शमशान काली सिद्धि
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महाकाली के नौ रूपों में एक मुख्य स्वरुप शमशान काली का है |यद्यपि काली को ही श्मशान वासिनी कहा जाता है किन्तु श्मशान काली के मंदिर विग्रह आदि अधिकतर श्मशान में ही पाए जाते हैं |कुछ लोग मानते हैं की काली की मूर्ती और चित्र घर में नहीं लगाने चाहिए अथवा कुछ लोग काली से डरते भी हैं किन्तु सभी काली स्वरूपों के साथ ऐसा नहीं है |श्मशान काली अवश्य ऐसी काली हैं जिनके चित्र आदि घर में नहीं लगाए जा सकते |सामान्यतया इनकी पूजा उपासना भी घर में नहीं की जाती |इनकी साधना ,उपासना के लिए घर से अलग अथवा बगीचे आदि में पूजा स्थान गृहस्थ बना सकते हैं |साधक अथवा तंत्र साधना करने वाले भी इनकी साधना अलग स्थान पर ही करते हैं |इनकी साधना में प्रत्यक्ष अनुभव होते हैं यदि सही ढंग से साधना किया जाय तो |हमें इनकी साधना का व्यक्तिगत अनुभव है और साधना परिणाम अवश्य मिलता है |इनकी मंत्र साधना की तो बात ही क्या इनके सहस्त्रनाम से भी अलौकिक और अद्भुत शक्ति प्राप्त होती है |सहस्त्रनाम ,स्तोत्र आदि घर में किया जा सकता है |
किसी भी शक्ति या देवता का मंत्र जब अवचेतन तक पहुँच जाय तो वह आधा सिद्ध स्वयमेव हो जाता है ,अर्थात यदि कोई मंत्र स्वप्न में भी चलने लगे तो वह जाग्रत और अर्ध सिद्ध हो जाता है |शमशान काली के मंत्र के साथ भी ऐसा ही है |इनके साथ एक अद्भुत क्रिया यह भी होती है की जब इनका मंत्र अवचेतन तक पहुँचता है तो वह नकारात्मक शक्तियों पर क्रिया शुरू कर देता है |इस स्थिति में साधना करने वाला स्वप्न में अक्सर इनके मंत्र प्रयोग करता हुआ खुद को देखता है ,अक्सर इन स्वप्नों में साधक भूत -प्रेत ,नकारात्मक शक्तियों पर मंत्र प्रयोग कर रहा होता है |ऐसी स्थिति साधना के बीच आने पर साधना समाप्त होते होते व्यक्ति और आस पास ,घर में उपस्थित नकारात्मक शक्ति दूर हो जाती है |इनकी साधना में कभी पायल ,घुंघरू अथवा झूले की आवाज आ सकती है या कभी किसी की आसपास उपस्थिति महसूस हो सकती है |नाम भले इनका श्मशान काली हो किन्तु इनकी साधना से अपार शान्ति प्राप्त होती है |यह अद्भुत ज्ञान और ब्रह्मांडीय रहस्य का ज्ञान देती हैं |धन का तो इनसे सीधा सम्बन्ध नहीं किन्तु अपार शक्ति मिलने से व्यक्ति शक्ति बल पर धनोपार्जन कर सकता है |साधक के शत्रु अथवा बुरा चाहने वाले स्वयमेव नष्ट होने लगते हैं क्योंकि इनकी शक्ति मानसिक तरंगों के साथ क्रिया करती है |
शमशान काली के कई मंत्र हैं जिनमे से तीन मंत्र मुख्य है
१ . क्लीं कालिकायै नमः
सात वर्ण का यह मंत्र साधक को अभीष्ट प्रदान करता है और साधक में आकर्षण शक्ति उत्पन्न करता है |
२ . क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूँ ह्रीं ह्रीं श्मशान कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा
श्मशान काली का इक्कीस वर्णों वाला यह मंत्र साधक की समस्त कामनाओं को पूर्ण करता है |यह मंत्र महाकाली का विद्याराज्ञी मन्त्र भी है और इसे गृहस्थ घर में भी जप कर सकते हैं काली के राजसिक मूर्ती अथवा चित्र पर |
३ .ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं
ग्यारह अक्षरों का यह मंत्र श्मशान काली का मूल मंत्र है जिससे अपार शान्ति ,ज्ञान ,शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है |
श्मशान काली साधना अथवा सिद्धि के लिए चित्र के साथ यन्त्र रखना आवश्यक होता है और यन्त्र पूजन के साथ साधना होती है |यन्त्र शुभ मुहूर्त में ताम्रपत्र पर उत्कीर्ण होना चाहिए अथवा उसकी शुभ मुहूर्त में अग्न्युत्तरण आदि विधि के साथ विधिवत प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए |यन्त्र और मंत्र के मिश्रित प्रभाव से साधना उत्तम सफलता देती है |इनकी साधना का विधान यह है की सर्वप्रथम विनियोग वाक्य बोलकर विभिन्न न्यास करने चाहिए |उसके बाद ध्यान ,पीठ पूजा ,आवरण पूजा ,जप आदि किया जाता है |गृहस्थ व्यक्ति जो रोज पीठ पूजा ,आवरण पूजा न कर सकें वह प्रथम एक दिन किसी आचार्य की मदद से यह क्रिया कर लें और रोज की पूजा में विनियोग ,न्यास ,ध्यान और जप करें |इस साधना में काली कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए और जप में महामृत्युंजय मंत्र की भी कम से कम एक माला करनी चाहिए |किसी देवी शक्ति के साथ दसवां हिस्सा पुरुष देवता का जप भी करना चाहिए और काली के पुरुष देवता महाकाल हैं अतः उनका भी दसवां हिस्सा जप करना चाहिए | श्मशान काली की उपासना और जप आदि के समय साधक को निर्वस्त्र होना चाहिए |मंत्र में जितने अक्षर हों उतने लाख जप करने को कहा जाता है तब मंत्र सिद्ध होता है |श्मशान काली के लिए सामान्यतया जप संख्या ११ लाख बताई जाती है |जप समय रात्री का होता है और वातावरण बिलकुल शांत होना चाहिए |
लेख में हमने विनियोग मन्त्र ,न्यास ,पूजा पद्धति ,आवरण पूजा ,ध्यान आदि नहीं बताये हैं क्योंकि श्मशान काली की साधना बिना गुरु नहीं हो सकती |गुरु दीक्ष के बाद योग्य व्यक्ति से अथवा गुरु से समस्त क्रिया और उपचार समझ कर साधना की जाती है |यहाँ हम विनियोग ,पूजन आदि बोल भी देंगे तो कोई विशेष लाभ नहीं होने क्योंकि हर गुरु की हर मार्ग की अपनी प्रक्रिया और तकनीकियाँ भी होती हैं |महाकाली और दक्षिण काली की पूर्ण पूजन प्रक्रिया हमने पहले प्रकाशित कर रखी है ,पूजन पद्धति गृहस्थ के लिए समान होती है जबकि साधक के लिए उनके गुरु परंपरा की पूजा मुख्य होती है |काली की पूजा बिना सुरक्षा कवच के कभी न करें यह अवश्य ध्यान दें क्योंकि इन साधनाओं में प्रतिक्रिया होती है |यदि आप हर उपाय से ,पूजन से हार चुके हैं अपनी समस्या के लिए तो आप काली उपासना जरुर आजमायें |आने वाले लेखों में हम बताएँगे की काली के किस रूप की पूजा गृहस्थ के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है और किस रूप से क्या विशेष प्राप्त होता है |उसके बाद के लेखों में हम आपको यह भी बताएँगे की काली जी के कैसे चित्र आपको घर में लगाने चाहिए और क्यों जरुर से लगाने चाहिए |कारण बिना काली के आपके काम ही नहीं चलने वाले यह तो आपकी ऊर्जा का ही आधार है |यह नहीं तो आप भी नहीं |………………हर हर महादेव
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