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कर्ण पिशाचिनी साधना [Karn Pishachini Sadhna ] – ३

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कर्ण
पिशाचिनी साधना [
Karn Pishachini Sadhna ]

===============
[तृतीय मंत्र – वाम मार्ग ]
हमने अपने
ब्लॉग के पूर्व के लेखों में कर्ण पिशाचिनी है क्या यह बता रखा है और इसकी दो
प्रकार की साधनाएं सात्विक तथा अघोर क्रियागत ,दो भिन्न लेखों में प्रकाशित की हैं
|अघोर क्रियागत साधना भी वाम मार्गीय साधना ही है किन्तु वाम मार्ग में ही ऐसी
प्रक्रिया भी है जिसमे मल मूत्र भक्षण आवश्यक नहीं ,यद्यपि अशुद्ध यहाँ भी रहना
होता है और लगभग प्रक्रिया वैसी ही अपनाई जाती है |बिन मल मूत्र भक्षण के निम्न
साधना की जा सकती है |पूर्व में दी गयी अघोर क्रियागत साधना सी ही यह भी साधना है
,जहाँ अंतर है वहां अलग पद्धति लिखी जा रही है |दोनों पद्धतियों का सूक्ष्म अवलोकन
कर साधना की जा सकती है |साधना बिन गुरु अनुमति ,बिना सुरक्षा कवच ,बिना पूर्ण
प्रक्रिया योग्य ज्ञानी से समझे भूलकर भी नहीं करनी चाहिए |
मन्त्र –
——- ॐ
ह्रीं कर्ण पिशाचिनी अमोघ सत्य वादिनी मम करणे अवतर अवतर सत्यं कथय कथय
अतीतानागतवर्त्तमान दर्शय दर्शय ऐं ह्रीं कर्ण पिशाचनी स्वाहा |
सामग्री –
———- २४
हड्डियों की दो मालाएं ,लाल कपडा ,लाल या काला उनी आसन बाजोट ,९ बड़े बड़े दीपक
सरसों तेल से भरे हुए ,मूर्ती ,कर्ण पिशाचिनी यन्त्र ,पूजन सामग्री
स्थान –
निर्जन ,एकांत स्थान ,वट वृक्ष के नीचे अथवा श्मशान
——–
विधि –
——- इस
साधना में कृष्ण नवमी की रात्री से अमावश्या की रात्री तक जप किया जाता है |२४
हड्डियों की एक माला पर जप होता है और दूसरी माला साधक के गले में होती है |९ दीपक
चारो तरफ जलाए जाते हैं और दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके जप किया जाता है |जप अर्ध
रात्री से रात रहने तक किया जाता है |जप पूर्व मूर्ती ,यन्त्र की पूजा की जाती है
और मांस मदिरा अर्पित की जाती है |जप पूर्ण निर्वस्त्र अवस्था में होता है |मल
मूत्र विसर्जन वहीँ आसपास करना होता है और शयन भी वहीँ किया जाता है |दातुन मंजन
नहीं किया जाता और जूठे बर्तन में ही भोजन किया जाता है |गायत्री अथवा शक्ति की
उपासना आदि भूलकर भी नहीं होनी चाहिए ,न ही मंदिर आदि में प्रवेश करना चाहिए |शेष
पद्धति अघोर क्रियागत साधना जैसी |
विशेष चेतावनी

==========
उपरोक्त साधना पद्धति मात्र जानकारी के उद्देश्य से दिया जा रहा है |जैसा की
शास्त्रों में ,किताबों में कर्ण पिशाचिनी की साधना दी हुई है ,हम भी ब्लॉग और पेज
पर मात्र जानकारी देने के उद्देश्य से इसे प्रकाशित कर रहे हैं |मात्र इस लेख के
आधार पर साधना न करें |साधना पूर्व अपने गुरु से अनुमति लें और किसी सिद्ध काली
साधक से सुरक्षा कवच बनवाकर जरुर धारण करें ,जो ऐसा हो की सुरक्षा भी करे औए
पिशाचिनी के आगमन को रोके भी नहीं |योग्य ग्यानी से समस्त प्रक्रिया और मंत्रादी
समझ लें ,जांच लें |किसी भी हानि अथवा परेशानी के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे
|धन्यवाद |………………………………………………………….हर
हर महादेव 



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