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शाबर मंत्र

:::::::::::::::::::::शाबर मंत्र और उनकी विशेषता :::::::::::::::::::::
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              शाबर तंत्र तंत्र की
ग्राम्य शाखा है | शाबर
का प्रतीक अर्थ होता है ग्राम्य अथवा अपरिष्कृत | अत्यंत सरल भाषा
में पाए जाने वाले सभी मंत्र शाबर की श्रेणी में आते हैं
|ये मंत्र होते तो अत्यंत सरल
भाषा में है परन्तु इनका कोई अर्थ नहीं होता |यह सभी बोली जाने वाली भाषाओं में
पाए जाते हैं यहा तक की गाँव गाँव की गूढ़ शब्दावली में भी मंत्र पाए जाते हैं |कुछ
में विभिन्न भाषाओं का भी प्रयोग देखने में आता है |शाबर मंत्र अर्थ युक्त और अर्थ
हीन दोनों प्रकार के पाए जाते हैं |गोसामी तुलसीदास के अनुसार –अनमिल आखर अरथ न
जापू |प्रगट प्रभाव महेश प्रतापू || शाबर मन्त्रों का जन्म प्रायः सिद्ध साधकों
द्वारा ही हुआ है ,,संभवतः यही कारण है की मंत्र के समापन के समय देवता को विकत आन
दी जाती है |इन्हें देखकर बालक के हठ का स्मरण हो आता है |ठीक उसी प्रकार स्वयं
सिद्ध साधकों ने शास्त्रीय मन्त्रों का सहारा न लेकर अपनी समस्या को अपनी ही भाषा
में कहा और उस समस्या की पूर्ति न होने की स्थिति में एक हठी बालक की भाँती अनर्गल
सी आन कहकर अपनी समस्या पूर्ति कर ली |वास्तव में यह साधक का अपने ईष्ट के प्रति
अपनत्व है जो उन्हें कसम देता है |कभी कभी शास्त्रीय मन्त्रों की कमी को ये शाबर
मंत्र बड़ी ही सफलता से पूर्ण करते हैं|
 इसके प्रथम प्रवर्तक भगवान शंकर हैं ,और जिन
सिद्धों ने इसको आगे बढाया वे परम शिव भक्त ही थे 
|मानवीय गुरुओं में गुरु गोरखनाथ तथा गुरु मछंदर नाथ “शाबर मन्त्र
“के जनक माने जाते हैं |अपने तप प्रभाव से वे भगवान शंकर के समान पूज्य माने
जाते हैं |अपनी साधना और शक्ति के कारण वे मन्त्र प्रवर्तक ऋषियों के समान विश्वास
और श्रद्धा के पात्र हैं |सिद्ध और नाथ सम्प्रदायों ने परम्परागत मन्त्रों के मूल
सिद्धांतों को लेकर बोलचाल की भाषा में मन्त्रों को जन्म दिया |
                   
शाबर’मन्त्रों में आन’
और शाप’, ‘श्रद्धा’ और धमकी’दोनों का प्रयोग
किया जाता है साधक याचक’ होता हुआ भी देवता को सब कुछ कहता है, उसी से सब कुछ कराना चाहता है आश्चर्य यह है कि उसकी यह आन’
भी काम करती है शास्त्रीय प्रयोगों में उक्त प्रकार की आन’
नहीं रहती बालसुलभ सरलता का विश्वास शाबर मन्त्रों का साधक मन्त्र के देवता के प्रति रखता है जिस प्रकार अबोध बालक की अभद्रता पर उसके मातापिता अपने वात्सल्यप्रेम के कारण कोई ध्यान नहीं देते, वैसे ही बालसुलभ सरलता’ और विश्वास’ के आधार पर शाबर’ मन्त्रों की साधना
करने 
वाला सिद्धि प्राप्त कर लेता है
शाबर’मन्त्रों में संस्कृत, प्राकृत और क्षेत्रीय सभी भाषाओं
का उपयोग मिलता है किन्हींकिन्हीं मन्त्रों में संस्कृत और मलयालय, कन्नड़, गुजराती, बंगला या तमिल भाषाओं का मिश्रित रुप मिलेगा, तो किन्हीं में शुद्ध क्षेत्रीय भाषाओं की ग्राम्यशैली और कल्पना भी मिल जायेगी
भारत के एक बड़े भूभाग में बोली जाने वाली भाषा हिन्दी’ है अतः अधिकांश शाबर’मन्त्र हिन्दी में ही मिलते हैं इस मन्त्रों में शास्त्रीय मन्त्रों के समान षडङ्ग’ऋषि, छन्द, वीज, शक्ति, कीलक और देवता की योजना अलग से नहीं रहती, अपितु इन अंगों का वर्णन मन्त्र में ही निहित रहता है इसलिए प्रत्येक शाबर’ मन्त्र अपने आप में पूर्ण होता है उपदेष्टा ऋषि’ के रुप में गोरखनाथ जैसे सिद्धपुरुष हैं कई मन्त्रों में इनके नाम लिए जाते हैं और कइयों में केवल गुरु के नाम से ही काम चल जाता है
पल्लव’ (मन्त्र
के अन्त में लगाए जाने वाले शब्द) के स्थान में शब्द साँचा पिण्ड काचा, फुरो मन्त्र ईश्वरी वाचा’वाक्य ही सामान्यतः रहता है इस वाक्य का अर्थ है शब्द ही सत्य है,
नष्ट नहीं होता यह देह अनित्य है,
बहुत कच्चा है हे मन्त्र ! तुम ईश्वरी वाणी हो (ईश्वर के वचन से प्रकट हो)”
इसी प्रकार
के या इससे मिलतेजुलते दूसरे शब्द इस मन्त्रों के पल्लव’ होते हैं|

शाबर मन्त्र स्वयं सिद्ध होते हैं |शाबर मन्त्र शीघ्र
प्रभावी होते हैं और सरल भाषा में होते हैं |इनके प्रयोग भी अत्यंत सुगम होते हैं |शाबर
मन्त्र में कोई भी सुधार करने या अर्थ निकालने की आवश्यकता नहीं होती क्योकि यह
मन्त्र प्रायः ग्रामीण भाषाओं में पाए जाते हैं |शाबर मन्त्र से प्रत्येक समस्या
का निराकरण सहज ही हो जाता है |शाबर मन्त्र सभी के लिए हैं ,यह किसी वर्ग विशेष का
प्रतिनिशित्व नहीं करते ,जो भी चाहे विधि के अनुसार प्रयोग करके लाभ उठा सकता है |……………………………………………………..हर
– हर महादेव
 



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  1. Narhari patel Avatar

    आदेश आदेश ,श्री नाथजी को आदेश , गुरुदेव , शाबर मंत्र करनेके लिए ,क्या किसीको गुरु बनाना आवश्क हे ?……या बिना गुरु के भी किया जा सकता हे ?……मार्गदर्सन देनेकी कृपा करे !!!!!!!……नरहरि पटेल (USA)….मेरे गुरु हे …लेकिन वो तांत्रिक नहीं हे ….!!!!!!!!!!….. e-mail- haripatel810@yahoo.com. WhatsAp no; 001 508 502 0430 …!!!!!

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