:::::::::::::::::::::बगलामुखी यन्त्र /कवच :::::::::::::::::::
भगवती बगलामुखी दस महाविद्याओ में से एक प्रमुख महाविद्या और शक्ति है ,जिन्हें ब्रह्मास्त्र विद्या या शक्ति भी कहा जाता है ,यह परम तेजोमय शक्ति है जिनकी शक्ति का मूलसूत्र ,प्राण सूत्र है ,,प्राण सूत्र प्रत्येक प्राणी में सुप्त अवस्था में होता है जो इनकी साधना से चैतन्य होता है ,इसकी चैतन्यता से समस्त षट्कर्म भी सिद्ध हो सकते है ,,बगलामुखी को सिद्ध विद्या भी कहा जाता है ,मूलतः यह स्तम्भन की देवी है पर समस्त षट्कर्म इनके द्वारा सिद्ध होते है और अंततः यह मोक्ष प्रदान करने में सक्षम है …
बगलामुखी यन्त्र माता बगलामुखी का निवास माना जाता है जिसमे वह अपने अंग विद्याओ ,शक्तियों ,देवों के साथ निवास करती है ,अतः यन्त्र के साथ इन सबका जुड़ाव और सानिध्य प्राप्त होता है ,,यन्त्र के अनेक उपयोग है ,यह धातु अथवा भोजपत्र पर बना हो सकता है ,पूजन में धातु के यन्त्र का ही अधिकतर उपयोग होता है ,पर सिद्ध व्यक्ति से प्राप्त भोजपत्र पर निर्मित यन्त्र बेहद प्रभावकारी होता है ,,धारण हेतु भोजपत्र के यन्त्र को धातु के खोल में बंदकर उपयोग करते है ,,जब व्यक्ति स्वयं साधना करने में सक्षम न हो तो यन्त्र धारण मात्र से उसे समस्त लाभ प्राप्त हो सकते है ,..
बगलामुखी की कृपा से व्यक्ति की सार्वभौम उन्नति होती है ,शत्रु पराजित होते है ,सर्वत्र विजय मिलती है ,मुकदमो में विजय मिलती है ,अधिकारी वर्ग की अनुकूलता प्राप्त होती है ,विरोधी की वाणी ,गति का स्तम्भन होता है ,शत्रु की बुद्धि भ्रस्त हो जाती है ,उसका विनाश होने लगता है ,,ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ,व्यक्ति के आभामंडल में परिवर्तन होने से लोग आकर्षित होते है ,प्रभावशालिता बढ़ जाती है ,वायव्य बाधाओं से सुरक्षा होती है ,तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव समाप्त हो जाते है ,सम्मान प्राप्त होता है ,वाद-विवाद में सफलता मिलती है ,प्रतियोगिता आदि में सफलता बढ़ जाती है ,,यह समस्त प्रभाव यन्त्र धारण से भी प्राप्त होते है और साधना से भी ,साधना से व्यक्ति में स्वयं यह शक्ति उत्पन्न होती है ,यन्त्र धारण से यन्त्र के कारण यह उत्पन्न होता है ,अतः आज के समय में यह साधना अथवा यन्त्र धारण बेहद उपयोगी है ………………………………………………………..हर-हर महादेव
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