टोटका /भूत विद्या का विज्ञान
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शास्त्रों में चिकित्सा के आठ अंग माने गए हैं, जिनमें एक भूत-विद्या भी है । ‘टोटका’ इस भूत-विद्या का ही एक सूक्ष्म अंग माना जाता है । कई विद्वान इसे पदार्थ-विज्ञान से भी जोड़ते हैं । जिस प्रकार प्राणियों के शरीर में एक अदृश्य-सी विशेष शक्ति विद्यमान रहती है, जिसे हम ‘तेजस्’ कहते हैं; उसी प्रकार उद्भिज प्राणियों और सभी जड़-चेतन पदार्थों में भी यह तेजस्-तत्व विद्यमान रहता है । ‘टोटका’ से सम्बन्धित क्रियाओं के पीछे यह तेजस् ही क्रियाशील होता है । अत: टोटके के गुण-दोष भी पदार्थों के द्रव्य-गुण की भाँति प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देते, बल्कि उनका प्रभाव अलक्षित और अप्रत्यक्ष होता है ।
हमारा देश कृषि-प्रधान देश है । देश के अधिकांश लोग गाँवों में निवास करते है । ग्रामीणजन पुरानी बातों में विशेष आस्था रखते हैं । इसका एक कारण यह भी है कि ग्रामीणजन प्राकृतिक पदार्थों व वनस्पतियों के गुण-दोष व तेजस्-तत्व से पारम्परिक रूप से परिचित होते हैं ।
यद्यपि टोटका-विज्ञान अथवा भूत-विद्या हमारे देश की पारम्परिक विद्या है, किन्तु इसका प्रचलन चीन, मिस्र आदि देशों में भी प्राचीनकाल से चला आ रहा है । आधुनिक ‘फेंगसुई ’ भारत की इस प्राचीन विद्या का ही चीनी-संस्करण है । नेपाल में तथा भारत के असम, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित कई आदिवासी-बहुल क्षेत्रों में इन अदृश्य-शक्ति-सम्पन्न टोटकों का प्रचलन आज भी है ।
टोटकों के विषय में कुछ ज्ञातव्य तथ्य
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१. तान्त्रिक-दीक्षा प्राप्त व्यक्ति पर कोई भी तांत्रिक अभिचार या टोटका असर नहीं करता।
२. टोने-टोटके प्राय: शनिवार, रविवार या मंगलवार को करने का विधान है, किन्तु कुछ टोटके ग्रहण, दीपावली, होली आदि विशेष अवसरों पर भी किये जाते हैं।
३. टोटका-प्रयोग कभी निष्फल नहीं होता तथा इसके लिए किसी गुरु, विद्वान या तांत्रिक से दीक्षा लेने की भी जरूरत नहीं होती।
४. टोटकों में यह विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जैसा बताया गया है, वैसा ही करें। सामिग्री या विधि को अपनी बुद्धि से संशोधित करने का प्रयास कदापि नहीं करना चाहिए।
५. टोटके अन-टोके ही करने चाहिए। इसकी चर्चा या इस पर बहस करने से यह बे-असर हो जाते हैं।………………………………………………….हर-हर महादेव
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