चमत्कारी जमुनिया माला
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हम सभी ने शनि ग्रह का नाम सूना हुआ है और इसके नाम से अधिकतर लोगों को डर भी लगता है |ग्रहों में सबसे अधिक उपाय इसी कि लोग करते हैं |कोई अमावश्या दान ,जल अर्पण ,दीप दान करता है तो कोई शनिवार को शनि पूजा और तेल आदि के दान करता है |कोई किसी वृक्ष को पूजता है तो कोई शनि के रत्न धारण करता है |किसी का शनि कष्ट देता है तो किसी को शनि राजा बना देता है |१०० मनुष्यों में से ४२ लोगों को शनि हमेशा किसी न किसी रूप में प्रभावित करता ही रहता है चाहे वह साढ़ेसाती हो ढईया हो ,महादशा -अन्तर्दशा हो या गोचर हो | सामान्यतया शनि कष्ट का कारक तब होता है जब वह कमजोर हो या बुरे भाव का स्वामी हो जाय |बुरे भाव का स्वामी होने पर उसके बल को बढ़ाना उचित नहीं होता अपितु उसको प्रभावित कर रहे शुभ ग्रह कि शक्ति बढ़ाना उचित होता है जिससे शनि द्वारा दिए जा रहे कष्ट कम हो सकें ,किन्तु जब शनि शुभ हो तब या जब शनि शुभ होकर कमजोर हो तब इसके शक्ति को बढ़ाना बेहतर होता है |बढ़ी हुई शक्ति के साथ यह शनि जीवन को वह उंचाई दे देता है जो कोई भी अन्य ग्रह नहीं दे सकता |
शनि के बल को बढाने के लिए मुख्य रत्न नीलम होता है किन्तु यह बहुत अधिक कीमत वाला रत्न है जिसे धारण करना सबके बस का नहीं |नीलम के उपरत्नों में नीली और जमुनिया आते हैं जिन्हें लोग अंगूठी अथवा माला के रूप में धारण करते हैं |जमुनिया कि माला शनि के बल को कई गुना बढ़ा देती है जिससे शनि बहुत अधिक लाभ देने लगता है |जिनका शनि कमजोर हो किन्तु शुभ हो ,जिनका मकर या कुम्भ लग्न हो ,जिनका शनि भाग्येश कर्मेश ,सुखेश -पंचमेश ,लग्नेश द्वितीयेश हो उन्हें जमुनिया कि माला अत्यंत लाभदायक हो सकती है और उनका शनि उन्हें जीवन में अत्यंत उंचा स्थान दे सकता है |जमुनिया माला धारण में भी आसान होती है गले में ,अंगूठी कि तरह बार बार उतारना भी नहीं होता और अंगूठी के एक रत्न से अधिक लाभ भी देती है क्योंकि इसमें अनेक जमुनिया के मनके या दाने होते हैं |इसे शनि के मित्र ग्रहों के रत्नों के साथ मिलाकर भी बनाया जा सकता है या इसे रुद्राक्ष आदि के साथ भी मिलाकर बनाकर धारण किया जा सकता है |जो लोग शनि का अधिकतम लाभ लेना चाहते हैं वह इस माला को धारण कर लाभ उठा सकते हैं |
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