वशीकरण और इसकी क्रिया विधि
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तंत्र में सबसे अधिक जिस विद्या का प्रयोग होता है वह है वशीकरण |सामान्य व्यक्ति तंत्र को भले न जानता हो पर वशीकरण का नाम जरुर सुना होता है |लोग वशीकरण करने अथवा कराने को पागल हुए पड़े रहते हैं अतः सबसे अधिक लूट इसी विद्या के नाम पर होती है |वशीकरण करने के अनेकों दावे इंटरनेट ,अखबारों ,यू ट्यूब पर पड़े हुए हैं ,यहाँ तक घंटे भर में वशीकरण के दावे किये जा रहे |लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा ,लोगों की भावनाओं से खेला जा रहा ,फिर भी लोग लालच में इनसे लुट रहे |लव वशीकरण स्पेशलिस्टों की पूरी फ़ौज खड़ी हो गयी है इंटरनेट और समाज में |भले अपने घर को न सुधार सकें लेकिन दुसरे के घर को सुधारने के दावे किये जाते हैं |अधिकतर आज के युवा किसी के प्रति आसक्त हो वशीकरण कराने की कोशिस करते हैं ,कुछ टूटे दिल वाले धोखा खाने के बाद वशीकरण की कोशिस करते हैं तो कुछ पति या पत्नी अपने घर को बचाने के लिए भी कोशिस करते हैं |कुछ ऐसे भी मिलते हैं जो अपने पति या पत्नी से धोखा कर किसी दुसरे को वशीकरण से फंसाने की कोशिस करते हैं तो कुछ ऐसे भी होते हैं जो किसी दुसरे के पति या पत्नी को फंसाने के लिए वशीकरण का प्रयोग कराते देखे जाते हैं |
वशीकरण नामक विद्या भी है और वशीकरण होता भी है किन्तु इसकी सफलता कई कारकों पर निर्भर करती है जिसके लिए हमने अलग पोस्ट वेबसाईट पर लिखी है और alaukik shaktiya चैनल पर विडिओ बनाया है की कब वशीकरण सफल या असफल हो जाता है |सारा खेल ऊर्जा का है ,सामने वाले की ऊर्जा कम है तो प्रभावित होगा नहीं तो नहीं होगा |अधिकतर मामलों में वशीकरण असफल होता है जिसके कई कारण होते हैं किन्तु फिर भी लोग समझते नहीं और लोग उन्हें लूटने को उद्यत तो बैठे ही हैं |वशीकरण आदि किसी भी विद्या की एक निश्चित तकनीक होती है और यह सब एक निश्चित प्रक्रिया अनुसार ही काम करते हैं |अधिकतर वशीकरण खुद करने पर सफलता की सम्भावना अधिक होती है किन्तु लोग खुद न कर दूसरों से कराना चाहते हैं |इतना आसान होता वशीकरण तो आज कोई भी किसी को भी थोड़े पैसे किसी तांत्रिक को देकर वश में करवा लेता ,पर अधिकतर मामलों में असफलता ही देखने में आती है |हम इस लेख में वशीकरण क्या है और इसकी तकनीक या कार्य प्रणाली क्या होती है बताने की कोशिस कर रहे ताकि लोग इसे समझ सकें और अपनी जानकारी बढ़ा सकें |
वशीकरण अर्थात वश में करना ,षट्कर्म के अंतर्गत एक विद्या है ,किसी को अपने या किसी अन्य के प्रति वशीभूत कर देना वशीकरण है ,चाहे वह देवता हो ,मनुष्य हो ,पशु-पक्षी हो या अगोचर जगत |,,वशीकरण व्यक्तिगत भी होता है ,और समूहगत भी ,|,जब किसी एक के प्रति वशीकरण किया जाता है तब यह व्यक्तिगत वशीकरण है और जब समूह या सभा के प्रति किया जाए तब समूहगत वशीकरण है |आकर्षण से व्यक्ति आकर्षित होता है [यह घर से गए हुए के लिए ,या दूरस्थ व्यक्ति के लिए सामान्यतया किया जाता है ,|मोहन से व्यक्ति मोहित होता है किसी के प्रति ,और वशीकरण में उसके अवचेतन पर प्रयोगकर्ता का ऐसा प्रभाव हो जाता है की वह वशीभूत हो जाता है |कह सकते है आकर्षण और मोहन को मिलाकर वशीकरण होता है ,|वशीकरण की शुरुआत आकर्षण से होती है ,|देवताओं को भी वशीभूत करके उनसे सिद्धि प्राप्त की जाती है ,|वशीकरण शारीरिक ,मानसिक तरंगों पर आधारित एक तंत्रिकीय वैज्ञानिक प्रक्रिया है ,जिसमे लक्षित व्यक्ति में मानसिक ,शारीरिक ,रासायनिक और तरंगीय परिवर्तन होने से उसकी रुचियो और स्वाभाव में परिवर्तन हो जाता है |हार्मोनो और फेरोमोंस के प्रति आकर्षण और पसंद में परिवर्तन हो जाता है |अवचेतन मन प्रभावित हो जाता है ,फलतः वह प्रयोगकर्ता के वशीभूत हो जाता है |
किसी को अपने प्रति या किसी अन्य के प्रति वशीभूत, अर्थात वश में , अर्थात अधीन कर लेना या कर देना वशीकरण होता है ,चाहे वह देवता हो ,मनुष्य हो या पशु-पक्षी |वशीकरण शारीरिक ,मानसिक तरंगों पर आधारित एक प्रक्रिया है जो अपने एक निश्चित विज्ञान के आधार पर कार्य करता है ,,इसमें लक्ष्य किये गए व्यक्ति में मानसिक-शारीरिक-रासायनिक और तरंगीय परिवर्तन होने से उसकी रुचियो ,स्वभाव ,पसंद-नापसंद में परिवर्तन हो जाता है और वह प्रयोगकर्ता के अनुकूल हो उसके वशीभूत हो जाता है ,हार्मोन्स-फेरोमिंस के प्रति आकर्षण परिवर्तित हो जाता है ,अवचेतन मन प्रभावित हो जाता है ,उसे प्रयोगकर्ता के साथ रहना ,उसकी गंध,उसके कार्य,,उसका स्वभाव ,इतना अच्छा लगने लगता है की वह उससे दूर नहीं रहना चाहता और इस प्रकार वह प्रयोगकर्ता की सभी बाते मानने लगता है |
वशीकरण की कार्यप्रणाली तरंगों पर आधारित है ,इसमें तांत्रिक वस्तुओ की ऊर्जा और तरंगों को मानसिक शक्ति और निश्चित भाव के साथ एक निश्चित लक्ष्य पर प्रक्षेपित किया जाता है |जब व्यक्ति विशेष के लिए प्रबल मानसिक बल से तरंगों और उर्जा का प्रक्षेपण किया जाता है तो यह लक्षित व्यक्ति के ऊर्जा परिपथ ,मष्तिष्क और अवचेतन मन को प्रभावित करता है और वहा परिवर्तन होने लगता है ,इसमें तंत्रिकीय वस्तुए ऊर्जा बढाने वाली ,परिवर्तन करने वाली ,वशीकरण की तीब्रता बढाने वाली और समय में शीघ्रता लाने वाली होती है |जबकि लक्ष्य के कपडे ,बाल ,चित्र या उपयोग की हुई वस्तुए उसके शरीर में तरंगों को पकड़ने और ग्रहण करने का माध्यम बन जाते है |यहाँ मूल शक्ति प्रयोगकर्ता की मानसिक शक्ति होती है |मंत्र और हवनीय द्रव्य ऊर्जा उत्पन्न करने वाले ,लक्ष्य पकड़ने वाले और कार्य से किसी ऊर्जा शक्ति को जोड़ने वाले होते है |
वशीकरण केवल मंत्र से ,,मंत्र के साथ व्यक्ति की उपयोग की हुई वस्तुओ के प्रयोग के साथ ,अथवा अभिमंत्रित वास्तु के खिलाने-पिलाने से भी हो सकता है ,|सामान्यतया व्यक्ति जो भी खाता है वह पचाकर निकल जाता है ,किन्तु जब किसी वस्तु विशेष को अभिमंत्रित करके खिलाया जाता है तो वह पचता नहीं [यह विज्ञान के नियमों के प्रतिकूल हो सकता है पर होता है ऐसा ]और पेट के किसी कोने में पड़ा रहता है ,साथ ही उसका प्रभाव भी बना रहता है ,जब तक की विशिष्ट तांत्रिक क्रिया से उस वस्तु को निकला न जाए |इस प्रकार व्यक्ति किसी अन्य के प्रति वशीभूत रहता है ,,कभी-कभी वह अपने स्वभाव ,कुल-खानदान,परिवार से अलग भी किसी के वशीभूत हो सकता है ,सबकी अवहेलना कर सकता है ,क्योकि उसकी स्थिति ..दिल लगी दीवार से तो परी क्या चीज है वाली हुई हो सकती है ,वह क्रिया के प्रभाव में हो सकता है |
वशीकरण ऐसा तांत्रिक षट्कर्म है जिसका सदुपयोग और दुरुपयोग दोनों होता है ,अपने किसी बिगड़े को सुधारने के लिए इसका उपयोग उचित कहा जा सकता है ,पर किसी को स्वार्थवश वशीभूत करना दुरुपयोग है ,जानकारों को इसपर विशेष ध्यान और सावधानी रखनी चाहिए ……………………………………………………………………हर-हर महादेव
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