अप्सरा साधना से क्या लाभ होते हैं ?
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अक्सर हम अप्सरा /यक्षिणी ,बेताल ,भैरव ,पिशाच ,किन्नर ,गन्धर्व जैसी पारलौकिक शक्तियों का नाम कथाओं कहानियों में सुनते हैं |तंत्र में इनकी साधना करके सिद्ध भी किया जाता है और इनकी सहायता से अलौकिक कार्य किये जाते हैं ,भौतिक जीवन सुखी किया जाता है |वैसे तो इनकी साधना उपासना साधक ही किया करते थे किन्तु आजकल सामान्य लोग भी इनमे बहुत रूचि लेने लगे हैं |किताबों आदि में इनकी अनेक साधनाएँ मिल जाती हैं और ऐसा प्रस्तुत किया जाता है जैसे इन्हें करना बहुत आसान हो ,कोई भी कर ले ,किन्तु ऐसा बिलकुल भी नहीं है |सामान्य व्यक्ति एक सामान्य महिला या पुरुष को तो वशीभूत या नियंत्रित कर ही नहीं पाता तो यह तो बहुत बड़ी पारलौकिक शक्तियां हैं |इन्हें यदि देवी -देवता के भाव में श्रद्धा से उपासित किया जाए या साधना किया जाय तो यह भौतिक जीवन को सुखद बनाने में सहायक हो सकते हैं |इनमे अप्सरा या परी को सौदर्य और कला की क्षमतायुक्त माना जाता है जिनसे स्वास्थ्य ,आकर्षण शक्ति ,कलात्मकता ,सौंदर्य प्राप्त किया जा सकता है |
अप्सरा एक योनी है जिसके भीतर आकर्षण ,सम्मोहन ,यौवन चिरस्थायी रहता है |इनकी संख्या ५२ से ६४ तक कही जाती है |देवियों की ही भाँती अप्सराओं के भी विभिन्न ,मन्त्र ,मंडल ,आवरण ,आह्वान विधि आदि समस्त विधान होते हैं तथा यह प्रसन्न होने पर साधक की अभीष्ट म्निकमना पूर्ण करती हैं |इनकी साधना के लिए शरीर का स्वस्थ व् पुष्ट होना आवश्यक है |गृहस्थ साधक भी अप्सरा साधना कर सकते हैं ,उनके मन्त्रों का जप कर सकते हैं |इससे पति -पत्नी सम्बन्ध विच्छेद नहीं होते अपितु दांपत्य प्रेम बढ़ता है |दांपत्य जीवन की नीरसता को दूर करने में अप्सरा साधना से अभूतपूर्व लाभ मिलता है |यदि महिला साधिका अप्सरा साधना करे तो उसके शरीर में कुछ विशिष्ट गुण उत्पन्न होने लगते हैं |अप्सरा साधना से स्त्रियों में विशेष आकर्षण शक्ति उत्पन्न होने लगती है |वाणी में सम्मोहन आ जाता है ,उनका प्रत्येक क्रियाकलाप विशेष रूप से आकर्षक हो जाता है |यक्शिनियों की ही भाँती अप्सराएँ भी तीन प्रकृति में विभाजित की जा सकती हैं ,सत्व ,रजस और तमस |अप्सरा सिद्ध होने के बाद सदैव साधक के ही साथ रहेगी यह कथन पूर्ण सत्य नहीं है |जब किसी अप्सरा का जिस रूप में जिस भोग हेतु आह्वान किया जाता है ,वह अप्सरा वरदान स्वरुप वैसा ही भोग साधक को प्रदान करती है |
धर्म ,अर्थ ,काम और मोक्ष इन चार तत्वों में से काम तत्व के अंतर्गत अप्सरा साधना आती है |उच्च कोटि का भोग और और आनंद जो सामान्य मनुष्यों को उपलब्ध नहीं है उसका अनुभव करने के लिए अप्सरा साधना की जाती है |यह नृत्य की अधिष्ठात्री होती हैं अतः नृत्य पारंगत भी बनाती हैं |यदि साधक अप्सरा साधना की सम्पूर्णता प्राप्त कर लेता है तो आजीवन उस साधक को कोई भी स्त्री अनावश्यक रूप से मोहित नहीं कर सकती ,वरन ऐसी परिस्थिति में साध्य अप्सरा स्वयं उसे सावधान करती है क्योंकि सिद्ध हो जाने के पश्चात् अप्सरा साधक को अपने सुरक्षा चक्र में रखती है |यदि साधक की मनोदशा शुद्ध हो तो वह अप्सराओं से अनेको कलाएं प्राप्त कर सकता है |अनेको लुप्त विद्याओं का ज्ञान प्राप्त कर सकता है |जीवन में शीर्षस्थ स्थान पर पहुँचने के लिए जितनी भी विद्याओं की आवश्यकता होती है वह सभी प्रदान करने में अप्सरा सक्षम है |अप्सरा साधना मनुष्य को सौम्य बनाती है ,शत्रु भी ऐसे व्यक्ति के सम्मोहन में वशीभूत हो जाते हैं ऐसा अद्भुत चमत्कार इस साधना से सम्भव है |अप्सरा साधना सम्पन्न करने से अत्यंत कम समय में ही उत्तम अभिनय की कला ,रूप ,सौंदर्य ,यौवन ,आकर्षक व्यक्तित्व ,मनोनुकूल जीवन साथी ,कार्यक्षेत्र में मन के अनुकूल अधिकारी या सहकर्मी व् जीवन में प्रेम सौहार्द्र आदि के अपेक्षित परिणाम प्राप्त होकर साधक के भौतिक जीवन को सर्वानन्द से पूर्णता प्राप्त होती है |
अप्सरा साधना के प्रभाव से व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक व् चुम्बकीय हो जाता है तथा उनके संपर्क में आने वाले सभी लोग उनकी ओर आकर्षित होने लगते हैं |अप्सरा साधना के प्रभाव से मनोनुकूल सुंदर जीवन साथी प्राप्त होने की स्थिति उत्पन्न होती है |वैवाहिक ,पारिवारिक ,सामाजिक क्लेश समाप्त होता है और जीवन में प्रेम व् सौहार्द्र की स्थितियां बनती हैं |अभिनय क्षेत्र के लोगों में उत्तम अभिनय क्षमता उत्पन्न होती है ,सफलता बढ़ जाती है ,कलात्मकता का विकास होता है |इस साधना से व्यक्तित्व निखरता है ,यौवन प्राप्त होता है और आकर्षक रूप सौंदर्य विकसित होता है |अप्सराओं की साधना अनेक रूपों में की जाती है जैसे माँ ,बहन ,पुत्री ,पत्नी ,प्रेमिका और साधक जिस रूप में इनको साधता है ये उसी प्रकार का व्यवहार व् परिणाम भी साधक को प्रदान करती हैं |युवा साधक के लिए अप्सरा साधना आसान होती है जबकि प्रौढ़ को अधिक समय लगता है | अप्सरा साधना में प्रत्यक्षीकरण थोडा कठिन होता है |इस साधना में लगभग दो घंटे का समय कम से कम रोज देना होता है और स्थिर आसन ,पूर्ण एकाग्रता ,वीरभाव ,ब्रह्मचर्य ,निर्भयता की परम अनिवार्यता होती है |बिना गुरु यह साधना नहीं की जा सकती और सुरक्षा व्यवस्था भी आवश्यक होती है |अक्सर इस साधना में विपरीत परिणाम भी देखने में आते हैं क्योंकि कोई भी पारलौकिक शक्ति कभी भी मनुष्य के नियंत्रण में नहीं आना चाहती |इस लेख में हमने अप्सरा साधना के लाभ बताये हैं ,अगले लेख में हम आपको अप्सरा साधना के कुछ विशेष नियम बताएँगे क्योंकि सामान्य नियम तो हम आपको पहले ही बता आये हैं |आप इन जानकारियों से लाभ उठा सकते हैं |………………………….हर हर महादेव
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