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साढ़ेसाती अच्छी होगी या बुरी ?

कल्याणकारी भी है शनि साढ़े साती

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              शनि कि साढ़े साती यानी शनि का आपकी राशि के आस पास भ्रमण आज इस शब्द से भी लोग डर जाते हैं और हर शनिवार शनि को तेल तिल और पता नहीं क्या क्या अर्पण करके लोग निश्चिन्त हो जाते हैं कि अब शनि कुछ नहीं करेगा |यह सब जानते हैं कि शनि कर्मों के अनुसार फल प्रदान करता है |साढ़े साती वह समय है जब जज बनकर शनि आपके सामने होंगे और आपके केस की सुनवाई के बाद आपको फैसला सुनाया जाएगा |इस समय में याद आती हैं वे सब बातें जिन्हें लगभग हमने भुला दिया था साढ़े सती से पहले के अढाई साल शनि धन देता है जिसे पाकर कुछ लोग अपना आप खो बैठते हैं धन और मान यश के नशे में चूर व्यक्ति को भले बुरे का ज्ञान ही नहीं रहता इसलिए व्यक्ति कभी किसी का दिल दुखा देता है और कभी किसी का धन हड़प लेने के बाद शक्ति दिखाकर उसे चुप करा देता है |कुछ लोग साढ़े साती के पहले भूमि लाभ भी प्राप्त करते हैं |यह सब स्वाभाविक है क्योंकि शनि आपके एकादश भाव में विचरण कर रहा होता है और उसकी दृष्टि आपके मित्रों शत्रुओं और रिश्तेदारों पर होती है |इस समय में जो भी आपको आँखें दिखता है उसका बुरा दौर शुरू हो जाता है यानी चतुर्दिक लाभ और आपका कल्याण |चूँकि आप ये जानते हैं कि आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा इसलिए आप निश्चिन्त होकर यह मान लेते हैं कि आप ही सही हैं और सब कुछ गलत

         इन अढाई सालों में आपके पास अब तक का कमाया सर्वाधिक धन होता है |यदि ऐसा नहीं है तो निस्संदेह आपका शनि नीच राशी में या बिलकुल निर्बल है समय सदा एक सा नहीं रहता जाते |जाते शनि आपको पाप और लोगों की बद्दुआएँ दे जाता है जिनका मोल आपको साढ़ेसाती में चुकाना होता है |अब साढ़ेसाती में प्रवेश करने के पहले अढाई साल आप गलतिया करते हैं |खर्चा होता है बजट बिगड़ता है और छिपे खर्च बार बार सामने आते हैं |परिचितों के स्वर्ग सिधारने के समाचार मिलते हैं |अप्रत्याशित घटनाएँ होती है ताकि आप को समझ आये कि ये सब आपको पहले क्यों नहीं दिखा |फिर भी अधिक बुरा समय नहीं होता केवल आपके किये कार्य गलत साबित होते हैं और आपकी नीतियों की आलोचना होती है |यदि कोर्ट केस में आप फंसे थे तो इस समय में फैसला आपके खिलाफ जाता है| झूठे केस में आप फंस सकते हैं

किसी भी प्रकार से आपको डराने का मेरा उद्देश्य नहीं है अपितु यह सब उनके साथ होता है जिन्होंने अच्छे समय में बुरे कर्म किये होते हैं इसलिए केवल बात का मर्म समझने का प्रयास करें |

           अब पहले अढाई साल के ख़त्म होते होते व्यक्ति क़र्ज़ में चला जाता है |कर्ज किसी लोन के रूप में भी हो सकता है |इस समय में पैसा लगा कर नया कारोबार शुरू किया जाये तो 90% वह काम असफल होता है | क़र्ज़ के चढ़ते ही शुरू हो जाता है चिंता का दौर | व्यक्ति चिंता में आवश्यकता से अधिक मेहनत करता है परन्तु फल आधा भी नहीं मिल पाता |होता ये है कि आपका रूप ही ऐसा हो जाता है कि आप किसी के प्रिय नहीं रहते |अपने पुराने समय को याद करते करते आपके दिन गुजरते हैं तब याद आती है किसी की गुहार या मदद के लिए पुकार जिसे आपने अनदेखा कर दिया था |किसी मजबूर का यदि आपने फायदा उठाया था तो यह समय उन सब बातों को स्मरण करने का होता है |कितनी भी पूजा अर्चना आप कर लें या शनि वार के दिन कितना ही दान पुण्य आप क्यों न कर लें इस समय में तो आप सजा काट रहे हैं |

           जो पुन्य कर्म आपको पहले करने चाहिए थे वे आप आज करते हैं जिसका विशेष लाभ उस समय नहीं मिल पाता |इस समय में किये शुभ कर्मों का फल आपको मिलेगा तब जब आपके गोचर में शनि तीसरे घर में आएगा और उस दिन को अभी पूरे पांच साल बाकी हैं |पहले पांच वर्षों में जितने दुःख आपने उठाये होते हैं उनसे भी अधिक कठिन समय साढ़े साती के आखिरी अढाई साल होते हैं |यदि घर में कोई बुजुर्ग हो तो वह मृत्यु को प्राप्त होता है |10में से 8 व्यक्तियों के साथ ऐसा ही होता है |किसी भी प्रकार का रत्न आपको साढ़े साती से नहीं बचा सकता क्योंकि उपाय करके आप मुसीबत को ख़त्म नहीं कर रहे हैं केवल कुछ समय के लिए टाल रहे हैं | इस समय में आपका धन लगभग समाप्त हो चूका होता है | यदि जन्मकुंडली में शनि पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो आपको समस्याए तो मिलती ही हैं परन्तु कोई न कोई रास्ता भी मिलता रहता है |हर नयी मुसीबत के साथ एक समाधान प्रस्तुत रहता है जिससे आपको हानि कम से कम हो |

शनि उच्च राशी में हो तो आपको अच्छे बुरे का भान रहता है और आप पर लगे सभी आरोप गलत साबित हो जाते हैं |शनि के इस न्याय चक्र में आप बाइज्जत बरी जो जाते है यदि आपने अच्छे समय में एक अनुपात में अच्छे काम भी किये हैं |यदि आपने अपने अच्छे समय में प्रभु का स्मरण किया है तो बुरे समय में भगवान् आपको भी नहीं भूलते !

विशेष

कुण्डली में शनि की स्थिति देखते समय देखे मित्र लग्न में शनि अपनी राशि में लग्न, केन्द्र ,त्रिकोण में स्थित ओर शुभ ग्रहों से दृष्टिगत ओर नवमांश कुन्डली में शुभ स्थिति का शनि अपनी दशा अन्तर व साढ़े शती में व्यक्ति को अधिक प्रभावित नहीँ करता

       अब आपको हम बताते हैं की,शनि शुभ हो या अशुभ ,पापी हो या सौम्य ,बुरा प्रभाव दे रहा हो या अच्छा ,किसी भी भाव का स्वामी हो ,किसी भी भाव में या किसी भी राशि में बैठा हो ,वह कैसे आपको शुभ परिणाम देगा ,धन देगा ,सुरक्षा करेगा ,उन्नति देगा |शनि कि साढ़े साती अथवा शनि कि ढईया कैसे अच्छी निकलेगी और शनि कष्ट न देकर सुख देगा ,धन देगा |यदि आपका शनि शुभ है कुंडली में या शुभ होकर कमजोर है तो आप शनि कि महादशा ,अन्तर्दशा ,साढ़ेसाती या ढईया में तेल का दान मत कीजिये ,तेल शनिवार को खरीदकर शनि को ही चढ़ाकर घर में उपयोग करें ,तरीका हमने दुसरे वीडियों में बताया है |आप लोहा ,स्टील भी शनिवार को लें ,अपनी जेब में नीला रुमाल रखें ,शनि से सम्बन्धित वस्तुएं दान में न दें |ऐसी पूजा न करें जिससे शनि को कष्ट हो अपितु काली जी कि उपासना करें और काली जी का कवच धारण करें |यदि काली कवच के साथ अम्लवेत ,बच ,गिलोय ,शमी ,बला और बिच्छू की अभिमंत्रित जड़ें भी ताबीज में धारण करें तो लाभ कईगुना बढ़ जाएगा |इसके साथ जमुनिया माला अथवा नीलम कि अंगूठी धारण करें |रात में सोते समय नीले बल्ब का प्रयोग करें |

            यदि शनि अशुभ है और आपके लिए कष्टकारक है तो ,आप अम्लवेत जिसे प्रकाश विच्छोली भी कहते हैं कि जड़ ,बच कि जड़ ,गिलोय कि जड़ ,बिच्छू घास कि जड़ ,बला कि जड़ ,शमी कि जड़ को रवि पुष्य योग से एक दिन पहले तंत्रोक्त विधि से आमंत्रित करके रविपुष्य को निकालकर विधिवत प्राण प्रतिष्ठित ,अभिमंत्रित करके ताबीज में भरकर ॐ वं डं क्षं पं हं ह्रीं नमः मन्त्र से १०८ बार अभिमंत्रित करके धारण करें |यदि इन जड़ों को काली जी के अभिमंत्रित यन्त्र के साथ ताबीज में धारण किया जाय तो लाभ कई गुना बढ़ जाएगा |विधिवत शनि मंत्र से पूर्ण अभिमंत्रित शनि यन्त्र के साथ भी इस जड़ों को ताबीज में धारण करने से उत्तम लाभ होता है |यदि शनि यन्त्र ,काली यन्त्र के साथ जड़ें हों तो अत्यंत अच्छा फल प्राप्त होता है |शनिवार को तेल का दान करें ,छाया दान करें |नीले -काले वस्त्र से बचें ,शनि से सम्बन्धित वस्तुओं का दान करें ,शनि मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनये नमः का जप करें |पीपल कि पूजा करें |काले कुत्ते और कौवे को भोजन दें |रात में सोते समय लाल या पीले बल्ब का प्रयोग करें |स्नान के पानी में थोड़ी हल्दी डालकर स्नान करें |दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें |इस तरह आप शनि के दुष्प्रभाव को कम करते हुए अथवा शनि के शुभ प्रभाव को बढाते हुए शनि से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं |…………………हर हर महादेव


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