ग्रामीण अंचलों में विशेषकर उत्तर प्रदेश ,बिहार ,बंगाल ,छत्तीसगढ़ ,मध्यप्रदेश आदि उत्तरी -पूर्वी भारत के गावों में अथवा परम्परागत तांत्रिक किसी का स्वभाव बदलने के लिए एक जड़ी -बूटी का प्रयोग करते हैं जिसे चितबदला कहते हैं |भारत के दुसरे हिस्सों में भी इसे अलग नामों से हो सकता है प्रयोग किया जाता हो | अधिकतर लोग इसका दुरुपयोग करते हैं तथा अपनी प्रेमी प्रेमिका को खिला पिलाकर वशीभूत करने का प्रयत्न करते हुए इसका दुरुपयोग करते हैं जबकि वह तांत्रिकों से बोलते हैं की वह बहुत दुखी हैं और अपने पति या पत्नी को ही देंगे फिर भी ज्यादातर दुरुपयोग ही सामने आता है |लोग पूछते हैं तो हम बताना चाहेंगे की यह गावों आदि के तांत्रिक ,ओझा ,गुनिया ,भगत के द्वारा मिलेगा जिसे वह अभिमंत्रित करके देते हैं और यह समझकर की किस व्यक्ति को कैसा चितबदला देना है ,क्योंकि चितबदला में भी कई प्रकार होते हैं और इसमें नर मादा भी होता है जो अलग अलग व्यक्तियों को जरूरत के अनुसार दिया जाता है |
हम आपको बताना चाहेंगे की , चितबदला कुछ पौधों और उसके फल का नाम तंत्र जगत में जाना जाता है |इसका वानस्पतिक नाम और भारतीय नाम तो हमें भी नहीं पता पर इसके प्रयोग के किस्से हम बचपन से ही अपने गाँव के जीवन से सुनते आ रहे हैं |यह पारंपरिक गाँव आदि के तांत्रिकों द्वारा विशेष रूप से प्रयोग की जाने वाली तांत्रिक वनस्पति है जिसके पूरे पौधे का ही प्रयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए होता है विशेषकर वशीकरण और चित्त बदलने के लिए |वास्तव में चितबदला नाम से ५ प्रकार की वनस्पतियाँ देखने में आती हैं |इसके प्रयोग की एक विशेष तकनीक है और यह खिलाने -पिलाने की वस्तु के रूप में प्रयोग की जाती है |
इसको विशेष तांत्रिक पद्धति से खिलाने के बाद व्यक्ति की सोच ,स्वभाव खिलाने वाले के प्रति बदल जाती है |चितबदला के नाम से कई वनस्पतियाँ बाजार और तांत्रिक जड़ी बूटी वालों के यहाँ मिलती हैं |इसको पहचानना और उसका पूर्ण उपयोग जानना ही महत्वपूर्ण है |लकड़ी रूप में ,फल रूप में ,छोटी जड़ी रूप में भी यह मिलता है |फल में भी नर -मादा दोनों होते हैं |दोनों का प्रयोग अलग -अलग होता है और दोनों स्त्री या पुरुष को अलग अलग दी जाती हैं |जड़ का प्रयोग अलग और फल का प्रयोग अलग होता है |
चितबदला का प्रयोग सास -ससुर ,पति अथवा पत्नी ,मित्र ,विरोधी ,बच्चे किसी के लिए भी उसे वश में करने या उसका चित्त बदलने ,स्वभाव बदलने के लिए किया जा सकता है |इसके प्रयोग के बाद व्यक्ति को पता भी नहीं चलता और वह अपने स्वयं के चेतन में सबकुछ जानते समझते हुए भी खिलाने -पिलाने वाले के प्रति वशीभूत होने लगता है |उसके स्वभाव में परिवर्तन आने लगता है और उसका चित्त अर्थात मन बदलने लगता है |इसके प्रयोग में एक विशेष मंत्र का प्रयोग अभिमन्त्रण में किया जाता है जिसे हम यहाँ पर समाज हित में नहीं दे रहे ताकि कोई इसका दुरुपयोग न कर सके |इसी प्रकार इसको सप्ताह के विशेष दिन खिलाने पिलाने पर अधिक प्रभाव प्राप्त होता है |तांत्रिक प्रयोग के लिए इसका संग्रह भी विशेष दिन और विशेष तांत्रिक पद्धति से किया जाता है |जो लोग वास्तव में अपने परिजन अथवा पति -पत्नी से परेशान हैं वह उत्तर प्रदेश ,बिहार के गावों के तांत्रिक ,ओझा ,गुनिया या भगत से प्राप्त कर अपना उद्देश्य पूरा कर सकते हैं |अन्य प्रदेशों में भी इसका प्रयोग होता होगा किन्तु वहां इसका नाम सम्भवतः बदल गया होगा जिसकी हमें जानकारी नहीं |…………………………………………हर-हर महादेव
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