::::::::::::वशीकरण ::सूत्र-सिद्धांत-कार्यप्रणाली:::::::::::::
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वशीकरण की कार्यप्रणाली तरंगों पर आधारित है ,|,,वस्तुगत ,भावगत तरंगों के साथ मानसिक तरंगों का एक निश्चित लक्ष्य पर प्रक्षेपण कर उसे अपने प्रति वशीभूत कर लेना ही वशीकरण है ,|वशीकरण तो देवताओं का भी होता है पर ,देवोपासना में इसकी प्रक्रिया थोड़ी भिन्न होती है ,वहा सम्बंधित बिखरी उर्जा का आकर्षण ,एकत्रीकरण कर वाशिभुतन होता है ,|वशीकरण देव सहायता से ही अधिकतर होता है |इसमें देवता की ऊर्जा को एक लक्ष्य के प्रति उद्देश्य विशेष के साथ रास्ता दिखाया जाता है |,व्यक्ति विशेष के लिए वशीकरण एक लक्ष्य पर अपने मनोभावो के अनुसार प्रबल मानसिक शक्ति से तरंगों का प्रक्षेपण कर लक्षित व्यक्ति के अवचेतन मन और मष्तिष्क को प्रभावित करना होता है |,जब व्यक्ति विशेष के लिए प्रबल मानसिक बल से तरंगों और उर्जा का प्रक्षेपण किया जाता है तो यह लक्षित व्यक्ति के ऊर्जा परिपथ ,मष्तिष्क और अवचेतन मन को प्रभावित करता है और वहा परिवर्तन होने लगता है ,|इसमें तन्त्रिकीय वस्तुए उर्जा बढाने वाली ,वशीकरण की तीब्रता बढाने वाली और समय में शीघ्रता लाने वाली सिद्ध होती है ,जबकि लक्ष्य के कपडे ,बाल ,चित्र आदि लक्ष्य तक शीघ्र और सुगम तरीके से पहुचने में सहायक होते है ,|,लक्ष्य द्वारा प्रयोग की हुई वस्तुए ,बाल आदि उसके शरीर में अन्य तरंगों के प्रवेश का माध्यम बन जाते है ,|इन वस्तुओ के साथ तंत्रिकीय वस्तुओ ,साधक की मानसिक तरंगे ,भावनात्मक तरंगे संयुक्त हो व्यक्ति को लक्ष्य कर जाती है ,,किन्तु मूल शक्ति प्रयोगकर्ता की मानसिक शक्ति ही होती है|
यदि किसी के वस्त्र या बाल के साथ प्रबल मानसिक शक्ति से तांत्रिक वस्तुओ का सम्मिश्रण कर विशिष्ट तांत्रिक क्रियाए की जाती है तो उत्पन्न उर्जा तरंगों में परिवर्तित हो मानसिक शक्ति और भावो के प्रभाव से लक्षित व्यक्ति को प्रभावित करती है |,तरंगों का ग्रहणकर्ता लक्षित होता है क्योकि इन तरंगों के साथ लक्षित के बाल या वस्त्र [गन्धादि]की तरंगे संयुक्त होती है ,|इनके साथ प्रयोगकर्ता की मानसिक शक्ति ,प्रयोग की गयी वस्तु और प्रक्रिया की ऊर्जा ,भावनात्मक आदेश संयुक्त होता है ,फलतः इन तरंगों के ग्रहण होने पर लक्षित व्यक्ति के स्वभाव ,विचार ,पसंद-नापसंद में परिवर्तन होने लगते है |उसमे शारीरिक रासायनिक परिवर्तन होने से विशिष्ट गंधों ,हार्मोनो ,फेरोमोंस के प्रति संवेदनशीलता परिवर्तित हो जाती है और वह प्रयोगकर्ता के गंध ,गुण ,स्वभाव की ओर आकृष्ट होने लगता है |,उसे प्रयोगकर्ता के साथ आनंद और सुख महसूस होता है अतः वह उसके अनुकूल आचरण करने लगता है |,प्रयोगकर्ता का साथ ,उसके विचार उसे अच्छे लगने लगते है ,उसका साथ रहना उसे सुखकारक ,आनंददायक लगता है ,उसके विचार बार बार आते है ,इस सुख को पाने के लिए वह उसकी बात मानने लगता है और वशीभूत रहता है ,|
वशीकरण कई प्रकार से हो सकता है |वशीकरण केवल मंत्र से हो सकता है ,,मंत्र के साथ व्यक्ति की उपयोग की हुई वस्तुओ के प्रयोग के साथ हो सकता है ,अथवा अभिमंत्रित वस्तु के खिलाने-पिलाने से भी हो सकता है ,|वशीकरण जंतु और वनस्पति के प्रयोग से हो सकता है अथवा किसी पौधे को माध्यम बनाने पर भी हो सकता है | सामान्यतया व्यक्ति जो भी खाता है वह पचाकर निकल जाता है ,किन्तु जब किसी वस्तु विशेष को अभिमंत्रित करके खिलाया जाता है तो वह पचता नहीं [यह विज्ञान के नियमों के प्रतिकूल हो सकता है पर होता है ऐसा ]और पेट के किसी कोने में पड़ा रहता है ,साथ ही उसका प्रभाव भी बना रहता है ,जब तक की विशिष्ट तांत्रिक क्रिया से उस वस्तु को निकला न जाए |इस प्रकार व्यक्ति किसी अन्य के प्रति वशीभूत रहता है ,|,कभी-कभी वह अपने स्वभाव ,कुल- खानदान,- परिवार से अलग भी किसी के वशीभूत हो सकता है ,सबकी अवहेलना कर सकता है ,क्योकि उसकी स्थिति ..दिल लगी दीवार से तो परी क्या चीज है वाली हुई हो सकती है ,,वह क्रिया के प्रभाव में हो सकता है |इस प्रभाव के आगे उसे कुछ दीखता ही नहीं और आकर्षण इतना प्रबल होता है की वह समाज -परिवार की अवहेलना कर सकता है |कहा जाता है की कामाख्या की महिलायें पहले के ज़माने में लोगों को भेड़- बकरी बना लेती थी |सच में भेड़ -बकरी इसे ही कहते हैं की व्यक्ति की खुद की कोई पसंद -नापसंद न रह जाय ,केवल प्रयोगकर्ता की इच्छा पर नाचने लगे |उसे प्रयोगकर्ता की हर बात अलौकिक और आनंद देने वाली लगे |
वशीकरण की शक्ति के भेदानुसार यदि उग्र शक्ति के मंत्र आदि उपयोग किये जाते है तो लक्षित व्यक्ति पर भय कारक प्रभाव पड़ता है ,फलतः उसे साथ तो अच्छा लगता है प्रयोगकर्ता का पर वह प्रयोगकर्ता से डरता है और किसी भी बात के लिए इनकार नहीं कर पाता ,,पूर्ण समर्पण कर देता है ,|,कही विशिष्ट परिस्थितियों में वशीकरण का प्रयोग उपयोगी भले हो किन्तु है तो यह आभिचारिक कर्म ही ,जिसके परिणाम उद्देश्य गलत होने पर भुगतने ही होते है जबकि इसका गलत उपयोग बहुत अधिक होता है |यह गलत उपयोग नए युवा वर्ग अथवा धनाड्य वर्ग द्वारा अधिक होता है |कुछ तंत्र जानकार भी इनका उपयोग गलत उद्देश्य से करते हैं |इन कारणों से ही हमने कठोर नियम बना रखे हैं इसके लिए की इसकी तकनीक किसी प्रेम सम्बन्ध में पड़े युवा को नहीं देंगे ,क्योंकि यहाँ सामाजिक और पारिवारिक मर्यादाओं का हनन होता है और उन परिवारों के कुलदेवता और पितरों के हम दोषी हो जाते हैं ,अतः परें सम्बन्ध वालों से हम दूर रहते हुए मात्र दाम्पत्य जीवन की कठिनाई हेतु इनके प्रयोग खुद सम्बन्धित दम्पति में से जिसे जरूरत हो उससे कराते हैं |युवा और प्रेम सम्बन्ध में पड़े लोग ही इंटरनेट पर इतने लव वशीकरण स्पेशलिस्टों की बाढ़ के कारण हैं जबकि अधिकतर असफल ही होते हैं और अपना पैसा डुबाते हैं |…………………………………………हर-हर महादेव
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