षोडशी -त्रिपुरसुन्दरी [श्री विद्या ] यन्त्र /कवच धारण से क्या लाभ होते हैं ?
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षोडशी [त्रिपुरसुन्दरी ]दश महाविद्या में से एक प्रमुख महाविद्या है और श्री कुल की अधिष्ठात्री हैं ,इनकी साधना से धर्म-अर्थ-काम और मोक्ष चारो पुरुषार्थो की प्राप्ति होती है ,ऐसा कुछ भी नहीं जो ये देने में सक्षम नहीं ,ब्रह्मा-विष्णु-रूद्र और यम चारो इनके अधीन हैं ,ये अन्य साधनाओ में भी पूर्णता देने में समर्थ हैं |दुःख-दैन्य-किसी प्रकार की न्यूनता ,अभाव ,पीड़ा ,बाधा सभी को एक ही बार में समाप्त करने में सक्षम हैं ,इनकी साधना से कायाकल्प भी होता है ,यह सौंदर्य ,पुरुषत्व,हिम्मत, साहस ,बल ,ओज ,भी देती हैं |षोडशी यन्त्र भगवती त्रिपुरसुंदरी [श्री विद्या ] का यन्त्र है ,जिसमे उनका अपने परिवार देवताओं के साथ वास होता है ,यह यन्त्र विशिष्ट मुहूर्त में और श्री विद्या साधक द्वारा ही निर्मित होता है ,तत्पश्चात प्राण प्रतिष्ठा ,मंत्र जप और हवन से इसे उर्जिकृत किया जाता है ,,यन्त्र धारण से नोमन लाभ होते हैं –
[१] शारीरिक उर्जा ,उल्लास ,उत्साह ,जीवनी उर्जा की वृद्धि होती है तथा शारीरिक कमियां दूर होती हैं |
[२] धन- संमृद्धि- संपत्ति ,साधन सम्पन्नता बढती है |अभाव समाप्त होते हैं फिर चाहे वह किसी भी क्षेत्र के हों और संतुष्टि की मात्र बढती है |
[३] हिम्मत, साहस, बल, ओज, पौरुष, प्राप्त होता है |दाम्पत्य प्रेम बढ़ता है |दम्पतियों के बीच शारीरिक कमियों में सुधार आता है |आपसी सम्बन्ध मधुर होते हैं |बीच की दूरियां ,मनमुटाव ,टकराव कम होते हैं |
[४] आय के नए स्रोत बनते है |अकस्मात् धन प्राप्ति की सम्भावना बनती है | दुःख-दारिद्र्य का शमन होता है और समृद्धि के नए रास्ते मिलते हैं |
[५] रोग-शोक, समाप्त होते हैं ,सुरक्षा प्राप्त होती हैं ,किसी प्रकार की अशुभता का शमन होता है |सकारात्मक और धनात्मक ऊर्जा की वृद्धि होती है जिससे शान्ति ,सुख बढ़ते हैं और असामान्य घटनाओं में कमी आती है |
[६] सौभाग्य वृद्धि होती है ,ग्रह बाधा का शमन होता है ,रुकावटें दूर होती हैं |पूजा पाठ में सफलता बढती है और ईष्ट प्रसन्नता होती है |वास्तु दोष का प्रभाव व्यक्ति पर से कम होता है |सूर्य -चन्द्रमा जैसे शुभ ग्रहों का प्रभाव बढ़ता है |
[७] विजय प्राप्त होती है ,यश-मान -सम्मान -प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है |व्यक्तित्व का प्रभाव बढ़ता है और एक आकर्षक प्रभाव उत्पन्न होता है क्योंकि आभामंडल [औरा ]की नकारात्मकता कम हो जाती है |
[८] पुत्र -पौत्रादि की उन्नति होती है |संतान सुख में कमी जैसे दुःख कम होते हैं |संतान पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और वह विपरीत न जाकर माता -पिता को समझने का प्रयत्न करता है |
[९] कलह -कटुता का प्रभाव कम होकर खुशहाली प्राप्त होती है ,मानसिक शांति प्राप्त होती है |
[१०] बिगड़ते काम बनने लगते हैं |दुःख -दरिद्रता समाप्त होने लगती है |
[११] नकारात्मक उर्जाओं का प्रभाव व्यक्ति पर से समाप्त होने लगता है ,जिससे सोच -कर्म -व्यवहार ,शारीरिक हावभाव बदलने लगता है और आत्मविश्वास बढने से सफलता बढ़ जाती है |
[१२] आर्थिक-व्यावसायिक समस्याएं ,साझेदारी की समस्याएं ,मित्रों से अनबन ,धोखे जैसी स्थितियों में क्रमशः सुधार आने लगता है |सही समय सही निर्णय लेने की क्षमता वृद्धि होने से सार्वभौम उन्नति होती है |
[१३] घर -परिवार में विघ्न -बाधाएं समाप्त होती हैं ,प्रसन्नता -उल्लास और खुशियों की वृद्धि होती है |आकस्मिक घटनाओं में कमी आती है तथा कर्म में सुधार होता है |
[१४] अधिकारी वर्ग अनुकूल होता है ,कार्य व्यवसाय में अडचनें कम होती हैं ,लोगों की प्रतिकूलता कम होती है और अनुकूलता बढती है |
[१५] स्थायी -अस्थायी सम्पत्ति से सम्बन्धित विवाद का निवारण होता है |विवाद -प्रतियोगिता -प्रतिद्वंदिता में बुद्धि बल से विजय मिलती है | हानि की सम्भावना कम हो जाती है |
[१६] आप किसी तांत्रिक अभिचार ,टोने -टोटके ,किये -कराये का प्रभाव कम होता जाता है |आप पर बार बार टोने -टोटके हो रहे हों तो आपके ऊर्जा वृद्धि होने से उनका निष्प्रभावी होना शुरू हो जाता है ||नाकारात्मक उर्जा से प्रभावित हो रहे हों तो उसमे कमी आने लगती है क्योंकि सकारात्मक ऊर्जा संचार बढ़ जाता है |
[१७] संतान अपेक्षित उन्नति करते हैं ,गलत आदतों के प्रति रूचि नहीं जगती ,लक्ष्य केन्द्रित होकर अपने भविष्य के प्रति सचेत होंने लगते हैं |
[१८] किसी पूजा -पाठ ,साधना -उपासना में त्रुटी हो गयी हो और कोई देवी -देवता रुष्ट हो गया हो अथवा ईष्ट अप्रसन्नता का सामना कर रहे हों तो उनका दुष्प्रभाव समाप्त होता है |
[१९] कार्यक्षेत्र में स्थायित्व की वृद्धि होती है ,सम्मान बढ़ता है | अनिच्छित स्थानान्तरण जैसी स्थितियों में सुधार होता है क्योंकि अधिकारी वर्ग की संतुष्टता बढती है |सहयोगी कर्मचारी से सामंजस्य बढ़ता है |अपमानजनक स्थितियों ,अप्रिय स्थितियों से बचाव होता है और अपेक्षित उन्नति होती है |
[२०] कार्य क्षमता में वृद्धि ,ऊर्जा -उत्साह -शक्ति में वृद्धि होती है तथा आलस्य -प्रमाद -एकाग्रता की समस्या में कमी आती है |अनजाने भय ,आशंका में कमी आती है |
[२१] लोगों को नियंत्रित करने की क्षमता में वृद्धि होती है |अधीन कर्मचारी अवहेलना नहीं करते |समूह को नियंत्रित -आकृष्ट करना ,लोगों से इच्छानुसार कार्य कराना सरल हो जाता है क्योंकि आत्मबल और प्रभाव बढ़ जाता है |
[२२] रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है |असाध्य और लम्बी बीमारी की सम्भावना कम हो जाती है |मानसिक स्वास्थय में सुधार होता है |बार हो रही स्वास्थ्य समस्या में कमी आती है |
[२३] बच्चे -पति -पत्नी अथवा परिवार का सदस्य का पारिवारिक मर्यादा -सम्मान के अनुसार आचरण में वृद्धि होती है |नैतिकता जाग्रत होती है और गलत से बचने की भावना का विकास होता है |
[२४] आय के स्रोतों में उतार-चढ़ाव कम हो जाता है , जिम्मेदारियों की पूर्ती होती है ,अनायास व्यय अथवा अपव्यय कम होने लगता है |ऋण की स्थिति में सुधार होता है |
[२५] डूबा धन ,दिया पैसा या उधार वापसी की सम्भावना बढती है | साझेदार ,मित्र -सहयोगी धोखा नहीं दे पाते क्योंकि एक तो व्यक्ति ही सावधान रहता है दुसरे व्यतित्व का प्रभाव बदल जाता है |
इस प्रकार अनेकानेक समस्याएं घर-परिवार में उत्पन्न हों तो एक बार अवश्य किसी अच्छे साधक से भोजपत्र पर निर्मित षोडशी यन्त्र चांदी के कवच में धारण करें |आपकी सारी समस्याएं क्रमशः दूर होने लगेंगी |यह अनेक बार हमारे द्वारा अनुभूत और परीक्षित है |हमने अनेकों को विभिन्न समस्याओं में इसे धारण कराया है और अब तक शत-प्रतिशत सफलता मिली है |बिगड़े बच्चों को धारण कराने से उनमे सुधार आया है जो की परिवार के सम्मान को ठेस लगाकर गलत कार्य की और झुके थे ,व्यावसायिक उतार-चढ़ाव से ग्रस्त लोगों को धारण करने पर उनके कार्य-व्यवसाय में स्थिरता प्राप्त हुई है ,पारिवारिक समस्याओं में उत्तम परिणाम प्राप्त हुए हैं |प्रत्येक क्षेत्र में सफलता बढ़ी है |घर के कलह-तनाव को दूर करने में मदद मिली है ,आय के नए स्रोत बनाने अथवा परीक्षा-शिक्षा में सफलता बढ़ी है |अतः यह अनुभूत प्रयोग है |
षोडशी यन्त्र धारण शरीर को नव स्फूर्ति और जीवनी उर्जा प्रदान कर सकारात्मक ऊर्जा संचार बढाता है जिससे ऊर्जा संतुलन बेहतर होता है |यह दाम्पत्य जीवन की कटुता तो दूर करता ही है यदि किसी में कोई शारीरिक कमी है तो उसमे भी सुधार लाता है |हमारा अनुभव रहा है की यह अवचेतन पर भी बहुत अच्छा कार्य करता है और व्यक्ति की नैतिकता ,उसकी सुप्त शक्तियों को जाग्रत करने और उत्साह प्रदान करने में सक्षम है |यह आतंरिक परिवर्तन लाता है जिससे सोच ,कर्म बदलते हैं फलतः उन्नति के नए मार्ग मिलते हैं |यदि आपके पूजा पाठ असफल हो रहे तथा उनका अपेक्षित परिणाम नहीं दिख रहा तो यह यन्त्र वहां भी आपकी सफलता के रास्ते बनाता है चूंकि श्री विद्या षोडशी सभी पूजा पाठ को सफल बनाने की शक्ति रखती हैं |यह यन्त्र अगर श्री विद्या के सिद्ध साधक द्वारा स्वयं बनाया जाता है और षोडशी मंत्र से अभिमंत्रित किया जाता है तो इससे अद्भुत परिणाम मिलते हैं |आश्चर्यजनक रूप से स्थितियां नियंत्रण में आती हैं और लाभ प्राप्त होते हैं जीवन के हर क्षेत्र में |साधक द्वारा स्वयं भोजपत्र पर निर्माण करने से साधक की अर्जित की हुई शक्तियाँ भी इसमें सम्मिलित होती हैं और उसका अभिमन्त्रण इसमें अतिरिक्त शक्ति का प्रवाह प्रदान करता है |..,………………………………………………हर-हर महादेव
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