ज्योतिष और तंत्र में यन्त्र -ताबीज -कवच
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यन्त्र -मंत्र ,कवच ,ताबीज ,विभिन्न आकृतियाँ ,धार्मिक चिन्ह ,लाकेट ,प्रतीक विश्व के हर धर्म में किसी न किसी रूप में मान्य हैं और बहुतायत में इनका प्रयोग होता है |इनकी शक्ति से मनुष्य हमेशा से लाभान्वित होता रहा है |भारतीय परंपरा में इनके विलक्ष्ण प्रयोग और लाभ मिलते रहे हैं |यह व्यक्ति के हर समस्या का समाधान करने में सक्षम हैं और इनपर भारतीय मनीषियों ने बहुत शोध किये हैं |व्यक्ति अधिकतम कैसे सुखी हो सकता है ,कैसे उसके कष्ट कम किये जा सकते हैं जिससे वह अधिक से अधिक सुखी रहते हुए अपना लक्ष्य प्राप्त कर सके |इन्ही आधारों में दैवीय यन्त्र और कवच -ताबीज भी हैं |विभिन्न आकृतियों और निश्चित आकारों में निश्चित ऊर्जा होती है और विभिन्न शब्दों में भिन्न शक्तियाँ |इनके प्रयोग से विशिष्ट ऊर्जा उत्पन्न कर उसका प्रयोग विभिन्न लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए करना ही इनका मूल उद्देश्य होता है |इनसे भौतिक ही नहीं आध्यात्मिक लक्ष्य भी प्राप्त किये जाते हैं |यह व्यक्ति को उसके भाग्य प्राप्ति में आ रही रुकावटों को हटाते हैं और नयी उरा प्रदान करते हैं |उच्च स्तर का साधक यदि इन्हें निर्मित कर दे तो वह भाग्य में भी हस्तक्षेप कर देता है |न साधकों -सिद्धों की शक्तियों की कोई सीमा रही है न इन कवच -ताबीजों की |
ताबीज आदि के निर्माण में एक वृहद् ऊर्जा वज्ञान काम करता है ,जिसे प्रकृति का विज्ञानं कहा जाता है |यह मूल ब्रह्मांडीय विज्ञान है जिसे हमारे ऋषि मुनि जानते थे और मानव की भलाई के लिए इसे उपयोगी बनाया |एक विशिष्ट क्रिया ,विशिष्ट पद्धति और विशिष्ट समय में विशिष्ट वस्तुओं के संयोग से विशिष्ट व्यक्ति द्वारा निर्मित ताबीज और यंत्र में एक विशिष्ट शक्ति का समावेश हो जाता है ,जो किसी भी सामान्य व्यक्ति को चमत्कारिक रूप से प्रभावित करती है जिससे उसके कर्म ,स्वभाव ,सोच ,व्यवहार ,ग्रहों के प्रति संवेदनशीलता ,प्रारब्ध ,शारीरिक रासायनिक क्रिया सब कुछ प्रभावित होने लगता है ,जिससे उसके आगामी भविष्य पर प्रभाव पड़ता है |
ताबीज में प्राणी के शरीर और प्रकृति की उर्जा संरचना ही कार्य करती है ,,इनका मुख्य आधार मानसिक शक्ति का केंद्रीकरण और भावना के साथ विशिष्ट वस्तुओं-पदार्थों-समय का तालमेल होता है| ,,,,प्रकृति में उपस्थित वनस्पतियों और जन्तुओ में एक उर्जा परिपथ कार्य करता है ,मृत्यु के बाद भी इनमे तरंगे कार्य करती है और निकलती रहती हैं ,,,,इनमे विभिन्न तरंगे स्वीकार की जाती है और निष्कासित की जाती है |जब किसी वस्तु या पदार्थ पर मानसिक शक्ति और भावना को केंद्रीकृत करके विशिष्ट क्रिया की जाती है तो उस पदार्थ से तरंगों का उत्सर्जन होने लगता है ,,,,जिस भावना से उनका प्रयोग जिसके लिए किया जाता है ,वह इच्छित स्थान पर वैसा कार्य करने लगता है ,|
उदहारण के लिए ,,,किसी व्यक्ति को व्यापार वृद्धि के लिए कुछ बनाना है ,तो इसके लिए इससे सम्बंधित वस्तुएं अथवा यन्त्र विशिष्ट समय में विशिष्ट तरीके से निकालकार अथवा निर्मित करके जब कोई उच्च स्तर का साधक अपने मानसिक शक्ति के द्वारा उच्च शक्तियों के आह्वान के साथ जब प्राण प्रतिष्ठा और अभिमन्त्रण करता है तो वस्तुगत उर्जा -यंत्रागत उर्जा के साथ साधक की मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का ऐसा अद्भुत संयोग बनता है की निर्मित ताबीज से तीब्र तरंगें निकालने लगती हैं ,इन्हें जब सम्बंधित धारक को धारण कराया जाता है तो यह ताबीज उसके व्यापारिक चक्र [लक्ष्मी या संमृद्धि के लिए उत्तरदाई ] को स्पंदित करने लगता है ,दैवीय प्रकृति की शक्ति आकर्षित हो धारक से जुड़ने लगती है और उसकी सहायता करने लगती है ,अनावश्यक विघ्न बाधाएं हटाने लगती है ,साथ ही मन और मष्तिष्क भी प्रभावित होने लगता है ,जिससे उसके निर्णय लेने की क्षमता ,शारीरिक कार्यप्रणाली ,दैनिक क्रिया कलाप बदल जाते है ,उसके प्रभा मंडल पर एक विशेष प्रभाव पड़ता है ,जिससे उसकी आकर्षण शक्ति बढ़ जाती है ,बात-चीत का ढंग बदल जाता है ,सोचने की दिशा परिवर्तित हो जाती है ,कर्म बदलते हैं ,,प्रकृति और वातावरण में एक सकारात्मक बदलाव आता है और व्यक्ति को लाभ होने लगता है,, |
यह एक उदाहरण है ,ऐसा ही हर प्रकार के व्यक्ति के लिए हो सकता है उसकी जरुरत और कार्य के अनुसार ,|यहाँ यह अवश्य ध्यान देने योग्य होता है की यह सब तभी संभव होता है जब वास्तव में साधक उच्च स्तर का हो ,उसके द्वारा निर्मित ताबीज खुद उसके हाथ द्वारा निर्मित हो ,सही समय और सही वस्तुओं से समस्त निर्माण हो ,|ऐसा न होने पर अपेक्षित लाभ नहीं हो पाता| ताबीज और यन्त्र तो बाजार में भी मिलते है और आजकल तो इनकी फैक्टरियां सी लगी हैं ,जो प्रचार के बल पर बेचीं जा रही हैं ,कितना लाभ किसको होता है यह तो धारक ही जानता है |
ताबीज बनाने वाले साधक की शक्ति बहुत मायने इसलिए रखती है की जब वह अपने ईष्ट में सचमुच डूबता है तो वह अपने ईष्ट के अनुसार भाव को प्राप्त होता है ,,भाव गहन है तो मानसिक शक्ति एकाग्र होती है ,जिससे वह शक्तिशाली होती है ,यह शक्तिशाली हुई तो उसके उर्जा परिपथ का आंतरिक तंत्र शक्तिशाली होता है और शक्तिशाली तरंगे उत्सर्जित करता है |ऐसा व्यक्ति यदि किसी विशेष समय,ऋतू-मॉस में विशेष तरीके से ,विशेष पदार्थो को लेकर अपनी मानसिक शक्ति और मन्त्र से उसे सिद्ध करता है तो वह ताबीज धारक व्यक्ति को अच्छे-बुरे भाव की तरंगों से लिप्त कर देता है |यह समस्त क्रिया शारीर के उर्जा चक्र को प्रभावित करती है और तदनुसार व्यक्ति को उनका प्रभाव दिखाई देता है| यह ताबीजें इतनी शक्तिशाली होती हैं की व्यक्ति का प्रारब्ध तक प्रभावित होने लगता है |अचानक आश्चर्यजनक परिवर्तन होने लगते हैं |
आपने अनेक कहानियाँ सुनी होंगी की अमुक चीज अमुक साधू ने दिया और ऐसा हो गया |अथवा यह सुना होगा की अमुक तांत्रिक ने अमुक छीजें कुछ बुदबुदाकर फेंकी व्यक्ति को लाभ हो हया |यह बहुत छोटे उदाहरण हैं |जिस तरह साधना से ईश्वरीय ऊर्जा आती है उसी तरह यह मानसिक एकाग्रता से वस्तु और यन्त्र में स्थापित भी होती है |तभी तो मूर्तियाँ और यन्त्र प्रभावी होते हैं |यही यन्त्र ताबीजों में भरे जाते हैं और प्रभाव देते हैं |यह किसी यन्त्र विशेष का प्रचार नहीं अपितु वैज्ञानिक विश्लेष्ण का प्रयास है और हमने इसे बहुत सत्य पाया है |यही कारण है की हम अपने सभी अनुष्ठानों में भोजपत्र पर यंत्र अवश्य बनाते हैं और साधना समाप्ति पर उन्हें धारण करते भी हैं और कराते भी हैं |यह धारण मात्र से साधना जैसा प्रभाव देते हैं |यह जानकारी हमारे पेज के पाठकों के लिए |
आजकल एक चलन फैशन सा हो गया है की ज्योतिषियों -साधकों -तांत्रिकों द्वारा लिखे जा रहे लेखों -पोस्टो पर भद्दे और मूर्खतापूर्ण टिपण्णी आते हैं |कभी कहा जाता है की इनमे इतनी शक्ति है तो अपना भाग्य क्यों नहीं बदल लेते ,कभी कहा जाता है की ज्योतिषी अपना भाग्य क्यों नहीं सुधार लेता |क्यों यह लोग फेसबुक ,इंटरनेट पर लिखते फिर रहे हैं |किसी ताबीज ,यन्त्र ,कवच ,डिब्बी ,गुटिका आदि के लेख को प्रचार से जोड़ा आता है ,भले उसमे वैज्ञानिक सूत्र हों |ऐसे लोगों को हम जबाब देना चाहेंगे कि एक सामान्य व्यक्ति ,सामान्य साधक ,सामान्य ज्योतिषी को उसके भाग्य से अधिक नहीं मिल सकता जबकि सामान्य जीवन में इतनी नकारात्मक उर्जाओं और शक्तियों का प्रभाव होता है की किसी को उसके भाग्यानुसार भी नहीं मिलता |लेख लिखने वाले को उसके भाग्यानुसार मिलता है किन्तु यह उसका कर्म है की वह लोगों को बताता है ,समझाता है |यदि वह यह न करे तो लोगों का भला ही न हो |यदि वह मात्र खुद के लिए सोचे तो करोड़ों इन विद्याओं के लाभ से वंचित रह जायेंगे |अक्सर ज्योतिषी के कथन गलत होते हैं और भाग्य अनुसार परिणाम नहीं आते|ज्योतिषी सही होता है किन्तु नकारात्मक उर्जाओं के प्रभाव से भाग्यावारोध होने से लोगों को उनके भाग्य के अनुरूप नहीं मिलता |यह कवच ,ताबीज ,यन्त्र ,डिब्बी ,गुटिका इसी नकारात्मक उर्जाओं ,शक्तियों को हटाते हैं और सकारात्मक उर्जाओं को बढ़ा देते हैं जिससे भाग्य का पूरा मिलने लगता है और बड़ा परिवर्तन महसूस होता है |………………………………………………………हर-हर महादेव
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