Alaukik Shaktiyan

ज्योतिष ,तंत्र ,कुण्डलिनी ,महाविद्या ,पारलौकिक शक्तियां ,उर्जा विज्ञान

दस महाविद्या क्या और कौन हैं ?

ब्रह्माण्ड [प्रकृति ]की शक्ति के दश रूप ,दश महाविद्या

===========================================

          शक्ति का निरूपण भिन्न भिन्न मतों -सम्प्रदायों के अनुसार भिन्न भिन्न रहा है |एक ही आद्य शक्ति के विभिन्न रूपों का विस्तार दस महाविद्याओं का स्वरुप है |दस महाविद्याओं का अंक गणित वेद शास्त्र के दस के अंक की प्रधानता की ओर ही संकेत करता है |कुल अंक 9 हैं और दसवां उनकी पूर्णता का सूचक है |जो पूर्ण से पूर्ण और पुनः पूर्ण होने का आध्यात्मिक सन्देश होता है |दशो महाविद्याओ का तत्वात्मक स्वरुप एक ही है ,किन्तु पूर्वाचार्यो ने परम तत्वा का साक्षात्कार किसी एक ही रूप में न करकें विभिन्न रूपों में किया है ,,उसी परम तत्व का साक्षात्कार शाक्त मत में शक्ति के दश प्रकार के शक्ति रूपों में करते है |परम तत्व के वे दश प्रकार ही दश महाविद्या के नाम से प्रसिद्द है |

          महाविद्याओ की उत्पत्ति के सम्बन्ध में विभिन्न कथाये विभिन्न रूपों में व्यक्त हुई है ,एक कथा के अनुसार दक्ष प्रजापति के द्व्व्रा अपने यज्ञ में शिव को आमंत्रित नहीं करना और पितृ गृह में होने वाले उत्सव में दक्ष पुत्री भगवती सत्ती का जाने के लिए आग्रह तथा उसी के सन्दर्भ में सत्ती को वह जाने से रोकने के कारण क्रुद्ध होकर उग्र रूप रूप धारण करने से भयभीत शिव के पलायन को दशो दिशाओं में सत्ती के दश रूपों में रोकने वाली शक्तिया दस महाविद्याए कही गयी |इनकी कथाये कालिका पुराण ,दुर्गा सप्तशती ,नारद पांचरात्र ,मार्कंडेय पुराण ,ब्रह्म पुराण में पृथक -पृथक रूप में व्यक्त हुई है |दश महाविद्याओ का सम्बन्ध शिव और शिवा से है |ये दश महाविद्याए [१]काली …..[२] तारा ….[३] षोडशी [श्री विद्या या त्रिपुर सुंदरी ],,,[४] भुवनेश्वरी …[५] त्रिपुर भैरवी …[६]छिन्नमस्ता …[७] धूमावती …[८] बगलामुखी ….[९] मातंगी ….[१०] कमला         

        एक ही शक्ति के कार्य भेद रूप दस महाविद्या की उपासना काली कुल और श्री कुल के अंतर्गत होती है |काली कुल के अंतर्गत काली ,तारा ,छिन्नमस्ता और भुवनेश्वरी आती है ,और श्री कुल के अंतर्गत षोडशी [श्री विद्या ],त्रिपुरभैरवी ,बगलामुखी ,धूमावती ,मातंगी और कमला आती है |वस्तुतः दश महाविद्याए प्रकृति की शक्ति के दस भिन्न स्वरुप है ,जिनके रूप में शक्ति विभिन्न कार्यों का संपादन करती है |सभी महाविद्याओ के साथ शिव स्वरुप भी भिन्न-भिन्न रूपों में जुड हुआ है ,इस प्रकार सभी के भिन्न भिन्न शिव रूप है |………………………………हर-हर महादेव


Discover more from Alaukik Shaktiyan

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Latest Posts