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ताल -बेताल साधना [Tal-Betal]

ताल -बेताल साधना

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          यह प्रयोग एक वेताल साधना और सिद्धि है किन्तु यह साधना स्वतंत्र रूप से नहीं हो सकती |न ही इस साधना को सामान्य व्यक्ति कर सकता है |इसके लिए शव की आवश्यकता होती है और पहले साधक को कामकला काली की साधना करनी होती है अर्थात कामकला काली का साधक ही इस साधना को कर सकता है |इसमें एक और दिक्कत है की मूल पद्धति में नर बली जैसी बात भी है जो की उपयुक्त नहीं |इसके स्थान पर अनुकल्प उपयोग हो सकते हैं आज के समय में |

        यह साधना राजाओं आदि के लिए अधिक उपयुक्त रही है और बेहद तीव्र भयावह साधना है |इसके परिणाम भी बेहद तीव्र होते हैं |इस साधना को वीर वेताल साधना भी कहते हैं क्योंकि इसमें वीर के शव का भी उपयोग किया जाता है |कामकलाकाली के अंतर्गत इसकी साधना की जाती है ,क्योकि यह मूलतः काली की ही शक्ति है ,किन्तु कामकलाकाली के अंतर्गत आने वाली साधना राजाओं इत्यादि के अधिक अनुकूल रही है ,जिसमे योद्धा के सर सहित मृत शव पर साधना की जाती है और साधना में नर चोर की बलि दी जाती है ,परिणामस्वरुप मृत योद्धा और चोर ताल बेताल हो जाते हैं |

         इस साधना में युद्ध में मरे योद्धा /वीर के शव को लाकर रखा जाता है |इसके बाद स्नान ,संध्यावंदन आदि करने के बाद राजा को कृष्ण चतुर्दशी की रात्री में एक वध्य पुरुष चोर को लाना होता है |इसके बाद शव पर आरूढ़ होकर पवित्र और निर्भय मंत्र का जप करना होता है |एक हजार या दो हजार जप के पूर्ण होने तक कपालिनी उस शव में प्रवेश कर आवेश उत्पन्न करती है |इसके बाद कपालिनी के लिए बली देनी होती है |

         कामकला काली की साधना शुद्ध वाममार्गीय साधना है जहाँ मांस ,मदिरा आदि का प्रयोग होता है और इसमें बलि एक आवश्यक कर्म माना जाता है |कामकला ,काली का एक बेहद उग्र रूप है जिसमे सौम्यता और दयालुता जैसी भावना का प्रवेश वर्जित होता है |इनसे सम्बंधित साधनाओं में और इनके मंत्र के उप साधनाओं ,जैसे ताल -बेताल ,खेचरी ,पादुका आदि की सिद्धि में भी भावनाएं और कर्म कामकला काली साधना से ही होने चाहिए |आज के समय में ताल बेताल साधना एक कठिन साधना है और सामान्य के लिए है भी नहीं ,यद्यपि यह नहीं कहा जा सकता की कहीं कोई इसे नहीं कर रहा या नहीं कर सकता ,किन्तु सभ्य समाज में यह करना मुश्किल है |इसकी पद्धति और मंत्र ,प्रयोग विधि आदि देना इसीलिए उपयुक्त भी नहीं है |मात्र जानकारी हेतु इसके बारे में हम यहाँ लिख रहे ,चूंकि बेताल साधना के अंक हम लिख रहे क्रमशः |न तो कामकला काली की ही साधना और न ही ताल बेताल साधना बिना गुरु के हो सकती है |गुरु भी इतना सक्षम होना चाहिए की उसे कामकला काली की पूर्ण सिद्धि हो |यह साधनाएं श्मशान में होती हैं जहाँ की और भी अलग शक्तियां होती हैं …….[अगला अंक – अगिया बेताल साधना [प्रथम पद्धति ]……………………………………………….हर हर महादेव


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