभाव कम हो जाता है। घर तथा आर्थिक क्षेत्र में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं। पैसों के संबंध में आ रही रुकावटें दूर होने के बाद व्यक्ति को मेहनत के अनुसार अच्छा पैसा मिलने लगता है।……………………………………………………हर हर महादेव


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